पारदर्शिता को लेकर चिंता जाहिर
भारत इसके संस्थापक सदस्यों में शामिल है. ऐसी अटकलें हैं कि अमेरिका भी आवेदन कर सकता है. बैंक के इस साल शुरू हो जाने की उम्मीद है. जिससे एआईआईबी से जुड़ने के लिए आवेदन की समयसीमा 31 मार्च है. वहीं सूत्रों की माने तो अमेरिकी दबाव की अनदेखी करते हुए ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली पहले ही इससे जुड़ने का एलान कर चुके हैं. तुर्की और दक्षिण कोरिया जैसे अन्य देश भी इसका हिस्सा बनेंगे. अमेरिका प्रस्तावित बैंक की पारदर्शिता को लेकर चिंता जाहिर करता रहा है. वह इस बैंक को विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखता है. इससे पूर्व चीन के वित्त मंत्री ने बताया कि ऑस्ट्रिया भी आवेदन कर चुका है. ब्रिटेन और स्विट्जरलैंड को एआईआईबी के संस्थापक सदस्यों के तौर पर स्वीकार कर लिया गया है.

एआईआईबी का मुख्यालय बीजिंग में
जबकि चीन ने इन चिंताओं खंडन किया है. चीन ने कहा है कि नया बैंक विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक का पूरक होगा.इसकी प्रशासन प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी होगी. एआईआईबी का मुख्यालय बीजिंग में होगा. यह एशियाई देशों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को मदद मुहैया कराएगा. यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब यूरोपीय संघ और एशियाई सरकारें आईएमएफ में सुधार को लेकर अमेरिकी रवैये से बेहद निराश हैं. इसके तहत चीन और भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को मुद्राकोष में अधिक वोटिंग अधिकार देने की वकालत की गई है, लेकिन, आईएमएफ में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी और वीटो अधिकार वाले अमेरिका के चलते सुधारों का प्रस्ताव 2010 से लटका हुआ है।

अंकुश लगाने के लिए अमेरिका प्रयासरत
वहीं इस प्रस्तावित बैंक को अमेरिकी आर्थिक कूटनीति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक शक्ति पर अंकुश लगाने के लिए अमेरिका प्रयासरत रहा है. एआईआईबी से जुड़ने वाले देशों की बढ़ती संख्या देख हाल में अमेरिकी वित्त मंत्री जैक ल्यू ने चेतावनी दी थी कि आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के लिए अपनी विश्वसनीयता खोने का खतरा पैदा हो गया है.रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री ईगोर शुवालोव ने चीन के बोआओ में आयोजित वार्षिक एशियाई आर्थिक सम्मेलन के दौरान कहा कि प्रस्तावित बैंक से जुड़ने के लिए रूस जल्द ही आवेदन करेगा. इसी दौरान ऑस्ट्रेलिया के वित्त मंत्री एम कॉरमैन ने भी आवेदन करने के फैसले का एलान किया.


पारदर्शिता को लेकर चिंता जाहिर
भारत इसके संस्थापक सदस्यों में शामिल है. ऐसी अटकलें हैं कि अमेरिका भी आवेदन कर सकता है. बैंक के इस साल शुरू हो जाने की उम्मीद है. जिससे एआईआईबी से जुड़ने के लिए आवेदन की समयसीमा 31 मार्च है. वहीं सूत्रों की माने तो अमेरिकी दबाव की अनदेखी करते हुए ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली पहले ही इससे जुड़ने का एलान कर चुके हैं. तुर्की और दक्षिण कोरिया जैसे अन्य देश भी इसका हिस्सा बनेंगे. अमेरिका प्रस्तावित बैंक की पारदर्शिता को लेकर चिंता जाहिर करता रहा है. वह इस बैंक को विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखता है. इससे पूर्व चीन के वित्त मंत्री ने बताया कि ऑस्ट्रिया भी आवेदन कर चुका है. ब्रिटेन और स्विट्जरलैंड को एआईआईबी के संस्थापक सदस्यों के तौर पर स्वीकार कर लिया गया है.

 

एआईआईबी का मुख्यालय बीजिंग में
जबकि चीन ने इन चिंताओं खंडन किया है. चीन ने कहा है कि नया बैंक विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक का पूरक होगा.इसकी प्रशासन प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी होगी. एआईआईबी का मुख्यालय बीजिंग में होगा. यह एशियाई देशों में बुनियादी ढांचे से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं को मदद मुहैया कराएगा. यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब यूरोपीय संघ और एशियाई सरकारें आईएमएफ में सुधार को लेकर अमेरिकी रवैये से बेहद निराश हैं. इसके तहत चीन और भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को मुद्राकोष में अधिक वोटिंग अधिकार देने की वकालत की गई है, लेकिन, आईएमएफ में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी और वीटो अधिकार वाले अमेरिका के चलते सुधारों का प्रस्ताव 2010 से लटका हुआ है।

 

अंकुश लगाने के लिए अमेरिका प्रयासरत
वहीं इस प्रस्तावित बैंक को अमेरिकी आर्थिक कूटनीति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक शक्ति पर अंकुश लगाने के लिए अमेरिका प्रयासरत रहा है. एआईआईबी से जुड़ने वाले देशों की बढ़ती संख्या देख हाल में अमेरिकी वित्त मंत्री जैक ल्यू ने चेतावनी दी थी कि आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के लिए अपनी विश्वसनीयता खोने का खतरा पैदा हो गया है.रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री ईगोर शुवालोव ने चीन के बोआओ में आयोजित वार्षिक एशियाई आर्थिक सम्मेलन के दौरान कहा कि प्रस्तावित बैंक से जुड़ने के लिए रूस जल्द ही आवेदन करेगा. इसी दौरान ऑस्ट्रेलिया के वित्त मंत्री एम कॉरमैन ने भी आवेदन करने के फैसले का एलान किया.

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