रिएलिट चेक

-गवर्नमेंट वीमेंस हॉस्पिटल के SNCCU वॉर्ड में आक्सीजन लिकेज को पट्टी से किया गया है ब्लाक

-मंडलीय हॉस्पिटल के चिल्ड्रेन वॉर्ड में भी कंडीशन है बद से बदतर

VARANASI

Scene-1

दिन-शनिवार

समय-दोपहर एक बजे

प्लेस-गवर्नमेंट वीमेंस हॉस्पिटल कबीरचौरा का एसएनसीसीयू वॉर्ड। आक्सीजन की पड़ताल करने निकली डीजे आई नेक्स्ट टीम जब हॉस्पिटल के एसएनसीसीयू वॉर्ड पहुंची तो वहां का नजारा देख दंग रह गई। वॉर्ड में आक्सीजन सप्लाई होने वाले सिलिंडर और आक्सीजन पाइप के बीच ज्वाइंटर में लिकेज था, जिसे बंद करने के लिए किसी टेक्नीशियन की मदद नहीं ली गई बल्कि स्टाफ खुद टेक्नीशियन बन गए। और जैसे जख्मों पर मलहम पट्टी करते हैं वैसे ही लिकेज पर पट्टी चिपका कर लिकेज को बंद कर दिया है।

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मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा के वॉर्ड नंबर क्फ् चाइल्ड वॉर्ड में एडमिट बच्चे को सिलिंडर के जरिए ऑक्सीजन चढ़ाया जा रहा था। बीच में बच्चे को थोड़ी परेशानी भी हुई लेकिन बच्चे के पास कोई नर्स नहीं पहुंची। पिता ही मास्क को हटाते-बढ़ाते रहे। चिल्ड्रेन वॉर्ड में एडमिट होने वाले बच्चों को सिलिंडर के जरिए ही ऑक्सीजन दिया जाता है। यहां सेंट्रलाइज्ड आक्सीजन की पाइप लाइन अब तक नहीं लग सकी है।

लापरवाहियों पर डालते है पर्दा

लापरवाहियों की बानगी देखनी हो तो एक बार गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स की ओर रुख कर सकते हैं। यहां हादसों से सबक नहीं लिया जाता है बल्कि लापरवाहियों पर पर्दा जरूर डाल दिया जाता है। कुछ ऐसा ही हाल कबीरचौरा के महिला अस्पताल और मंडलीय हॉस्पिटल का है। महिला अस्पताल में नवजात बच्चों के लिए बनाए गए एसएनसीसीयू वॉर्ड में आक्सीजन के पाइप लाइन में पिछले कई दिनों से लिकेज है। पाइप लाइन और सिलिंडर को जोड़ने वाली पाइप में लिकेज का दायरा न बढ़े इसके लिए स्टाफ ने उस पर मरहम पट्टी कर दिया। पट्टी से लिकेज को किसी तरह बंद कर दिया गया लेकिन अभी तक टेक्नीशियन को बुलाकर उसकी मरम्मत नहीं कराई गई। लिकेज होने की तीन दिन पूर्व भी प्रमुख अधीक्षक से कम्प्लेन की गई थी। छह बेड के एसएनसीसीयू वॉर्ड में एडमिट नवजात की जिंदगी से खिलवाड़ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन को कभी भी भारी पड़ सकता है। अन्य वॉर्डो में भी कंडीशन बहुत अच्छी नहीं है।

छह बेड का वॉर्ड, भर्ती क्भ् बच्चे

एसएनसीसीयू वॉर्ड की क्षमता कुल छह बेड की है लेकिन कभी दस तो कभी पंद्रह बच्चे भी एडमिट हो जाते हैं। स्टाफ नर्स की मानें तो इस समय बच्चों की संख्या छह से अधिक है। फिर भी इलाज में कोई कोताही नहीं है। हां, लेकिन वॉर्ड के बाहर बंदरों और कुत्तों की आवाजाही परेशानियों का सबब जरूर बनती है।

बढ़ाई गई सिलिंडरों की संख्या

महिला हॉस्पिटल में आक्सीजन की कमी नहीं हो इसके लिए शनिवार को एक्स्ट्रा सिलिंडर मंगाए गए। दरेखूं स्थित कामरूप कंपनी से क्भ् बडे़ सिलिंडर व 9 छोटे सिलिंडर मंगाए गए हैं। स्टॉक में अब कुल ख्ब् आक्सीजन सिलिंडर हो गए हैं। बच्चों के वॉर्ड में बड़े सिलिंडर और अन्य वॉर्डो में छोटे सिलिंडर लगाए जाते है।

टेक्नीशियन को बुलाया गया है, आजकल में उसकी रिपेयरिंग करा ली जाएगी। बंदर उछलकूद मचाते हैं जिससे समस्याएं आती हैं।

डॉ। शैला त्रिपाठी, एसआईसी

गवर्नमेंट वीमेंस हॉस्पिटल

महिला हॉस्पिटल पर एक नजर

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बेड का है हॉस्पिटल

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बेड पर किया जाता है भर्ती

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मरीज वॉर्ड

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डेली उमड़ती है महिला मरीजों की भीड़

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डेली इमरजेंसी में आते हैं मरीज