- समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाते मरीज

- देरी से अस्पताल पहुंचने में इलाज में हो रही मुश्किलें

- एक्सप‌र्ट्स ने बताया, सड़कें हैं जिम्मेदार

LUCKNOW: हर साल की तरह इस साल भी दिमागी बुखार ने अब तक क्0ब् बच्चों की जान ले ली हैं। दिन पर दिन इस बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। यह बीमारी पूर्वाचल के जिलों में सबसे ज्यादा जाने ले रही हैं। सरकार सुविधाएं बढ़ा रही है, लेकिन मरीजों के समय से अस्पताल न पहुंच पाने के कारण समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही। गुरुवार को एचआरएचएम, स्टेट गवर्नमेंट और पाथ ऑर्गेनाइजेशन की ओर से आयोजित वर्कशॉप ये जानकारी सामने आई।

घटिया सड़कें ले रही बच्चों की जान

वर्कशॉप में एक्सप‌र्ट्स ने बताया कि बीमारी होने के आधे घंटे के अंदर बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचना अनिवार्य है। लेकिन ज्यादातर मरीज समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाते। घटिया सड़कों के कारण अस्पताल पहुंचने में चार पांच घंटे लग जाते हैं। जिसके कारण बच्चों को बचाया नहीं जा पा रहा है। दिमागी बुखार में इस समय जेई (जापानी इंसेफ्लाइटिस) और एईएस (एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) के कारण यह बीमारी तेजी से फैल रही है। इस साल अब तक क्0ब् बच्चों की मौत एईएस के कारण हो चुकी है। वहीं जेई के तीन मरीजों की पहचान हुई है।

सीएचसी, पीएचसी में भी मिलेगा इलाज

एनआरएचएम के मिशन निदेशक अमित घोष ने कहा कि तीन चरणों की स्ट्रेटजी के तहत इंसेफ्लाइटिस से निपटा जाएगा। उन्होंने बताया कि क्00 पीएचसी और सीएचसी को इंसेफ्लाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर्स में अपग्रेड किया गया है। गोरखपुर और बस्ती मंडलों के 7 जिलों के इन अस्पतालों में चौबीस घंटे एईएस और जेई की चिकित्सा सुविधाएं मौजूद हैं। इनमें पैशेंट्स को जल्द इलाज मिलेगा और मृत्युदर कम करने में मदद मिलेगी।

लगाई ख्फ्0 एम्बुलेंस

अमित घोष ने बताया कि वेंटीलेटर्स के साथ दस बेड की इंटेसिव केयर यूनिट्स बस्ती में स्थापित की गई हैं। इसके साथ ही क्08 व क्0ख् सेवा की ख्फ्0 एम्बुलेंस एईएस व जेई के लिए लगाई गई हैं। ब्भ्0 एम्बुलेंस कर्मियों को एईएस पैशेंट्स को फ‌र्स्ट एड देने और ले जाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। आने वाले समय में मृत्युदर में कमी आएगी।