- कॉमनवेल्थ गेम्स में गए मेरठ के चार प्लेयर खेलते हैं हरियाणा की ओर से

- उत्तर प्रदेश के बेरूखी से नाराज मेरठ के सभी प्लेयर्स पर हरियाणा की छाप

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Meerut: इसे अपने मेरठ का दुर्भाग्य कहेंगे या फिर यूपी सरकार की नासमझी, जो विदेशों में तिरंगा लहराने वाले खिलाडि़यों के पसीने का मोल नहीं समझती है। इसे अपने मेरठ के खिलाडि़यों की दुर्गति ही तो कहेंगे जो कॉमनवेल्थ खेलों में पहुंचे हैं, मेडल भी जीतेंगे। लेकिन उनके जीते इन मेडलों पर हरियाणा अपना सीना चौड़ा करेगा। कैसे बता देतें हैं।

ये हैं हुनरबाज

ख्फ् जुलाई से ग्लासगो में शुरू हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में अपने मेरठ से चार खिलाड़ी अपना भाग्य आजमाने उतरेंगे।

गरिमा चौधरी: गरिमा चौधरी जूडो खेल में अपने प्रतिद्वधिंयों को चित्त करने उतरेगी। कैलाश पुरी निवासी गरिमा म्फ् किग्रा वर्ग में गरिमा अपनी चुनौती पेश करेगी।

अन्नू रानी: अन्नू रानी एथलेटिक्स खेल में मेरठ की उड़नपरी हैं। जिसे मेरठ से एथलेटिक्स में पहली बार कॉमनवेल्थ खेलों में भाग लेने का दर्जा मिला है। अन्नू जैवलिन थ्रो इवेंट में अपनी दावेदारी पेश करेंगी।

मो। असब: मो। असब इस वक्त देश के नंबर वन डबल ट्रैप शूटर हैं, व‌र्ल्डकप में मेडल जीतकर इस निशांची ने अपनी काबिलियत दर्शा दी थी। अब जैदी फार्म निवासी असब की निगाहें कॉमनवेल्थ खेलों में अपना पहला मेडल जीतने पर होंगी।

सीमा अंतिल: मेरठ की इस बहू से इस कॉमनवेल्थ गेम्स में बहुत उम्मीदें हैं। सीमा ने ख्0क्0 दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में भी ब्रांज मेडल जीता था। सीमा एथलेटिक्स इवेंट डिस्कस थ्रो की शानदार खिलाड़ी हैं।

दर्द इन खिलाडि़यों का

जितनी मेहनत ये खिलाड़ी मैदान में करते हैं, मेहनत से शरीर पर बने जख्मों को उत्तर प्रदेश सरकार ने हमेशा कुरेदने का ही काम किया है। तभी तो एक के बाद एक यूपी का खिलाड़ी किसी दूसरे प्रदेश का दामन थाम रहा है। यूपी सरकार कभी अपने खिलाडि़यों को समय पर जीते मेडल की इनामी राशि नहीं देती। नौकरी देने में भी प्रदेश सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं रहती है। अपने हक के पैसे मांगने में भी खिलाड़ी नेताओं के चक्कर काटते हैं। अब आपको बताते हैं कि इन खिलाडि़यों के यूपी छोड़ने की वजह क्या है।

- गरिमा चौधरी यूपी ही नहीं देश की नंबर वन जूडोका है। जो कई सालों से यूपी का नाम रोशन कर रही थी। लेकिन यूपी में उसके साथ हुई राजनीति और उसकी शिकायत सरकार से करने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं होने पर गरिमा ने यूपी छोड़ हरियाणा जाने का फैसला कर लिया। इस फैसले का एक बड़ा कारण यूपी सरकार का नौकरी नहीं देना और उसे कोई तवज्जों नहीं देना रहा।

अन्नू रानी

अन्नू रानी मेरठ का भविष्य का सितारा है। बेहद कम समय में दबथुआ गांव की इस उड़नपरी ने अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपने कदमों की छाप छोड़ी है। अन्नू ने जब नेशनल में पदक जीता तब सरकार ने नहीं पूछा, जब अन्नू ने एशियन चैंपियनशिप में पदक जीता, तो उत्तर प्रदेश सरकार की बेरूखी ने उसे झकझोर दिया। आखिरकार अन्नू ने यूपी का दामन छोड़ हरियाणा का थाम लिया।

सीमा अंतिल: सीमा अंतिल अपने देश की बेहतरीन एथलीटों में से एक हैं। ओलंपियन सीमा सही मायने में हरियाणा की बेटी है। लेकिन दो साल पहले उसका विवाह मेरठ में हुआ। जिसके बाद से वो मेरठ की बहू बन गई। लेकिन यूपी सरकार ने इस खिलाड़ी को भी उसकी ओलंपिक तैयारियों के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई। फिर सीमा ने भी यूपी की ओर से खेलने का अपना निर्णय बदल दिया।

मो। असब: अब बात करते हैं देश के नंबर वन डबल ट्रैप शूटर मो। असब की, ये वो खिलाड़ी हैं जिसने रोंजन सोढ़ी जैसे बड़े निशानेबाज का सफाया कर दिया और कॉमनवेल्थ खेलों में जगह बनाई। लेकिन ये होनहार पिछले एक साल से अपना लाइसेंस बनवाने के लिए भटक रहा है। कॉमनवेल्थ में चयन का हवाला देने के बावजूद यूपी सरकार पर कुछ असर नहीं हुआ। नतीजा हाल ही में मो। असब ने हरियाणा से खेलने का फैसला कर लिया है।

यूपी में खिलाडि़यों के लिए कुछ नहीं है। कोई खिलाडि़यों को पूछने वाला नहीं है।

गरिमा चौधरी, जूडोका

जब मैंने एशियन चैंपियनशिप में मेडल जीता, तो यूपी सरकार से बहुत उम्मीदें थी, लेकिन उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, तो दुख हुआ।

अन्नू रानी, एथलीट

यूपी से खिलाड़ी खेले तो उसका कोई एक कारण भी नजर नहीं आता। जो खिलाडि़यों के बारे ना सोचे तो हम उसके बारे में क्यों सोचें।

सीमा अंतिल, एथलीट

बहुत दुख हुआ है, मेरा लाइसेंस अभी तक नहीं बना था। मेरी कॉमनवेल्थ तैयारियों पर भी इसका असर पड़ा। लेकिन अब मैं हरियाणा से खेलने का फैसला कर रहा हूं।

मो। असब