-सीट विभाजन व फीस निर्धारण को लेकर विवाद की स्थिति

-सरकार ने काउंसिलिंग प्रक्रिया बढ़ाई, प्राइवेट कॉलेज नहीं दे रहे प्रवेश

-प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट में विश्वविद्यालय को फीस निर्धारण का अधिकार प्राप्त

-एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज 29 जुलाई तक नहीं देगा प्रवेश, उधर कांउसिलिंग के बाद छात्र-छात्राओं की बढ़ी परेशानी

>DEHRADUN : एमबीबीएस में प्रवेश के लिए सीट विभाजन व फीस निर्धारण के मुद्दे पर मेडिकल कॉलेज और राज्य सरकार में कोई समझौता नहीं हो पाया है। सरकार की ओर से एमबीबीएस प्रवेश प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है, वहीं दूसरी ओर राज्य के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने सरकारी काउंसिलिंग के आधार पर अभी तक छात्र-छात्राओं को प्रवेश नहीं दिया है।

अपना विज्ञापन निकाला

एचआईएसटी विश्वविद्यालय ने सरकार की काउंसिलिंग से इतर अपने विश्वविद्यालय के नाम पर काउंसिलिंग का विज्ञापन जारी कर छात्र-छात्राओं को काउंसिलिंग के लिए बुलाया है। एसजीआरआर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों ने सीएम से भेंट कर सीट विभाजन व फीस निर्धारण सरकार के निर्देश पर नाराजगी जताई है। मामला कोर्ट में पहुंच जाने के बाद सरकार के प्रतिनिधि के रूप में डॉ। धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री स्वतंत्र प्रभार एसजीआरआर मेडिकल प्रबन्धन के साथ भेंट कर चुके हैं। मुख्यमंत्री की ओर से भी एसजीआरआर प्रबन्धन को यह आश्वासन भी मिला है कि जल्द ही इस मामले का निस्तारण कर लिया जाएगा।

नीट के तहत प्रवेश की नई व्यवस्था

देश भर में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट के अंतर्गत आ जाने के बाद मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश हेतु एक नई व्यवस्था लागू हुई है। देश भर में इस नई व्यवस्था के अन्तर्गत ही मेडिकल की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की गई। अधिकांश राज्यों में राज्य सरकार ने फीस कमेटी गठित कर प्राइवेट मेडिकल कॉलजों के लिए फीस व सरकारी कोटे की सीटों का निर्धारण कर दिया है, लेकिन उत्तराखंड में अभी तक यह मामला नहीं सुलझ पाया है।

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मेडिकल कॉलेजों में फीस तय करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस गुरुमीत सिंह की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। इस समिति की बैठक ख्9 जुलाई को होने जा रही है। इसी बैठक में इस मसले पर अंतिम फैसला किया जाएगा।

ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य।