निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष ने पेश किये दस्तावेज, कॉमर्स विभाग के कार्यालय सहायक ने बेटे को जानबूझकर प्रवेश से बाहर किये जाने का लगाया आरोप

दूसरे को चार्ज देकर लम्बी छुट्टी पर गये विभागाध्यक्ष प्रो। अनिल कुमार

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एक बार फिर फर्जी प्रवेश का मामला गरमा गया है। वह भी किसी और कोर्स में नहीं, बल्कि इविवि में स्थित मोनिरबा के एमबीए कोर्स में। इविवि में एकेडमिक सेशन 2017-18 में एमबीए में पाल्य कोटे के तहत दो फर्जी प्रवेश हुये हैं। यह दावा निवर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्रा की ओर से शुक्रवार को छात्रसंघ भवन पर बुलाई गई प्रेस वार्ता में किया गया है। प्रवेश का मामला गर्माने के बाद कॉमर्स डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। अनिल कुमार लम्बी छुट्टी पर चले गये हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा भी दिया है।

कहा स्थाई नहीं है दोनो की नियुक्ति

उन्होंने फर्जी प्रवेश से जुड़े हुये दस्तावेज भी मीडियाकर्मी के सामने पेश कर दिया है। रोहित मिश्रा ने प्रेस वार्ता में बताया कि एमबीए में इम्पलाई वार्ड कोटे में आशुतोष कमल तथा शुभम सक्सेना का गलत प्रवेश लिया गया है। इनमें आशुतोष के पिता कमल कुमार श्रीवास्तव केपीयूसी हास्टल के कर्मचारी हैं जबकि शुभम के पिता संजीव कुमार विवि में आन्तरिक लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर तैनात हैं। इनकी नियुक्ति 13 जून 2017 को की गई थी। रोहित ने पत्रकारों को बताया कि पाल्य कोटे में प्रवेश वही ले सकता है जिसकी नियुक्ति विवि में स्थायी या नियमित तौर पर की गई हो।

एक ट्रस्ट के दूसरे प्रतिनियुक्ति पर

रोहित के मुताबिक आशुतोष के पिता कमल कुमार श्रीवास्तव ट्रस्ट के हास्टल में तैनात कर्मचारी हैं। जिनकी नियुक्ति स्थाई नहीं है। वहीं शुभम के पिता संजीव की नियुक्ति प्रति नियुक्ति पर हुई है। इन दोनो प्रवेश के विरूद्ध एक शिकायत वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग के कार्यालय सहायक अनिल कुमार श्रीवास्तव द्वारा भी प्रवेश निदेशक इविवि के समक्ष की गई है। जिसमें स्थाई कर्मचारी अनिल कुमार ने अपने पुत्र अमित कुमार श्रीवास्तव को जानबूझकर प्रवेश से बाहर किये जाने की बात कही है।

पाल्य कोटे के तहत प्रवेश से पहले रजिस्ट्रार को अपना एप्रूवल देना होता है। यह देखा जायेगा कि रजिस्ट्रार ने क्या लिखकर दिया है? इन दोनो प्रवेश की सख्ती से जांच पड़ताल की जायेगी। इससे पहले जनरल कोटे में तीन अतिरिक्त प्रवेश लिये जाने का मामला भी मेरे संज्ञान में आया था। मैने उसी समय कह दिया था कि यह प्रवेश का गलत तरीका है।

प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण,

प्रवेश निदेशक इविवि