- आउटसोर्सिग वाले ट्यूबवेल ऑपरेटर्स का अनुबंध हो गया है समाप्त

- शहर के 35 ट्यूबवेल्स से ठप हो सकती है सप्लाई

GORAKHPUR: बूंद-बूंद पानी की किल्लत झेलता शहर और ऊपर से इस समस्या को बढ़ाती जिम्मेदारों की लापरवाही। ये हाल कहीं और का नहीं बल्कि यहां के जलकल विभाग का है। ट्यूबवेल्स और पानी टंकियों की खराब स्थिति के बीच जलकल अधिकारियों की लापरवाही ने इस बार नई समस्या खड़ी कर दी है। अनुबंध का रिन्युअल ना होने के चलते ट्यूबवेल ऑपरेटर्स ने अगले महीने से कार्य करने से इनकार कर दिया है। इससे आउटसोर्सिग के भरोसे चल रहे शहर के 35 ट्यूबवेल्स की सप्लाई ठप होने की गंभीर स्थिती बन गई है। अगर ऐसा हुआ तो इन ट्यूबवेल्स से जुड़े शहर के लगभग 68 प्रतिशत एरिया में पानी के लिए हाहाकार मचना तय है।

टेंडर ने फंसाया मामला

शहर के 35 ट्यूबवेल्स को नगर निगम, आउटसोर्सिग कर्मचारियों की मदद से संचालित करता है। इन ट्यूबवेल्स को चलाने के लिए नगर निगम ने पिछले साल ही टेंडर कराया था। इसकी लिमिट नवंबर में खत्म हो गई। इसके बाद एक माह की अवधि बढ़ाकर टेंडर निकाला गया, लेकिन पहली बार सिंगल टेंडर होने के कारण निरस्त हो गया। उसके बाद फिर से टेंडर कराया गया। दो फर्म ने टेंडर डाला, लेकिन नगर निगम के मानकों पर फ‌र्म्स के खरा न उतरने के कारण निरस्त हो गया। इस पर इन आउटसोर्सिग कर्मचारियों के कार्य की अवधि एक माह और बढ़ाई गई जो 31 जनवरी को समाप्त हो रही है। इन कर्मचारियों ने इसके बाद बिना अनुबंध बढ़ाए कार्य करने से इनकार कर दिया है।

यहां तो पब्लिक चला रही ट्यूबवेल

राप्तीनगर फेज-4 में दो और तारामंडल एरिया में एक ट्यूबवेल पर तो ऑपरेटर ही नहीं हैं। इसके चलते स्थानीय लोगों को खुद ही ट्यूबवेल चलाना पड़ता है। कई बार तो ट्यूबवेल चलाने वाला ही कोई नहीं रहता। ऑपरेटर की कमी के कारण लगभग दो हजार घरों को अक्सर पानी की किल्लत झेलनी पड़ जाती है। यही हाल शहर के जाफरा बाजार, नेताजी सुभाषचंद्र बोस नगर कॉलोनी के ट्यूबवेल्स का भी है।

वर्जन

ऑपरेटर्स की कमी है। इसके लिए आउटसोर्सिग से कर्मचारी रखे गए थे। लेकिन अब चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण टेंडर नहीं हो पा रहा है। आचार संहिता समाप्त होते ही टेंडर करा दिया जाएगा।

- पीएन मिश्रा, जलकल जेई