- बनारसी युवा नशे की लत मिटाने के लिए हेरोइन और चरस जैसे नशे के अलावा कफ सीरप और नशीले इंजेक्शन का भी ले रहे हैं सहारा

- व्हाइटनर, आयोडेक्स, शू पॉलिश और स्प्रिट भी है नशा करने वालों की लिस्ट में शामिल

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हेरोइन, गांजा और चरस जैसे खतरनाक नशे में बनारस की युवा नस्ल धीरे-धीरे फंसती जा रही है। गली चौराहे और हर मोड़ पर चाय-पान की दुकानों से लेकर छोटी-छोटी अडि़यों पर आसानी से मिलने वाले नशे के सामान को इनसे दूर करने का प्रयास इनके अपने और चाहने वाले अपने लेवल पर करते हैं लेकिन बहुत से युवा ऐसे हैं जो नशे की इन लतों से दूर होने के बाद ऐसे नशे की ओर मूव कर जा रहे हैं जो है तो दवा लेकिन इसका यूज भी लत को मिटाने के तेजी से हो रहा है। मार्केट में बिकने वाले कफ और कुछ इंजेक्शन इसका बड़ा उदाहरण है। दवा की दुकानों से लेकर जनरल स्टोर तक पर कफ सीरप आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन इन दवाओं का इस्तेमाल लत को पूरा करने में भी हो रहा है।

कम उम्र वाले लेते हैं ज्यादा

कफ सीरप का यूज अपने शहर में भी तेजी से हो रहा है। नशे की लत को पूरा करने और हल्की खुमारी में झूमने के लिए यूथ इसका यूज तेजी से कर रहा है। एसटीएफ के सोर्सेज का कहना है कि शहर के कॉलेज और यूनिवर्सिटी वाले इलाकों में कफ सीरप का बड़ा बिजनेस है क्योंकि इनका ज्यादा इस्तेमाल हॉस्टलर्स करते हैं। वजह कैंपस में नशे की चीजें तो जा नहीं सकती इसलिए कफ सीरप से अपनी लत मिटाने के लिए इन जगहों पर इसका ज्यादा यूज हो रहा है। वहीं कैंट स्टेशन के आस पास की दवा दुकानें, नदेसर और चौकाघाट की दवा दुकानों समेत जैतपुरा, आदमपुर और काशी स्टेशन के आस पास कफ सीरप की अच्छी खासी ब्रिकी हो रही है और यूथ एक दिन में एक से दो बोतल कफ सिरप पीकर लत को मिटा रहा है।

बहुत खतरनाक है ये नशा

- कफ सीरप का ज्यादा यूज डैंजरस है

- डॉक्टरों का कहना है कि इसमें कोडीन फॉस्फेट रहता है

- इसके निर्धारित मात्रा से ज्यादा लेने पर खुमारी छाने लगती है।

- जिसके कारण इसकी लत जल्दी लगती है

- इसके ज्यादा इस्तेमाल से कई बार हॉर्ट फेल होने का खतरा बना रहता है

- क्योंकि ज्यादा इस्तेमाल से ये स्लो पॉइजन का काम करता है

(जैसा की डॉक्टर केपी पाठक ने बताया)

और भी हैं तरीके

- सिर्फ कफ सीरप हीं नहीं नशा करने के दूसरे भी हैं तरीके

- 12 से 15 साल के स्ट्रीट ब्यॉय रुमाल में व्हाइटनर डालकर उसे सूंघकर नशा कर रहे हैं

- व्हाइटनर को प्लास्टिक में डालकर भी इसे स्मेल कर अपनी लत मिटाने का काम नशेड़ी करते हैं

- ऑयोडेक्स खाकर नशे की लत को पूरा किया जा रहा है

- बूट पॉलिश को स्मेल कर लत को पूरा कर रहे हैं लती

- स्प्रिट और पेट्रोल का यूज भी नशेड़ी कर रहे हैं

नियमों की अनदेखी कर बिक रहे हैं इंजेक्शन

- नशे का कारोबार दवा के धंधे संग भी पनप रहा है

- इसमे कफ सीरप के अलावा पेट दर्द और सिर दर्द के लिए इस्तेमाल होने वाले कुछ इंजेक्शन का यूज भी नशेड़ी कर रहे हैं

- इनमें फोडविन और पैंटाजोशिया जैसे इंजेक्शन ज्यादा डिमांड में हैं

- एक दवा कारोबारी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि महज छह रुपये में मिलने वाले ये इंजेक्शन नशेड़ी 25 से 30 रुपये देकर लेते हैं

- नियम के मुताबिक ये इंजेक्शन बगैर प्रिसक्रिप्शन के नहीं दिए जा सकते

- लेकिन ज्यादा मार्जिन की लालच में आकर मलदहिया, लहुराबीर, सिगरा, कैंट और नदेसर एरिया में दवा दुकानदार ये इंजेक्शन ऐसे ही बेच रहे हैं।