- मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स के फेल होने का मामला गरमाया, परीक्षा रद्द करने की मांग उठी

- एमसीआई ना‌र्म्स के विपरीत, संविदा फैकल्टी को भी इग्जामिनेशन पैनल में रखा

- सोमवार शाम को 35 स्टूडेंट्स को ग्रेस मा‌र्क्स देकर किया गया पास

KANPUR: मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस फाइनल ईयर के ब्0 फीसदी यानी म्9 स्टूडेंट्स के फेल होने का मामला गरमा गया है। इस बाबत स्टूडेंट्स ने एग्जाम को रद्द करने की मांग भी उठाई है। वहीं इतने स्टूडेंट्स के मेडिकल कॉलेज में एक साथ फेल होने से कॉलेज की एजुकेशन क्वालिटी पर भी सवालिया निशान उठने लगे हैं। मालूम हो कि यह सभी फाइनल ईयर के स्टूडेंट मेडिसिन डिपार्टमेंट की परीक्षा में फेल हुए हैं। जहां अब एक भी प्रोफेसर नहीं है। वहीं अब सवाल यह भी उठ रहा है कि इतने स्टूडेंट्स के एक साथ फेल होने के लिए जिम्मेदार क्या सिर्फ स्टूडेंट्स ही हैं फैक्ल्टी नहीं, क्योंकि जीएसवीएम में फाइनल ईयर में कभी इतने स्टूडेंट्स एक साथ फेल नहीं हुए हैं। वहीं इस मामले में सोमवार शाम को फेल हुए स्टूडेंट्स में से फ्भ् को ग्रेस मा‌र्क्स देकर पास कर ि1दया गया।

एग्जामिनेशन पैनल में संविदा फैकल्टी क्यों

दरअसल जिस एमबीबीएस फाइनल ईयर के मेडिसिन पेपर, जिसमें सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स फेल हुए हैं। उसे कंडक्ट करने के लिए बनाए गए एग्जामिनेशन पैनल के गठन पर ही सवाल उठ गए हैं। एमसीआई की ना‌र्म्स के मुताबिक एग्जामिनेशन पैनल में संविदा पर काम करने वाले शिक्षक नहीं रखे जाएंगे। वहीं इस बाबत जब प्रिंसिपल डॉ। नवनीत कुमार से बात की गई तो उन्होंने पैनल का निर्माण शासन के निर्देशानुसार होने की बात कही। साथ ही यह भी कहा कि इसे यूनिवर्सिटी फाइनल करती है।

अब न इंटर्नशिप कर पाएंगे न पीजी का एग्जाम दे पाएंगे

जिन मेडिकल स्टूडेंट्स को फेल किया गया है। वह अब न तो फाइनल ईयर में होने वाली अपनी इंटर्नशिप कर सकेंगे और न ही अगले साल होने वाली पीजी परीक्षा में बैठने के लिए एलिजबल होंगे। क्योंकि अपनी बैक क्लीयर करने के लिए उन्हें फिर सितंबर में एग्जाम देना होगा। वहीं जानकारों के मुताबिक फाइनल ईयर में फेल होने का गलत प्रभाव पड़ता है क्योंकि डिग्री देते समय इस बात का जिक्र किया जाता है।

स्टूडेंट्स ने कॉपी में कुछ लिखा ही नहीं

वहीं मेडिसिन के पेपर में फेल हुए स्टूडेंट्स के मसले पर मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ। संजय वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि फेल हुए स्टूडेंट्स की काफी उनके पास हैं। इन स्टूडेंट्स ने कुछ लिखा ही नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस बार परीक्षा में कड़ाई बरती गई है। इस वजह से इतने स्टूडेंट्स फेल हुए हैं। वहीं यह बात भी गौर करने वाली है। कि जिस कॉलेज में सिर्फ टॉपर स्टूडेंट्स का एडमिशन होता है और जो स्टूडेंट्स चार साल तक इंटरनल एग्जाम में टॉप आते रहे। वह फाइनल एग्जाम में खाली कॉपी छोड़ कर क्यों आएंगे।