- मेडिकल कॉलेज में कम्यूनिटी से शुरू हुआ खून का कारोबार ब्वॉयज हॉस्टल तक पहुंचा

- बीएच-5 हॉस्टल के एक केयरटेकर पर बरगला कर दो फ‌र्स्ट ईयर स्टूडेंट्स का खून निकलवा कर बेचने का आरोप

- तीसरे स्टूडेंट्स ने शिकायत की तो खुला मामला, कॉलेज प्रशासन लीपापोती में जुटा

- बीएच-5 हॉस्टल के पीछे कम्यूनिटी में ही रहता है खून के काले कारोबार का सरगना हसन

KANPUR: मेडिकल कॉलेज कैम्पस में खून के 'काले कारोबार' का भंडाफोड़ करने के बाद आज आपका आई नेक्स्ट एक और खुलासा करने जा रहा है। मेडिकल कॉलेज की कम्यूनिटी मार्केट से शुरू हुआ यह कारोबार ब्वायज हॉस्टल तक कैसे पहुंच गया। इसी हफ्ते इस काले कारोबार का नया रूप देखने को मिला, जब बीएस-भ् हॉस्टल के एक मेडिकल स्टूडेंट ने केयर टेकर पर बरगला कर खून निकलवाने की शिकायत की। इससे पहले भी वह दो मेडिकल स्टूडेंट्स को बरगला कर खून निकलवा चुका था, लेकिन उन स्टूडेंट्स को ये भी नहीं पता है कि उनके डोनेट किए हुए खून का क्या हुआ

हॉस्टल के केयरटेकर ने निकलवाया खून

मेडिकल कॉलेज के बीएच-भ् हॉस्टल में फ‌र्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स रहते हैं। हॉस्टल की सुरक्षा का जिम्मा प्राइवेट एजेंसी को है। वार्डन के मुताबिक एजेंसी की ओर से एक केयरटेकर भी दिया गया है। दद्दू नाम का यह केयर टेकर हॉस्टल में ही रहता है। चार दिन पहले उसने हॉस्टल में रहने वाले फ‌र्स्ट ईयर स्टूडेंट रंजन कुमार व राहुल यादव को बताया कि उसके रिलेटिव को खून की जरूरत है। उसने दोनों स्टूडेंट्स से ब्लड डोनेट करने के लिए कहा। मानवता के नाते दोनों स्टूडेंट्स ने दोपहर में ही ब्लड बैंक जाकर ब्लड डोनेट कर दिया।

शिकायत होने पर खुला खेल

दो स्टूडेंट्स का खून निकलवाने के बाद बुधवार को जब दद्दू ने फ‌र्स्ट ईयर के एक और स्टूडेंट शैलेश कुमार से भी अपने एक रिश्तेदार को खून की जरूरत होने की दुहाई दी और उससे ब्लड देने के लिए कहा। इस पर शैलेश ने उसे मना कर दिया। तो दद्दू ने उस पर दबाव बनाने की कोशिश भी की और उसे लेकर ब्लड बैंक पहुंच गया, जहां पर कर्मचारियों ने स्टूडेंट्स और दद्दू के बीच कोई जान पहचान न होने की वजह से उनका खून निकालने से मना कर दिया। शक होने पर शैलेश ने इसकी शिकायत वार्डन से कर दी। वार्डन डॉ। प्रशांत त्रिपाठी उसी समय हॉस्टल पहुंचे और मामले को समझा। पकड़े जाने पर दद्दू ने हाथ पैर पकड़ लिए और माफी के लिए गिड़गिड़ाने लगा। जिसके बाद बिना किसी कार्रवाई के उसे छोड़ ि1दया गया।

हॉस्टल के पीछे ही है हसन का घर

बीएच-भ् हॉस्टल के पीछे ही कम्यूनिटी में खून के काले कारोबार का सरगना हसन का भी घर है। पिछले साल आई नेक्स्ट के इस मामले का खुलासा करने के बाद पुलिस ने मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में कॉलेज कैंपस से चल रहे खून के काले कारोबार का भंडाफोड़ किया था। जिसके बाद पुलिस ने ब्लड बैंक में डयूटी करने वाले सिक्योरिटी गार्ड से लेकर कई प्रोफेशनल डोनर्स, केरियर और खून का कारोबार चलाने वाले हसन को जेल भेज दिया था।

मेडिकल कॉलेज में फिर शुरू हो गया खून का कारोबार?

बीते कुछ दिनों से ब्लड बैंक में एक बार फिर दलालों के सक्रिय होने की शिकायतें मिली हैं। ब्लड बैंक की प्रभारी प्रोफेसर डॉ। सुमनलता वर्मा बताती हैं कि ब्लड बैंक के कर्मचारियों ने खुद कई बार दलालों को पकड़ा है। इन दलालों से पूछताछ में मेडिकल कॉलेज व हैलट के ही किसी कर्मचारी की संलिप्तता भी सामने आई थी। मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक से दलालों के पकड़े जाने की रिपोर्ट प्रिंसिपल को भी सौंपी गई थी। साथ ही मामले में पुलिस कार्रवाई की बात भी कही गई थी। लेकिन सच्चाई ये है कि इस बाबत कार्रवाई को लेकर कुछ हुआ ही नहीं। जिससे दलालों के हौसले फिर बढ़ गए हैं।

हॉस्टल स्टूडेंट्स से जबरन खून निकलवाने का मामला नहीं है। केयर टेकर को जरूरत थी, जिसपर स्टूडेंट्स मर्जी से खून देने गए थे। खून किसे दिया गया इसकी जानकारी की जा रही है। खून बेचे जाने जैसी कोई बात नहीं है। एहतियातन किसी भी मेडिकल स्टूडेंट्स को ऐसे किसी भी काम के लिए मना किया गया है।

- डॉ। प्रशांत त्रिपाठी, हॉस्टल वार्डन,बीएस-भ्