ALLAHABAD: लोकगीतों, लोक कथाओं और लोक आख्यानों ने सामाजिक विद्रूपता और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे हैं। लोक कलाओं ने हमेशा ही जन-जागरूकता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सच कहा जाए तो यही वे माध्यम हैं जो सही मायनों में जन-संवाद करते हैं। यह बात नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो। के.बी। पाण्डेय ने कही। प्रो। पाण्डेय लोक मीडिया शोध अकादमी द्वारा ''लोक माध्यम और जनसंवाद'' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन कर रहे थे।

विशिष्ट अतिथि दूरदर्शन केन्द्र, इलाहाबाद की कार्यक्त्रम प्रमुख तेजेन्दर वार्ष्णेय ने कहा कि जनसंवाद से रेडियो और दूरदर्शन गहराई के साथ जुड़ा हुआ है। यही वजह है कि दूरदर्शन और आकाशवाणी लगातार लोक कलाओं से लोगों को जोड़े रखे है। विज्ञान परिषद के प्रधानमंत्री प्रो। शिवगोपाल मिश्र ने लोक कलाओं के माध्यम से विज्ञान के प्रचार-प्रसार की जरूरत पर बल दिया। प्रख्यात बिरहा गायक डॉ। मन्नू यादव ने कहा कि आने वाला समय लोक कलाओं का ही होगा। लोक मीडिया शोध अकादमी के मानद निदेशक डॉ। धनंजय चोपड़ा ने कहा कि हमारी वाचिक परम्पराएं हमारे जनसंवाद का अप्रतिम साधन रही हैं। यही वजह है कि लोक माध्यम अधिक प्रासंगिक हो गये हैं. प्रो। संतोष भदौरिया, हरिमोहन मालवीय, यश मालवीय, डॉ। मधु शुक्ला, अतुल यदुवंशी, सुषमा शर्मा, शैलेष श्रीवास्तव, प्रवीण शेखर व धीरज अग्रवाल ने विचार व्यक्त किये। राष्ट्रीय संगोष्ठी में अध्यापकों व शोधार्थियों के साथ स्नातक व परास्नातक विद्यार्थियों ने शोध आलेख प्रस्तुत किये। आभार ज्ञापन संस्था के योजना सचिव ज्ञानू जी श्रीवास्तव ने किया। प्रो। अनीता गोपेश,, मिताली, सृष्टि पुरवार, अनुश्री जायसवाल, देवव्रत द्विवेदी, विद्यासागर, सचिन मेहरोत्रा, अनिल रंजन भौमिक, अमित मौर्या, रितु माथुर, जितेन्द्र सिंह यादव आदि उपस्थित थे।