अनकंट्रोल पर्सनालिटी से बिखरी रहती है सोच

महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग के दूसरे लिंब नियम के बारे में योग गुरुओं का यही कहना है कि जिंदगी में कुछ भी करने के लिए सेल्फ-डिसिप्लिन सबसे ज्यादा जरूरी है. क्योंकि जब तक हमारी अपनी पर्सनालिटी कंट्रोल्ड नहीं होगी, हमारी सोच बहुत बिखरी हुई होगी. एक बिखरी हुई सोच के साथ कोई भी इंडिविजुअल फोकस्ड नहीं रह सकता और बिना फोकस के लाइफ में कुछ भी पाना बहुत ही मुश्किल हो जता है. इस बारे में जब हमने बात की पांच बार वर्ल्ड अमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियन एमसी मैरीकॉम से बात की तो उनका कहना था, 'मैं लाइफ में डिसिप्लिन को सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंस देती हूं. मेरे ख्याल से अपने पैशन को फॉलो करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत इसी की होती है. आज मैं इस मुकाम हूं तो इसके पीछे मेरा एक फिक्स रूटीन रहा है जिसे मैं हमेशा ही बहुत स्ट्रिक्टली फॉलो करती हूं.'

शेड्यूल को लेकर रहती हैं स्ट्रिक्ट

मैरी ना सिर्फ खुद को प्रिपेयर करने में बिजी रहती हैं बल्कि एस्पायरिंग बॉक्सर्स को ट्रेनिंग भी प्रोवाइड करती हैं. उनका कहना है, 'मैं कुछ स्टूडेंट्स को कोच करती हूं जिनके शेड्यूल को लेकर भी मैं बहुत स्ट्रिक्ट हूं. खुद भी डिसिप्लिन में रहकर मैं उन्हें भी यही सिखाती हूं कि अपने एम को पाने के लिए यह कितना इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है. इसके अलावा मुझे अपनी डाइट का भी पूरा ध्यान रखना है. ऐसा नहीं है कि मैं जो चाहे खा सकती हूं. मेरे लिए मेरा वेट गेन और वेट लॉस दोनों ही बहुत इंपॉर्टेंट हैं. मुझे एक पर्टिकुलर वेट को मेंटेन करना है जिसके चलते अगर मैंने जरा सी भी लापरवाही की तो यह मेरे लिए बहुत मुश्किलें खड़ी कर सकता है.'

लाईफ में होना चाहिए डिटरमिनेशन

डिसिप्लिन को लेकर अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता इसे फॉलो करने से लाइफ कुछ नियमों और कानूनों में बंध जाती है और हर नियम को फॉलो करना मुश्किल होता है. इस बारे में जब हमने मैरी से सवाल किया तो उनका कहना था, 'देखिए, बस एक बार अपना रूटीन बनाने की जरूर होती है. जैसे हम मशीन से काम लेते हैं, वैसे ही हमें खुद से भी काम लेना आना चाहिए. मशींस में सारे फंक्शंस पहले से ही इनबिल्ट होते हैं और हमारे एक बार उसे चालू करते ही वह अकॉर्डिंगली काम करने लगती है. तो इसी तरह हमें खुद को भी कुछ सिस्टम्स में ढालने की जरूरत होती है ताकि हम जरूरत के अकॉर्डिंग अपने हार काम को एफीशिएंटली कर पाएं. हां, इसके लिए थोड़े डिटर्मिनेशन की तो जरूरत होती है जो हमें एक फिक्स रूटीन को फॉलो करने के लिए इंस्पायर करता है.'

बोझ नहीं बनना चाहिए अनुशासन

मैरी कॉम का आगे यह कहना था कि डिसिप्लिन को अगर बर्डन समझा जाएगा तो इसे फॉलो करना इंपॉसिबल हो जाएगा. उनके मुताबिक, 'हम लाइफ में जो काम करना चाहते हैं और अगर उसके लिए पैशनेट हैं तो फिर डिसिप्लिन बर्डन कभी नहीं बनना चाहिए. मैंने तो कभी ऐसा नहीं सोचा. इनफैक्ट, मैं अपने रूटीन को पूरी तरह से एंज्वॉय करती हूं.'

शेड्यूल फॉलो करके गिराया वेट

अपनी लाइफ का एक किस्सा शेयर करते हुए वह कहती हैं, 'जब मैंने अपने थर्ड बेबी को जन्म दिया था तो उसके बाद मैंने काफी सारा वेट गेन कर लिया था. पहले जहां मेरा वेट 51 किलो हुआ करता था, वो बढ़कर 65 किलो हो गया था. मैं बहुत परेशान थी क्योंकि मुझे कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में भी पार्टिसिपेट करना था. फिर मैंने अपने कोच से बात की और उन्होंने मेरे लिए एक शेड्यूल बनाया. इस वक्त मेरे लिए सबसे इंपॉर्टेंट था कि मैं उस शेड्यूल को फॉलो करते हुए अपने सपनों को पूरा करूं. और दो हफ्तों के अंदर मैं अपना वेट 65 किलो से 51 किलो तक लाने में सक्सेसफुल हो गई. इन फैक्ट एक महीने तक मुझे हाई ट्रेनिंग शेड्यूल्स भी फॉलो करने थे और साथ ही अपने बेबी को भी देखना था.'

मन को शांत रखता है मेडिटेशन

मैरी काम का मानना है लाइफ में कई चीजों को साथ में मैनेज करना होता है और अगर हम डिसिप्लिंड नहीं होंगे तो हम किसी भी चीज के साथ जस्टिस नहीं कर पाएंगे फिर चाहे वो प्रोफेशन हो या फैमिली. इसीलिए लाइफ में डिसिप्लिन और एक ऐसे शेड्यूल की जरूरत होती है कि हम अपने सभी इंपॉर्टेंट काम को साइमल्टेनियसली पूरा करते चलें. वह कहती हैं, 'लाइफ में बहुत कुछ हैंडल करने के लिए डिसिप्लिन के साथ हमारे माइंड का पीसफुल और फोकस्ड होना भी बहुत जरूरी है. अगर आप मुझसे पूछें कि इतने हेवी शेड्यूल्स और वर्कआउट्स के बाद मैं खुद को रिलैक्स्ड कैसे रखती हूं तो मेरे लिए मेडिटेशन बहुत काम का साबित होता है. यह मुझे ना सिर्फ शांत रखता है बल्कि मुझे स्टेबिलिटी भी देता है. इसलिए ध्यान और मेडिटेशन भी मेरी लाइफ का एक इंपॉर्टेंट पार्ट हैं.'