- एमबीबीएस में एडमिशन दिलाने के रैकेट में तीन बड़े डॉक्टर शामिल

- नोयडा, लखनऊ, इंदौर, सहित कई जिलों के कंडीडेट्स के रूपए डूबे

- आरोपियों ने ज्यादातर डॉक्टर्स को ही ठगा

LUCKNOW: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में एमबीबीएस में एडमिशन के नाम पर लाखों रुपए डकारने के मामले में पुलिस के निशाने पर एक नहीं तीन बड़े डॉक्टर शामिल हैं। इसमें फार्माकोलॉजी के डॉ। डीके कटियार, माइक्रोबायोलॉजी के डॉ। केपी सिंह व इसी विभाग का एक और डॉक्टर शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार पुलिस अधिकारियों ने कुछ दिन पहले इस तीसरे डॉक्टर को एक कंडीडेट के रुपए लौटने का भी दबाव डाला था।

माइक्रोबायोलॉजी के दो डॉक्टर शामिल

एमबीबीएस में एडमिशन के नाम पर लाखों रुपए ठगने के मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। एफआईआर में आरोपी डॉ। डीके कटियार ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए पूरा आरोप माइक्रोबायोलॉजी के डॉ। केपी सिंह पर मढ़ दिया था, लेकिन पुलिस को पता चला है कि माइक्रोबायोलॉजी का एक और डॉक्टर इस रैकेट में शामिल है। पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने कुछ दिन पहले इस डॉक्टर से एक कैंडीडेट के लाखों रुपए वापस करने को कहा था। इस डॉक्टर ने रुपए अब तक वापस नहीं किए हैं और पुलिस अधिकारी ने जेल भेजने की धमकी भी दी थी।

ज्यादातर डॉक्टर्स को ही ठगा

डॉ। डीके कटियार, डॉ। केपी सिंह व अन्य ने मिलकर दो तीन नहीं बल्कि दर्जनों लोगों से एमबीबीएस में एडमिशन के नाम पर रुपए ले लिए थे। किसी दो से तीन लाख तो किसी से फ्0 से ब्0 लाख रुपए तक वसूले गए। लेकिन ज्यादातर शिकायत के लिए सामने नहीं आना चाहते। इनमें सबसे ज्यादातर डॉक्टर ही हैं। सूत्रों की माने तो तीनों आरोपी डॉक्टर पहले एमबीबीएस में एडमिशन दिलाने में कामयाब रहे थे जिस के कारण इनके जानने वाले डॉक्टर्स ने इन पर भरोसा किया। इनमें नोयडा, इंदौर, बरेली, लखनऊ के कई डॉक्टर्स व अन्य लोग शामिल थे जिन्होंने अपने बच्चों को बैकडोर से इंट्री कराने के लिए लाखों रुपए इन आरोपी डॉट‌र्क्स को दिया था। लेकिन इस साल सबके रुपए मारे गए। अब वह शिकायतें लेकर केजीएमयू आ हरे हैं। केजीएमयू के भी बड़े डॉक्टर्स को उनके बेटे के एडमिशन के लिए ऑफर दिया गया था। लेकिन उन्होंने इस ऑफर को स्वीकार नहीं किया। इसके अलावा सुल्तानपुर के एक बड़े डॉक्टर के भी कई दिनों के केजीएमयू के चक्कर लगा रहे हैं। उनके भी लाख रूपए इन डॉक्टरों ने गबन कर लिया। अपने बेटे का एडमिशन न हो पाने पर सिटी के ही एक मेडिकल कॉलेज में डोनेशन देकर एडमिशन करा दिया है।

फोन करके फंसाते थे स्टूडेंट

पुलिस सूत्रों के मुताबिक एमबीबीएस में एडमिशन दिलाने के लिए पूरा रैकेट चल रहा है। जो सीपीएमटी में बैठने वाले छात्रों के नम्बर जुगाड़ कर खुद फोन करके उनके साथ मोल भाव करते थे। अगर स्टूडेंट अपने आप सेलेक्ट हो गया तो रुपए रख लेते थे। फोन करने वाला गैंग नोयडा और लखनऊ से संचालित होता था। इसमें एक व्यक्ति बरेली का भी है।

रुपए कमाने में आगे हैं आरोपी डॉक्टर

केजीएमयू के डॉक्टर्स की माने तो फार्माकोलॉजी के आरोपी डॉक्टर प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में इंस्पेक्शन भी कराते हैं। ख्007, 08 बैच के एमबीबीएस डॉक्टरों ने बताया कि लास्ट इयर ही सिटी के एक प्राइवेट कॉलेज में बड़ी संख्या में एमबीबीएस कम्पलीट कर चुके छात्रों को ले गए थे। उनसे वादा किया था ख् घंटे के क्भ् हजार देंगे लेकिन बाद में सिर्फ भ् दिया और क्0 हजार अपनी जेब में रख लिए। जिसके कारण बड़ी संख्या में डॉक्टर उनसे नाराज हैं। एमबीबीएस के साथ ही पीजी और टीचर्स को भी प्राइवेट कॉलेजों में इंसपेक्शन के लिए ले जाते हैं।

पहुंचे वसूली करने

इंदौर निवासी हेमंत गुरुवार को अपनी मां के साथ केजीएमयू के फार्माकोलॉजी विभाग पहुंच गए। जब वो कटियार के कमरे में पहुचे तो पता चला कि वो रुपए वसूलने वाला तो कोई और था। जिसे हेमंत ने क्ख्.भ्0 लाख रुपए दिए थे। इसमें से भ्0 हजार नोयडा और क्ख् लाख डॉ। डीके कटियार के केबिन में वसूले गए थे। लेकिन डीके कटियार के नाम से किसी और ने ही उनसे वसूली की थी।

मेरे कमरे का इस्तेमाल डॉ.के.पी.सिंह ने किया और मुझे फंसाया है। अपना पक्ष मैंने पुलिस के समक्ष रखा है। जल्द ही जांच के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी। जिन लोगों को ठगा गया वो भी इस बात को समझ रहे हैं। मैं रोज केजीएमयू आ रहा हूं और अपने कमरे में उपलब्ध हूं। जबकि डॉ। केपी सिंह लगातार फरार चल रहे हैं।

- डॉ। डीके कटियार, फार्माकोलॉजी विभाग