-साक्षी रेपकांड से सालों पहले के रेप केसेज में पीडि़तों को अब भी फैसले का इंतजार

-हर तारीख पर आरोपियों से सामना होने पर पीडि़तों के जख्म हो जाते हैं हरे

-आरोपी कानूनी दावपेंच का सहारा लेकर मामले को खींच रहे हैं लंबा

- शहर का बढ़ता अपराध ग्राफ और कोर्ट की कमी से भी हो रही न्याय में देरी

KANPUR : शहर के बहुचर्चित साक्षी रेपकांड में कोर्ट ने दो साल के अंदर सुनवाई पूरी कर आरोपी अमरजीत शाही को दोषी करार देते हुए सजा सुना दी है। लेकिन जिले की कोर्ट में रेप के फ्00 से ज्यादा मुकदमे चल रहे हैं। जिसमें कई मुकदमे तो सालों पुराने हैं। पीडि़त और उनके परिजन हर तारीख पर न्याय की उम्मीद लेकर कोर्ट की चौखट में पहुंचते हैं, लेकिन आरोपी कानूनी दावपेंच का सहारा लेकर अगली तारीख ले लेते हैं या फिर गैरहाजिर हो जाते हैं। कई पीडि़त इतने गरीब हैं कि उनके पास अच्छा वकील करने के पैसे नहीं है। हर तारीख पर पीडि़ता को आरोपी का सामना करना पड़ता है। जिससे उसके जख्म हरे हो जाते हैं। उसको दोबारा दुष्कर्म की पीड़ा होने लगती है। वहीं, आरोपी पीडि़ता पर फब्तियां भी कसते हैं, ताकि वो शर्म और बेइज्जत होने के डर से आरोपियों से समझौता कर लें। आइए आपको साक्षी रेप कांड के पहले के कुछ रेप केसेज के बारे में बताते हैं। जिसमें पीडि़त परिवार इंसाफ पाने के लिए आज भी कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं।

वन्दना गैंगरेप कांड : छह साल से न्याय का इंतजार

मूल रूप से बिहार की रहने वाली सविता कानपुर में सेंट्रल स्टेशन के पास झोपड़ी में रहती थी। क्भ् फरवरी को उसकी क्क् साल की बेटी घर के बाहर खड़ी थी। तभी आरपीएफ का जवान विनय, ठेकेदार अमर सिंह, लम्बू, पप्पू, लल्लू, संतोष और शादाब ने बेटी को अगवा कर लिया। जिसके बाद वे उसको यार्ड में ले गए थे। जहां पर सभी ने उसके साथ रेप किया। जिसके बाद उसकी हत्या कर दी गई। केस के सभी आरोपी जमानत पर जेल से छूट चुके हैं। सविता बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए छह साल से कोर्ट के चक्कर लगा रही है। उसने बताया कि वो बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। उसका कहना है कि हर तारीख पर कोई न कोई आरोपी गैरहाजिर हो जाता है। जिससे मुकदमे में अगली तारीख लग जाती है। आरोपियों की पैरवी कई सीनियर वकील कर रहे हैं, लेकिन उसके पास अच्छा वकील की फीस देने के लिए रुपए नहीं हैं। लेकिन उसे अदालत पर पूर भरोसा है।

दिव्या रेपकांड : हर तारीख पर होता है 'रेप'

सिटी के चर्चित दिव्या रेप एंड मर्डर के मुकदमे में भी अभी फैसला नहीं हो सका है। रावतपुर स्थित ज्ञान स्थली स्कूल में ख्7 सितंबर ख्0क्0 को छात्रा दिव्या के साथ स्कूल प्रबंधक चंद्रपाल वर्मा के बेटे पीयूष ने रेप किया था। जिससे छात्रा की हालत बिगड़ गई थी। स्कूल के कर्मचारी गंभीर हालत में उसको घर के बाहर छोड़ गए थे। उस दिन डॉक्टरों की हड़ताल होने से उसका समय से इलाज नहीं हो सका और उसकी मौत हो गई। इसमें पुलिस ने पहले जांच में खेलकर एक निर्दोष को फर्जी फंसा दिया था, लेकिन आई नेक्स्ट की पड़ताल से सच्चाई सामने आ गई थी। जिसे संज्ञान में लेते हुए गर्वमेंट ने सीबीसीआईडी जांच कराई थी। जिसमें आरोपियों के असली चेहरे सामने आ गए। सीआईडी ने स्कूल प्रबंधक चंद्रपाल, उसके बेटे मुकेश और पीयूष और कर्मचारी संतोष को नामजद कर जेल भेजा था। जिसमें स्कूल प्रबंधक, उसके बड़े बेटा और कर्मचारी की जमानत हो गई है। दिव्या के वकील एडवोकेट अजय भदौरिया ने बताया कि मुकदमा गवाही में चल रहा है। इसमें क्फ् गवाहों के बयान हो चुके है, जबकि फ्8 गवाहों के अभी बयान दर्ज होने हैं। वहीं, दिव्या की मां सोनू के मुताबिक हर तारीख पर बेटी के हत्यारों से सामना होता है और बेटी की पीड़ा का एहसास होता है। वो लम्बी तारीखों से परेशान हो चुकी है।

नीलम रेपकांड: चार साल से चल रही है सुनवाई

रावतपुर में सन् ख्0क्0 में हुए नीलम रेप कांड के भी आरोपी जमानत पर जेल से छूट गए हैं। उसके परिजन आरोपियों को सजा दिलाने के लिए कड़ी पैरवी कर रहे हैं, लेकिन आरोपी मेडिकल, गैरहाजिरी समेत अन्य कानूनी दावपेंच का सहारा लेकर केस को लम्बा खींचने की जुगत भिड़ा रहे हैं। साथ ही वो पीडि़त परिवार पर भी समझौता करने का दबाव डाल रहे हैं। इस केस के सुनवाई भी चार साल से चल रही है।

इन्हें भी है न्याय की आस

बेगमपुरवा में रहने वाली पंद्रह वर्षीय किशोरी को सन् ख्009 में पड़ोसी मो। आफताब मां के एक्सीडेंट होने का झांसा देकर दोस्त के घर ले गया। वहां पर दोनों ने उसके साथ रेप किया। इसके बाद उसको मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी देकर छोड़ दिया। उसने घर जाकर पिता को पूरी बात बताई, तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने बेटी को बाबूपुरवा थाने ले जाकर आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। इस मामले के भी आरोपी जमानत पर छूट गए हैं। वहीं, किशोरी की पढ़ाई छूट गई है। वो कहीं जाती है, तो इलाकाई लड़के उस पर फब्तियां कसते हैं। कोर्ट में आरोपियों का सामना होने पर वो सहम जाती है, लेकिन वो आरोपियों को सजा दिलाने के लिए केस लड़ रही है। उसका कहना है कि अगर आरोपियों को सजा नहीं मिलेगी, तो वो आत्महत्या कर लेगी।

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कोर्ट की कमी से बढ़ रही है मुकदमों की पेंडेंसी

सीनियर एडवोकेट कौशल किशोर शर्मा के मुताबिक शहर का क्राइम ग्राफ बढ़ रहा है, लेकिन उसकी अपेक्षा यहां पर कोर्ट कम है। कोर्ट में मुकदमों की पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। जिसमें रेप के केस भी हैं। एक कोर्ट में औसतन हर दिन क्भ् से ख्0 मुकदमों की सुनवाई होती है। ऐसे में शेष केस अगले दिन सुने जाते हैं। इसी वजह से कोर्ट की संख्या बढ़नी चाहिए। वहीं, रेप के मामलों की सुनवाई महिला जज करती हैं। यहां पर महिला जज कम हैं। इसलिए महिला जजों की संख्या को बढ़ाना होगा। तभी मुकदमों में जल्द फैसला हो सकेगा।

कानूनी दांवपेंच पर लगाम कसनी चाहिए

एडवोकेट विनय अवस्थी के मुताबिक रेप जैसे संगीन मामलों में गवाहों और आरोपियों की गैरहाजिरी को रोकना होगा। आरोपी बीमारी का मेडिकल बनाकर गैरहाजिर हो जाते हैं। जिसमें मुकदमे की सुनवाई टल जाती है। वहीं, गवाहों का बयान और जिरह भी एक दिन में होनी चाहिए। अभी गवाह के बयान और जिरह कई दिन चलती है। जिससे सुनवाई में देरी होती है। इसके अलावा रेप के केस की चार्जशीट दाखिल होते ही उसी दिन मुकदमे को सेशन कोर्ट में भेज देना चाहिए। अभी चार्जशीट दाखिल होने के कई महीनों बाद मुकदमा सेशन में सुनवाई के लिए भेजा जाता है। इसके अलावा पुलिस को भी जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए।