स्कूलों में सुरक्षा पर पैरेंट्स और स्कूल मैनेजमेंट ने की सार्थक चर्चा

स्कूलों के साथ ही पैरेंट्स के भी दायित्व निभाने पर बनी सहमति

ALLAHABAD: हरियाणा के गुरुग्राम में स्कूल के अंदर स्टूडेंट की हत्या के बाद हर जगह स्कूल परिसर में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कैंपेन चलाया जिसमें कई बातें सामने आई। इन्हीं मूद्दों को लेकर मंगलवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट कार्यालय में स्कूल प्रबंधन और पैरेंट्स के बीच डिबेट हुई।

पैरेंट्स को हो पूरी जानकारी

बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे पर डिबेट में पैरेंट्स ने कई समस्याएं रखीं। उनका कहना था कि मौजूदा समय में चाह कर भी पैरेंट्स स्कूल से बहस करने की स्थिति में नहीं हैं। ये कई गड़बडि़यों की जानकारी होते हुए भी स्कूल प्रबंधन के सामने अपनी बात नहीं रख पाते, क्योकि उन्हें मौका ही नहीं मिलता। स्कूल अपने ढंग से सभी चीजों पर फोकस करते हैं। पैरेंट्स को इतने कायदे कानून बता दिए जाते हैं कि वे कुछ बोलने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते हैं। गौरी शंकर वर्मा ने कहा कि बच्चों को स्कूल पहुंचने में थोड़ी सी देर हो जाती है तो गेट बंद कर दिया जाता है। फिर असेंबली के बाद ही उन्हें अंदर आने की इजाजत मिलती है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा का क्या होगा। स्कूल को चाहिए कि वह बच्चों को अंदर दाखिल होने दें। अंदर ही उन्हें दूसरी तरफ खड़ा करा लें और असेंबली में शामिल नहीं होने दें। क्योंकि पूरी असेंबली के दौरान बच्चे यदि सड़क पर खड़े रहे तो उनके साथ कोई भी हादसा हाे सकता है। प्रमिल केसरवानी ने कहा कि शहर में कई ऐसे स्कूल हैं, जिनके पास असेंबली कराने की भी जगह नहीं है। ऐसे स्कूल कुछ कमरों तक ही सीमित हैं और बच्चों की सुरक्षा का दावा करते हैं। इन स्कूलों के पास अगर जगह नहीं है तो पैरेंट्स की क्या गलती। आखिर प्रशासन ऐसे स्कूल खोलने की परमीशन कैसे देता है।

पैरेंट्स भी करें सुरक्षा में योगदान

स्कूल प्रबंधन ने भी कई सुझाव व समस्याओं की ओर पैरेंट्स का ध्यान खींचा। ओपेन डिबेट में प्रबंधन ने पैरेंट्स की लापरवाही शेयर की। एमपीवीएम ऋषिकुलम की प्रिंसिपल मोनिका दत्ता ने बताया कि स्कूल में क्लास फोर्थ में एक लड़का पढ़ता है। सुबह उसके पिता स्कूल छोड़ देते हैं। दोपहर में छुट्टी के बाद वह शाम चार बजे तक स्कूल में अकेले रहता है, क्योंकि उसको लेने के लिए पिता शाम चार बजे ही आते हैं। जब बच्चे की मां से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह किटी पार्टी में व्यस्त हैं। बच्चे के पिता ऑफिस से आते समय उसे ले आएंगे। मोनिका दत्ता ने कहा कि आखिर स्कूल प्रबंधन की क्या-क्या जिम्मेदारियां हैं। पैरेंट्स को भी अपनी जिम्मेदारियां समझनी होंगी। इलाहाबाद पब्लिक स्कूल चौफटका के डायरेक्टर राजीव मिश्रा ने बताया कि स्कूल में बच्चों की सुरक्षा के सभी प्रकार के इंतजाम किए गए हैं। क्लास रूम, गैलरी, वाशरूम के पास ही नहीं बल्कि फील्ड में भी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इन कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए भी अलग से स्टाफ लगे हैं। अगर टीचर भी गलत बिहैव करते हैं तो उसे भी बताने के लिए स्वतंत्र रखा गया है। मुन्नी देवी राम बालक ग‌र्ल्स इंटर कालेज मुंडेरा के उपप्रबंधक सुनील पाण्डेय ने कहा कि पैरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चों को लाड-प्यार करें, लेकिन उनकी हर जायज और नाजायज मांगों को पूरी करने से बचें। कई बार पैरेंट्स बच्चों को लाड़ प्यार में जरूरत से अधिक छूट दे देते हैं। इससे कई प्रकार की समस्याएं फेस करनी पड़ती हैं।

प्रत्येक स्कूल में पैरेंट्स की एक कमेटी बननी चाहिए। जो किसी भी दिन औचक निरीक्षण कर बच्चों की सुरक्षा व स्कूल में सुविधाओं का निरीक्षण कर सके। इस बार पीटीएम में मैं खुद ये प्रपोजल पैरेंट्स के सामने रखूंगा।

राजीव मिश्रा

निदेशक, एपीएस चौफटका

पैरेंट्स को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। कोई भी स्कूल नहीं चाहता कि उनके यहां पढ़ने वाले किसी भी बच्चे को कोई असुविधा हो, लेकिन पैरेंट्स और स्कूल प्रबंधन को मिलकर इस दिशा में वर्क करने की जरूरत है।

मोनिका दत्ता

प्रिंसिपल, ऋषिकुलम

पैरेंट्स को बच्चों पर नियंत्रण रखने की जरूरत है। मौजूदा समय में पैरेंट्स बच्चों को पर्याप्त समय नहीं देते हैं। पैरेंट्स को बच्चों की सभी बातों को दोस्त की तरह सुननी चाहिए और समस्याओं को दूर करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

सुनील पाण्डेय

उपप्रबंधक, एमडीआरबीजीआईसी

कई बार पैरेंट्स भी लापरवाही करते हैं। मेरे बच्चे भी एमपीवीएम में पढ़ते हैं। वहां सुरक्षा के इंतजाम हैं, लेकिन मेरे हिसाब से सबसे बड़ी जरूरत सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिए कदम उठाना है। वहां भी तो बच्चे ही पढ़ते हैं।

डॉ। शैलेश पाण्डेय

पैरेंट्स

जरूरत है कि स्कूल पैरेंट्स को पूरा समय दें और उनकी समस्याओं को सुनें। इसमें एक बात और की पैरेंट्स अर्नगल बातों को लेकर स्कूल पर दबाव ना बनाएं। खुले विचार से स्कूल और पैरेंट्स को मिलकर बच्चों की सुरक्षा के मुद्दे पर प्रयास करने की जरूरत है।

राम अवतार गुप्ता

पैरेंट्स

बच्चों की जरूरत पूरी करनी चाहिए। लेकिन किसी भी चीज की अति अधिक होती है। स्कूलों को भी बच्चों पर नजर रखने की जरूरत है। जिससे बच्चों में सुरक्षा की भावना बढ़ सके।

आनंद श्रीवास्तव

पैरेंट्स

स्कूलों में शिकायत बाक्स होना चाहिए। जिस में पैरेंट्स अपनी शिकायतों को लिखकर डाल सकें। इन शिकायतों पर आवश्यकता के अनुसार तत्काल कार्रवाई भी होनी चाहिए। जिससे पैरेंट्स का भरोसा बना रहे।

प्रमिल केसरवानी

पैरेंट्स

देर से आने पर बच्चों के लिए स्कूल का मेन गेट बंद कर दिया जाता है। ऐसे में बच्चे लंबे समय तक रोड पर ही खड़े रहते हैं। इससे उनकी सुरक्षा खतरे में रहती है। इस पर भी स्कूलों को ध्यान देने की जरूरत है।

गौरी शंकर वर्मा

पैरेंट्स

जिस तरह पैरेंट्स के लिए स्कूलों में लिमिटेड एरिया तक ही जाने की इजाजत होती है। उसी प्रकार स्कूल के नॉन टीचिंग स्टाफ के लिए भी ये व्यवस्था लागू होनी चाहिए।

गोपाल मिश्रा

पैरेंट्स

शहर में गली-गली में कई ऐसे स्कूल है, जहां सुरक्षा व्यवस्था शून्य है। उन स्कूलों की भी जांच होनी चाहिए और उनके खिलाफ भी एक्शन होना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं है।

अशोक केसरवानी

पैरेंट्स

स्कूल आने और छुट्टी होने के बाद कम से कम 45 मिनट का मार्जिन होना चाहिए। जिससे अगर पैरेंट्स को देर होती है तो बच्चों को स्कूल परिसर में सुरक्षित रखा जा सके।

संजीव कुमार गुप्ता

पैरेंट्स

पैरेंट्स की गलतियां तो स्कूल तुरंत निकालते हैं, लेकिन स्कूल को भी अपनी कमियों को देखने और समझने की जरूरत है। तानाशाही जैसी व्यवस्था जो कुछ स्कूलों में है, उसको समाप्त करना चाहिए।

विजय कुमार पटेल

पैरेंट्स

स्कूल प्रबंधन और पैरेंट्स को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। नाबालिग बच्चों को दो पहिया वाहन देने से बचना होगा। अगर कोई बच्चा वाहन का प्रयोग करते समय लापरवाही बरतता है तो उसके खिलाफ स्कूल प्रबंधन को जानकारी होने पर कार्रवाई करनी चाहिए।

विलास यादव

टीएसआई