-मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा में बढ़ रहे है डेली पेशेंट्स, सुबह से दोपहर तक ह्रक्कष्ठ जा रही है द्घह्वद्यद्य

-अधेड़ और बुजुर्गो की संख्या सबसे अधिक

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यदि आप के बदन में जगह-जगह दाने के निकल रहे हैं और चुभन-जलन के साथ ही उसका रंग लाल है तो फिर सावधान हो जाइये। यह लक्षण टीनिया (दाद) का है, जो एक या दो माह में ठीक होने वाला नहीं है। पहले यह दवाओं से कंट्रोल भी होता था लेकिन अब इसे कंट्रोल करने के लिए पेशेंट को हाई डोज की दवाएं देनी पड़ रही है। पेशेंट यदि दवाओं में जरा सा भी लापरवाही बरते तो फिर टीनिया का उग्र रूप और भी बढ़ता है। गर्मी और बरसात में ही अक्सर होने वाली यह बीमारी पिछले साल भर से लगातार हर मौसम में बनी हुई है। एसएसपीजी मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा के स्किन विभाग में टीनिया के ढाई सौ से तीन सौ पेशेंट्स डेली ओपीडी में चेकअप के लिए पहुंच रहे हैं। टीनिया का शिकार बनने वालों में अधेड़ और बुजुर्गो की संख्या सबसे अधिक है।

देनी पड़ रही है कॉम्बिनेशन थिरेपी

टीनिया कितनी गंभीर बीमारी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस कंट्रोल करने वाली दवाएं अब बेअसर हो गई है। इसे कंट्रोल करने के लिए डर्मोटलॉजिस्ट्स एक साथ तीन-चार दवाएं (कॉम्बिनेशन थिरेपी) वह भी हाई डोज की पेशेंट्स को दे रहे हैं। यदि कोर्स अधूरा हुआ तो फिर टीनिया और भी तेजी से बढ़ता है। सबसे अधिक पसीना होना और गीले कपड़े पहने वालों को टीनिया तेजी से पकड़ रहा है। यदि फैमिली में एक भी मेम्बर को यह बीमारी हुई तो समझिए कि पूरी फैमिली को होनी तय है। छुआछुत के तौर पर यह तेजी से फैलती है।

बेचैन कर देता है टीनिया

शरीर में अधिकतर जांघ, पेट और पीठ, सीने के आसपास टीनिया का प्रभाव अधिक होता है। यह इतना बेचैन कर देता है कि मरीज उसमें कुछ भी कर सकता है। दिन में जलन-चुभन परेशानियां और भी बढ़ा देती है।

लक्षण

अधिक पसीने वाले स्थान पर यह होता है

-दाने से शुरू होकर लाल रंग के घेरे नुमा चकते जैसा होता है

-बॉडी के ज्वाइंट पार्ट पर अधिक होता है

-खुजलाहट के साथ ही जलन और चुभन इसकी पहचान

इनसे परहेज करें

-तेज आंच पर भुने, मसालेदार, खट्टे और मीठे आहार

-खट्टे फल (नीबू, मौसंबी, संतरा), चटनी, सॉसेस, अचार, सरसों और सिरका

-केक, पेस्ट्रीज, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक

-नान वेज तो बिल्कुल भी नहीं

-चाय, कॉफी, शराब और धूम्रपान

बचाव

-साबुन और क्रीम का यूज बहुत कम करें

-हल्के और ढीले कपड़े पहनें, गीले कपड़े न पहने

-रिंगवर्म एरिया को रोज धोएं

-बाहर निकलते वक्त फुल बांह के कपड़े पहनकर ही निकले

-पसीने वाले स्थान पर पावडर लगाते रहे

-एक रूम में अधिक लोग न रहे, किसी यह बीमारी है तो उसका सभी सामान अलग रखें

टीनिया से ग्रसित मरीजों को कॉम्बिनेशन थिरेपी देनी पड़ रही है। पहले यह बीमारी जल्दी ठीक भी हो जाती थी लेकिन अब यह जल्दी ठीक नहीं हो पाती है। ओपीडी में रोजाना पेशेंट्स बढ़ रहे हैं।

डॉ। एसएन दीक्षित

डर्मोटलाजिस्ट्स, मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा