- जुगाड़ी गन से मेडल जीतने का सपना

- उत्तर प्रदेश सरकार से बेहद खफा है मो। असब

- इनामी 73 लाख नहीं देने से नाराज होकर उत्तर प्रदेश छोड़ा था

- अब ओएनजीसी ने भी खर्च उठाने से किया मना

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nikhil.sharma@inext.co.in

Meerut : मैं शूटर हूं। वो शूटर जिसने बचपन में गन को थामकर विदेशों में तिरंगा तन से लपेटने का सपना देखा था। सपना पूरा तो हुआ, लेकिन अपने प्रदेश में गद्दी पर बैठे हुक्मरानों ने इसे नजरअंदाज ही किया। मेरे हिस्से का हक भी छिन लिया। क्या करता, मैंने अपना घर उत्तर प्रदेश छोड़ने का फैसला कर लिया, लेकिन मैं अब भी हलकान हूं। कॉमनवेल्थ गेम्स में जरूर देश को मेडल जिताने की जिद मन में पाले बैठा हूं, लेकिन समझ नहीं आता इस मेडल को जीतने के बाद मुझे पुचकारने वाला कौन होगा। माननीय मुख्यमंत्री जी आप युवा हैं, हम खिलाडि़यों के दिल का दर्द समझिए, एक शूटर का दर्द समझिए।

जुगाड़ू गन से खेलने पर मजबूर

ये कहानी है मेरठ के अंतर्राष्ट्रीय डबल ट्रैप शूटर मो। असब की। जो खराब हालातों के बीच कॉमनवेल्थ गेम्स में जुगाड़ू गन से खेलने को मजबूर हैं। मो। असब ने अपनी गन कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले इटली में सही कराई, जिसके लिए उसके म्0 हजार रुपए भी खर्च हुए। अब असब अपनी इस गन से ही देश को मेडल दिलाने की जिद पक्की कर बैठा है।

नहीं बनाया लाइसेंस

एक रिनाउंड शूटर को अपने पास चार गन रखने का अधिकार है। वो शॉटगन डीडीबीएल के ब् लाइसेंस बनवा सकता है। अभी मो.असब के पास दो गन हैं, जो बहुत पुरानी हैं। अगर असब का लाइसेंस बन जाता, तो वो अपने लिए एक नई विदेशी गन मंगवा सकता था।

पिछले एक साल से मजबूर

असब पिछले एक साल से डीएम कार्यालय के चक्कर काट रहा था, जिससे उसका लाइसेंस बन जाए। लेकिन कवाल कांड के बाद से प्रदेश सरकार ने लाइसेंस बनाने पर रोक लगा रखी है। जिससे असब समेत सैंकड़ों शूटरों का नुकसान हो रहा है।

मुश्किलें कम नहीं है

सितंबर ख्0क्फ् में प्रदेश सरकार की बेरुखी से परेशान होकर असब ने ओएनजीसी का दामन थाम लिया, लेकिन ओएनजीसी अब असब को स्पांसर करने को तैयार नहीं है, जिससे देश में होने वाली प्रत्येक चैंपियनशिप में खेलने पर उसके साल में ब् से भ् लाख रुपए खर्च होंगे।

उत्तर प्रदेश से बेरूखी क्यों

मो। असब उत्तर प्रदेश का एक शानदार शूटर है, जिसने उत्तर प्रदेश को नेशनल चैंपियनशिप में कई मेडल जिताए हैं। लगातार बढ़ते कद के बावजूद प्रदेश सरकार ने मेडल जीतने की इनामी राशि असब को नहीं दी। असब मेडल जीतता गया और बकाया राशि बढ़कर 7फ् लाख रुपए पहुंच गई। काफी परेशान होने के बाद जब ये राशि असब को नहीं मिली तो उसने उत्तर प्रदेश छोड़ने का प्लान बना लिया।

पॉलीटिक्स तो नहीं

असब अभी कॉमनवेल्थ खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इसके बाद एशियन गेम्स और व‌र्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी उसका नाम है। इतना बड़ा खिलाड़ी होने के बावजूद सवाल ये है कि आखिर ओएनजीसी उसे स्पांसर करने को तैयार क्यों नहीं है।

मुख्यमंत्री से गुहार

ग्लासगो से मो। असब ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि वो प्रदेश से खिलाडि़यों को ऐसे रुसवा होकर नहीं जाने दें। असब ने ये भी कहा कि अगर उत्तर प्रदेश सरकार उसे वापस बुलाती है तो वो आने को तैयार है, लेकिन इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सोचना होगा, खिलाडि़यों का सहयोग करना होगा।

मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं। लाइसेंस नहीं बनने से परेशान था। अब ओएनजीसी ने प्रॉब्लम क्रिएट कर दी है, जिससे मेरा ध्यान कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों में भी नहीं लग रहा है। अगर प्रदेश सरकार मुझे बुलाती है, तो मैं दोबारा उत्तर प्रदेश से खेलने को तैयार हूं।

मो। असब, अंतर्राष्ट्रीय शूटर