साडा हक

-गवर्नमेंट के अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इमरजेंसी मेडिकल सुविधा लेना आपका है अधिकार

-यह सुविधा न प्रोवाइड कराने पर ष्टरूह्र से कर सकते हैं कम्प्लेन

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सोनिया निवासी अंबरीश सिंह की माता की तबियत अचानक रात में खराब हो गई। परिजन आनन-फानन में पास में ही एक नर्सिग होम में इलाज के लिए ले गये। चिकित्सक बिना कोई ट्रीटमेंट किए उन्हें बीएचयू रेफर कर दिया। यही नहीं अस्पताल से एंबुलेंस भी नहीं मिली। किसी तरह परिजन बीएचयू पहुंचे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

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चौबेपुर के रघुनंदन मिश्रा छत से गिरकर गंभीर रूप से जख्मी हो गये। उन्हें पांडेयपुर स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। लेकिन डॉक्टर्स ने यह कहते हुए रेफर कर दिया कि सीरियस केस है। ट्रामा सेंटर ले जाइये, यहां तक कि मरीज के सिर से बह रहे ब्लड को बंद करने के लिए भी तैयार नहीं हुए। एंबुलेंस के लिए बात की तो किराया भी आसमान पर रहा।

ये दोनों केसेज तो उदाहरण मात्र हैं। शहर में रोजाना ऐसे कंडीशन से लोगों को दो चार होना पड़ रहा है। अपने अधिकार की जानकारी नहीं होने के कारण लोग परेशान होने के साथ ही जिंदगी से भी हाथ धो ले रहे हैं। गवर्नमेंट हो या प्राइवेट हॉस्पिटल्स में यह रूल है कि पेशेंट को इमरजेंसी मेडिकल फैसिलिटीज हर हाल में उपलब्ध कराया जाए। भले ही बाद में प्राथमिक उपचार के बाद मरीज को किसी दूसरे अस्पताल में रेफर कर दें। यदि हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ऐसा नहीं कर रहा है तो आपके पास अधिकार है कि इसकी कम्प्लेन सीएमओ से करने का।

एंबुलेंस तो हर हाल में जरूरी

गवर्नमेंट ने तो 108 और जच्चा-बच्चा के लिए 102 एंबुलेंस की सुविधा शुरू की है। सीरियस पेशेंट को हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए 108 एंबुलेंस की सुविधा पूरी तरह से फ्री है। इसके अलावा 102 एबुलेंस भी मां और नवजात बच्चे को फ्री में अस्पताल से घर तक छोड़ती हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल्स में बहुत से एंबुलेंस की सेवा फ्री होती है जबकि कुछ हॉस्पिटल बहुत मामूली किराया वसूल करते हैं। लेकिन यदि कोई हॉस्पिटल एंबुलेंस के नाम पर मोटी रकम वसूल कर रहा है तो उसकी कम्पलेन भी सीएमओ से कर सकते हैं।

जानें अपने अधिकार

-इमरजेंसी ट्रीटमेंट पाना हमारा अधिकार है, इसके लिए सरकारी या फिर प्राइवेट हॉस्पिटल इनकार नहीं कर सकते।

-नियमानुसार कोई भी हॉस्पिटल इमरजेंसी में किसी भी पेशेंट को वापस नहीं लौटा सकता। उसे प्राथमिक उपचार देना ही होगा।

-अगर कोई हॉस्पिटल पैसों या किसी अन्य वजह से इमरजेंसी सेवा देने से इनकार करे तो इसकी शिकायत सीएमओ या अन्य बड़े स्वास्थ्य अधिकारी से की जा सकती है।

-इमरजेंसी सेवाओं के लिए सभी हॉस्पिटल्स में इमरजेंसी रूम की व्यवस्था होनी चाहिए। इसकी हॉस्पिटल की जिम्मेदारी है।

-अक्सर देखा गया है कि गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को हॉस्पिटल ले जाने या हॉस्पिटल से घर जाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिलती। एंबुलेंस की सुविधा मिलती भी है तो इसके लिए उससे ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं।

-यह हॉस्पिटल्स की जिम्मेदारी है कि वो एंबुलेंस की या तो मुफ्त में सुविधा दे या फिर न्यूनतम किराया वसूल करे।

गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में इमरजेंसी मेडिकल सुविधा हर हाल में उपलब्ध कराई जाती है। एंबुलेंस भी पूरी तरह से नि:शुल्क सेवा है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स यदि तय रेट से ज्यादा पैसा वसूल करते हैं तो उसकी कम्प्लेन कर सकते हैं।

डॉ.वीबी सिंह, सीएमओ