आई एक्सक्लूसिव --

-मेडिकल के ईएमओ ने शताब्दीनगर में खरीदा था 53 गज का प्लॉट

-बाबुओं ने बाजीगरी दिखा हड़प लिया प्लॉट, रिकार्ड भी कर दिया गायब

-छह माह से एमडीए के चक्कर काट रहे ईएमओ साहब, नहीं सुनवाई

mohit.sharma@inext.co.in

Meerut: अपने अजग-गजब कारनामों के लिए मशहूर एमडीए बाबुओं का एक नया खेल मामला सामने आया है। सरकारी कागजों व फाइलों में छेड़छाड़ तो ठीक इस बार इन घाघ बाबुओं ने मेडिकल ईएमओ (इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर) का पूरा प्लाट ही गायब कर दिया। बाबुओं ने सीएमओ के मेरठ से ट्रांसफर का फायदा उठाकर पूरे खेल को अंजाम दे डाला। मामले का खुलासा तब हुआ जब ट्रांसफर के बाद दोबारा मेरठ तैनाती मिलने पर सीएमओ ने एमडीए पहुंचकर प्लॉट के संबंध में तफ्तीश की। एमडीए से तफ्तीश के बाद जो परिणाम सामने आए उसको देखकर सीएमओ के होश उड़ गए।

क्या है मामला

मूल रूप से उन्नाव के रहने वाले डॉ। नितिन यादव 2011 में मेरठ मेडिकल कॉलेज में ईएमओ पद पर तैनात थे। इस दौरान डॉ। नितिन ने एमडीए की न्यूली लांच योजना शताब्दीनगर थर्ड सेक्टर-7 में एक प्लॉट के लिए आवेदन किया। योजना में 53.12 वर्ग मीटर प्लाटों के लिए लॉटरी के दौरान नंबर आने पर डॉक्टर ने गाजियाबाद शाखा की एचडीएफसी बैंक के माध्यम से प्लॉट के लिए 39390 रुपए का भुगतान एमडीए को कर दिया। इसके बाद सीएमओ डॉ। नितिन ने प्लॉट संबंधी सभी औपचारिकताएं पूर्ण करते हुए किस्त शुरू कर दी। इस दौरान डॉ। नितिन का मेरठ से ट्रांसफर होने के कारण प्लाट की किस्त इरेगुलर हो गई।

कैसे हुए खुलासा

चार साल तक मेरठ से बाहर रहने के बाद जब डॉ। नितिन की पोस्टिंग पुन: मेरठ में हुई तो उन्होंने एमडीए पहुंचकर प्लॉट की सुध ली। इस दौरान एमडीए अफसरों द्वारा डॉक्टर को शताब्दीनगर थर्ड योजना दो साल पूर्व निरस्त हो चुकने की बात बताई। एमडीए अफसरों के गोलमोल जवाब पर जब डॉक्टर ने अपनी फीस रिफंड करने की बात कही तो अफसरों ने उनकों टहलाना शुरू कर दिया। छह माह तक एमडीए के चक्कर लगाने से परेशान डॉक्टर ने जब इसकी शिकायत प्राधिकरण वीसी राजेश यादव से की तो प्राधिकरण हरकत में आया और गेंद योजना विभाग से निकल कर प्रॉपर्टी अनुभाग में पहुंच गई।

गुम कर दिए रिकॉर्ड

गेंद प्रॉपर्टी अनुभाग में आने के बाद जब ईएमओ ने अनुभाग के अफसरों से तफ्तीश की तो संबंधित फाइल तलाशने के आदेश जारी किए गए। इसके बाद भी जब महीनों तक फाइल का कोई सुराग नहीं चला तो डॉक्टर ने मामला आला अफसरों के समक्ष उठाने की चेतावनी दे दी, लेकिन कोई परिणाम सामने नहीं आया। प्रकरण एक बार वीसी के दरबार में पहुंचा। जिस पर प्रॉपर्टी अनुभाग के बाबुओं ने संबंधित प्लॉट संबंधी कोई भी रिकार्ड उपलब्ध न होने की बात कह कर पूरे मामले को बंद कर दिया।

मैंने अपने प्लॉट के रिफंड की मांग उठाई थी, लेकिन प्लॉट का रिकार्ड ही गुम कर दिया गया। एमडीए अफसरों ने अभी तक कोई सकारात्मकता नहीं दिखाई है। वीसी कार्यालय में मामला विचाराधीन है।

डॉ। नितिन यादव, इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर

मेरे संज्ञान में मामला नहीं है। यदि इस तरह का मामला है तो रिफंड कराया जाएगा। रिकॉर्ड गायब होने की जांच कराई जाएगी। दोषियों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

राजेश यादव, वीसी एमडीए