क्या मिला जांच में
इनकम टैक्स विभाग ने फिलहाल इन खाताधारकों की जांच शुरू कर दी है. जांच पूरी होने के बाद इनके ख्रिलाफ वित्तिय मामले दर्ज किए जाएंगे. उसके बाद इनके नामों का खुलासा किया जाएगा. इसके अलावा एसआईटी ने यह भी पाया है कि उसको एचएसबीसी बैंक के खाताधारकों की जो सूची सौंपी गई है उसमें करीब आधे खातों में कोई पैसा नहीं है. वहीं सूची में सौ से अधिक नामों को दोहराया गया है. इस स्थिति में इनके खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने में मुश्किलें सामने आ रही हैं.     

पूरे मामले पर एक नजर
खबर है कि सुप्रीम कोर्ट को सरकार की ओर से सौंपी गई सूची में कुल 628 खाते धारकों के नाम है. इस सूची को सरकार ने फ्रांस से लिया था. इसमें एचएसबीसी जिनेवा में भारतीय खाताधारकों की लिस्ट दी गई थी. जांच में एसआईटी ने यह पाया कि इस सूची में दिए गए खाताधारकों में से करीब 289 के खातों में बैलेंस शून्य है. वहीं 122 नाम सूची में दो बार आए हैं. एसआईटी के सूत्रों का कहना है कि ऐसे में इस बात का पता लगाया जा रहा है कि आखिर यह खाते कब जीरो बैलेंस में आ गए.

क्या कहते हैं इनकम टैक्स विभाग के सूत्र
इनकम टैक्स विभाग के सूत्रों की मानें तो हॉन्गकॉन्ग, मॉरिशस और यूएई में जितने भारतीय खाताधारकों की सूची दी है, वे सब बेहद बड़े खाताधारक हैं. अभी तक की जांच में फिलहाल यह बात सामने आई है कि कई खातों में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जमा है. देखा जाए तो यह मामला बड़ा है, इसलिए इन देशों की सरकार और टैक्स विभाग से मदद ली जा रही है ताकि जांच पुख्ता रूप से की जा सकें और इसमें किसी प्रकार कमी की कोई गुंजाइश न हो.

क्या है रास्ता ब्लैक मनी जाने का
वहीं आईटी विभाग के अफसरों ने बताया कि जांच के साथ इस बात का पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर किस रास्ते से ब्लैक मनी हॉन्गकॉन्ग, मॉरिशस और यूएई में ब्लैक मनी जमा की गई. इसको लेकर जांच के लिए ईडी की भी मदद ली जाएगी. जांच का एक खास और बेहद दिलचस्प एंगल यह है कि मॉरिशस में कई भारतीय कंपनियों की सब्सिडरी भी है. क्या इन सब्सिडरी का इस्तेमाल ब्लैक मनी को बाहर ले जाने में किया गया है. इस बारे में विदेश मंत्रालय ने मॉरिशस सरकार से बात की है और मॉरिशस ने इस बारे में पूरी तरह से सहयोग करने का वादा किया है.

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