- संविदा कर्मी हटाने पर हुई दिक्कत, दो माह से नहीं मिली सैलरी

- फिर प्राइवेट पैथोलॉजी के चक्कर लगाने को मजबूर मरीज

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) की बायोकेमेस्ट्री विभाग की लैब में इमरजेंसी जांच की सुविधा बंद कर दी गई है। चौबीस घंटे सुविधा देने वाली लैब में काम करने वाले सभी क्क् संविदा कर्मचारियों को हटाने के बाद यह संकट आ खड़ा हुआ। जिसके कारण क्वीन मेरी और मेडिसिन विभाग में अब ज्यादातर जांचे बाहर से कराई जा रही हैं।

केजीएमयू में चौबीस घंटे जांच की सुविधा वाली बायोकेमेस्ट्री विभाग में जांच की सुविधा जून ख्0क्ब् में शुरू हुई थी। इससे पहले सभी जांचे ट्रॉमा सेंटर में होती थी। वीसी रविकांत के निर्देश पर क्वालिटी मेनटेन रखने के लिए बायोकेमेस्ट्री लैब से सभी जांचे शुरू करने के निर्देश दिए गए थे। इसका सबसे ज्यादा ज्यादा लाभ क्वीन मेरी, मेडिसिन और ट्रॉमा सेंटर के मरीजों को मिली थी जिससे प्राइवेट पैथोलॉजी में मरीजों को भटकने से रोक लग गई थी । मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण लोड भी बढ़ता गया। जिसके कारण तीन टेक्नीशियन, पांच अटेंडेंट और स्वीपर की तैनाती भी की गई। जून से नवम्बर तक कर्मचारियों को वेतन दिया जाता रहा। लेकिन दिसम्बर से अचानक उनकी सैलरी रोक दी गई। तब से कर्मचारी बिना वर्क आर्डर के ही काम कर रहे थे। लेनिक रविवार से सभी को लैब न आने के आदेश दे दिए गए । जिसके कारण संडे को लैब नहीं खुली। इस मामले पर कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। रविवार को यूपीपीजीएमईई का एग्जाम होने के कारण अधिकारियों ने फोन भी नहीं उठाए।

इमरजेंसी जांच प्राइवेट पैथोलॉजी से

बायोकेमेस्ट्री जांच बंद होने के कारण क्वीन मेरी, ट्रॉमा सेंटर व लॉरी कॉर्डियोलॉजी के ज्यादातर मरीजों को डॉक्टर्स ने प्राइवेट पैथोलॉजी भेजना शुरू कर दिया है। क्वीन मेरी की एक रेजीडेंट ने बताया कि बायोकेमेस्ट्री विभाग की जांच रिपोर्ट रिलाएबल होती थी। जिसके कारण मरीजों को वहां भेजा जाता था। लेकिन अब जल्द रिपोर्ट और विश्वसनीय जांच के लिए मरीजों को प्राइवेट पैथोलॉजी भेज दिया जाता है। लेकिन प्राइवेट में दो से तीन गुना अधिक दामों पर जांचे कराई जा रही हैं। क्वीन मेरी में तो इमरजेंसी के ज्यादातर मरीजों को प्राइवेट ही भेजा जा रहा है। इस पर किसी अधिकारी की नजर नहीं जाती।