-लगातार बढ़ता जा रहा बाढ़ का कहर, सैकड़ों गांवों की हालत खराब

-चारों ओर से घिरता जा रहा शहर, कई बांध दे सकते हैं जवाब

utkarsh.srivastava@inext.co.in

GORAKHPUR: लगातार बढ़ते जा रहे बाढ़ के पानी के चलते जिंदगानी पानी-पानी हो गई है। आलम यह है कि कि सैकड़ों गांव पूरी तरह से टापू हो चुके हैं। इसके अलावा करीब हर तरफ से शहर का संपर्क दूसरे शहरों से कट चुका है। बिजली और मोबाइल नेटवर्क ध्वस्त हो चुका है, ऐसे में लोगों की बेचैनी भी बढ़ने लगी है। शुक्रवार को बाढ़ की गंभीर हालत को देखते हुए प्रशासन ने मदद के हाथ बढ़ाए। बाढ़ प्रभावित इलाकों में हेलीकॉप्टर से 9000 लंच पैकेट गिराने के दावे किए गए। इस दौरान खुद डीएम राजीव रौतेला ने हेलीकॉप्टर में सवार हो बाढ़ का जायजा लिया।

मदद को उतरी सेना

बाढ़ प्रभावित इलाकों में दोपहर तक तो बाढ़ में फंसे लोगों के लिए एनडीआरएफ टीम के अलावा अन्य कोई व्यवस्था नहीं थी। इस दौरान बोटों की संख्या काफी कम होने से एनडीआरएफ जवान भी लोगों की समय से मदद नहीं कर पा रहे थे। शाम तक पीडि़तों की मदद के लिए पीएसी और सेना भी आ गई। इसके बाद अपनी-अपनी बोट लेकर पहुंची कई जिलों की पीएसी और सेना के जवान तत्काल राहत कार्य में जुट गए। इसके अलावा आरपीएफ की ओर से भी राहत का काम शुरू कर दिया गया है। एनईआर आरपीएफ की ओर से बाढ़ पीडि़तों में लंच पैकेट भी बांटने का काम शुरू हो गया है।

खाना-पानी को भी तरस रहे लोग

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम ने बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया तो देखने को मिला कि जहां बालापार रोड पूरी तरह डूब चुका है। इस सड़क पर पानी की धारा इतनी तेज थी कि मवेशी या कोई बुजुर्ग अकेला इससे बाहर नहीं निकल सकता। लगातार बढ़ रहा पानी पूरी तरह तबाही का तांडव मचा रहा है। अब तक सैकड़ों गांव के लाखों लोग बाढ़ के कहर से बेघर हो चुके हैं। सैकड़ों माएं अपने छोटे बच्चों के लिए दूध तक का इंतजाम करने में बेबस गई। भूखे-प्यासे हर किसी को सिर्फ चिंता सता रही है तो वो सिर्फ बाढ़ में फंसे अपने परिवार के लोगों को बचाने की।

रेल ट्रैक पर बसेरा

बाढ़ प्रभावित गांवों से निकलने के बाद कोई अपने रिश्तेदारों के घर भागा तो किसी ने सड़कों और रेल लाइनों पर ठिकाना बनाया। सबसे अधिक समस्या तो उन लोगों के सामने है, जिनके घरों में बीमार, बुजुर्ग, छोटे बच्चे और मवेशी हैं। कोई अपनी बीमार मां को कंधों पर टांग कर पानी की तेज धारा से निकाल रहा तो कोई अपने बुजुर्ग पिता और भाई को कंधों पर बिठाकर पानी से निकालता दिखा।

चारों तरफ से घिर रहा शहर

इस तरह गोरखपुर शहर चारों तरफ से ओर से बाढ़ से घिर चुका है। अगर पानी का बहाव ऐसा ही रहा तो 24 से 48 घंटों के अंदर बाढ़ का पानी शहर में भी दाखिल हो जाएगा। माधोपुर से रामपुर नया गांव का बांध भी रिसने लगा है। वहीं नौसड़ के हरैया के बांध भी तेजी से पानी का रिसाव शुरू हो गया है। इसे देखते हुए गोरखपुर-लखनऊ रोड बंद कर, गाडि़यों को नौसड़ से डायवर्ट कर दिया गया था। इसके अलावा शहर का बड़गो और लहसड़ी बांध पर भी लहरें उफान मार रही हैं।

बॉक्स-1

यह है बाढ़ की हकीकत

करीब 200 गांव के 3 लाख से अधिक लोग कर चुके हैं घरों से पलायन

- बाढ़ में फंसे करीब 10 हजार से अधिक लोगों को बचाने में जुटे हैं जवान

- मानीराम और बालापार एरिया के 80 गांवों के करीब 2.5 लाख लोग प्रभावित

- बिजली व मोबाइल फेल होने से नहीं हो पा रहा एक-दूसरे से संपर्क

- लगातार बढ़ रहे पानी से घिर चुका है चारो ओर से शहर

- गोरखपुर से सोनौली, महराजगंज और लखनऊ रोड आवागमन पूरी तरह ठप

- मोहरीपुर और फर्टिलाइजर तक पहुंच चुका है तेजी से आ रहा बाढ़ का पानी

- बड़गो, लहसड़ी, माधोपुर और रामपुर नयागांव बांध से शहर को खतरा

- नरकटियागंज के बाद नौतनवां रूट पर भी ट्रेनों का संचालन ठप होने का खतरा

बॉक्स-2

दो बार बाढ़ मचा चुकी है तबाही

1998

लहसड़ी बांध टूट जाने से बड़गो, रुस्तमपुर, आजाद चौक, चिलमापुर, मोहद्दीपुर, इंदिरा नगर, कूड़ाघाट समेत कई इलाके प्रभावित हुए थे। वहीं नौसड़, बरहुआं में भी बांध टूटने से दोनों हाइवे बंद हो गए थे।

2001

इस साल रोहिन नदी में बाढ़ आई थी। इससे कैंपियरगंज का इलाका तबाह हो गया था।