न मुद्दे न प्रचार, जीतने की दरकार

लखनऊ संसदीय सीट से चुनावी ताल ठोंक रहे कई प्रत्याशी बिना किसी मुद्दे के लड़ रहे चुनाव

कइयों के चुनावी दफ्तर का अभी तक नहीं हुआ उद्घाटन, जनसम्पर्क में कट रहा दिन

sanjeev.pandey@inext.co.in

LUCKNOW (17 April): किसी के पास ऑफिस नहीं है तो किसी के पास बजट नहीं है। कइयों के ऑफिस का अभी ताला ही नहीं खुला है। फिर भी इन रणबांकुरों ने चुनाव के मैदान में ताल ठोंक रखी है। लोकसभा इलेक्शन में भले ही यह पहली बार चुनाव में खड़े हुए हों। भले ही इनकी पार्टी को कोई जानता न हो, लेकिन इलेक्शन लड़ने के लिए वे दिनरात मेहनत से जुटे हुए हैं। उन्हें इस बात की भी चिंता नहीं है कि उनकी जमानत जब्त हो जाएगी। लोकसभा इलेक्शन में खड़े लखनऊ के कुछ कैंडीडेट्स से बात की गई तो कुछ ने अपनी जीत सुनिश्चित बताई तो किसी ने भगवान भरोसे छोड़ दिया।

मुद्दे अभी प्रिंट नहीं हुए

उत्तर प्रदेश रिपब्लिकन पार्टी के राधा कृष्ण ने बताया कि उनकी पार्टी का ऑफिस राजेंद्र नगर में है। इसी ऑफिस के माध्यम से वह लखनऊ में प्रचार-प्रसार की बांगडोर संभाल रहे हैं। प्रचार के बारे में उन्होंने बताया कि अभी तक हमारे पास कोई ऐसा मैटर नहीं है जिसे हम पब्लिक को दे सकें। मैटर प्रिंट होने के लिए गया है। उसके आते ही प्रचार शुरू हो जाएगा। फिर हमारा बजट भी कोई बहुत बड़ा नहीं है।

जनसम्पर्क मेरा हथियार

लखनऊ लोकसभा इलेक्शन में उतरे निर्दल प्रत्याशी घनश्याम सिंह ने बताया कि उनका चुनावी दफ्तर विष्णुपुरी अलीगंज में है। प्रचार के लिए जनसम्पर्क ही उनके लिए बढि़या तरीका है। उन्होंने बताया कि प्रचार के लिए कोई हाईटेक तरीका नहीं अपना रहे हैं। प्रचार के लिए मेरे पास एक गाड़ी है। उसी में अपने समर्थकों के साथ बैठकर मैं लोगों से जनसम्पर्क कर चुनाव जिताने की अपील कर रहा हूं।

अभी बनवा रहे पम्फलेट

एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी अशोक पांडेय ने बताया कि इनका ऑफिस घर में ही है। गोमती नगर में रहने वाले अशोक पांडेय ने बताया कि पम्फलेट बनवा रहे हैं। जल्द ही इन्हें पब्लिक में बांटा जाएगा। फिलहाल, अशोक भी चुनाव प्रचार के लिए कोई हाईटेक तरीका नहीं अपना रहे हैं। वे भी जनसम्पर्क करके अपना चुनाव मजबूत करने में जुटे हुए हैं।

बॉक्स

Office का ताला खोलने का समय नहीं मिला

लखनऊ संसदीय सीट से एक और विरलय हैं जो चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। उनका नाम है शैलेंद्र सिंह। उन्होंने आईएम तिराहे के पास अपना ऑफिस खोल रखा है। मगर आज तक उन्होंने अपने चुनावी कार्यालय का ताला ही नहीं खोला है। जनसम्पर्क के लिए वे डोर टू डोर जाते हैं। अपनी तरफ से वे जीतने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, वे यह कहना नहीं भूलते कि हार-जीत का फैसला तो भगवान भरोसे है।