- यूपीपीएससी ने घोषित किया एलोपैथिक मेडिकल ऑफिसर्स सीधी भर्ती का रिजल्ट

- कैंडिडेट्स की कमी से खाली रह गए 866 पद

- इलाहाबाद में भी है डॉक्टरों का टोटा, खाली हैं कई सीएचसी-पीएचसी

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LUCKNOW/ALLAHABAD (28 July, JNN): आखिर ऐसा क्या है कि अच्छी सैलरी मिलने के बावजूद डॉक्टर्स सरकारी सर्विस में नहीं आना चाहते। इसका सीधा एग्जाम्पल है यूपीपीएससी (उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशनन) द्वारा जारी एलोपैथिक मेडिकल ऑफिसर्स की सीधी भर्ती का रिजल्ट। जितने पद थे, कैंडिडेट्स की कमी के चलते उतने सेलेक्शन भी नहीं हो सके। ऐसे में प्रदेश भर के सरकारी हॉस्पिटल्स में मरीजों को कैसे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी, यह सिस्टम के लिए बड़ा सवाल बन गया है।

8म्म् पद रह गए खाली

यूपीपीएससी ने ख्म् जुलाई को प्रांतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के श्रेणी एक समूह ख एलोपैथिक मेडिकल ऑफिसर्स के लिए हुई सीधी भर्ती के रिजल्ट घोषित कर दिए। प्रदेश सरकार ने सरकारी हॉस्पिटल्स सहित सीएचसी-पीएचसी में डॉक्टरों की तैनाती के लिए कुल ख्8म्8 पदों के लिए पिछले साल विज्ञापन जारी किया था। यूपीपीएससी ने आवेदन की छटनी के बाद ब्8क्ब् कैंडिडेट्स को इंटरव्यू के लिए बुलाया था जिसमें से महज ख्989 कैंडिडेट ही सीधी भर्ती में शामिल हुए। जो कि कुल पदों से थोड़े ही ज्यादा थे। कमीशन के प्रभारी सचिव महेंद्र प्रसाद के मुताबिक रिजल्ट में कुल ख्00क् कैंडिडेट्स को ही सफल घोषित किया गया है। ऐसे में 8म्म् पद खाली रह गए हैं, जिसके लिए जल्द ही विज्ञापन जारी किए जाएंगे।

होगी प्रदेशभर में तैनाती

बता दें कि प्रदेशभर में सरकारी डॉक्टरों की जबरदस्त कमी है। इसको देखते हुए यह भर्तियां निकाली गई थीं। इंटरव्यू भी दो चरणों में मार्च से जुलाई के बीच ऑर्गनाइज हुए थे। जल्द ही ख्फ्00 और नए पदों की सीधी भर्ती भी होनी है। अब जबकि रिस्पांस अच्छा नहीं मिल रहा है, ऐसे में मरीजों को कैसे बेहतर इलाज की सुविधाएं मिलेंगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इंटरव्यू में सफल कैंडिडेट्स की तैनाती प्रदेश के सभी हॉस्पिटल्स में होनी है। इतना ही नहीं, इलाहाबाद में भी फ्00 पदों के मुकाबले महज ख्ख्क् डॉक्टर ही तैनात हैं। यहां भी म्9 डॉक्टरों की सख्त आवश्यकता है।

घट रहे डॉक्टर, बढ़ रहे मरीज

एक ओर सरकारी हॉस्पिटल्स में डॉक्टरों की कमी होती जा रही है तो दूसरी ओर मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी जारी है। शहर के ही बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल की ओपीडी ढाई हजार से बढ़कर कुछ महीनों के भीतर साढ़े तीन हजार पहुंच गई है। वहीं सीएचसी-पीएचसी में डॉक्टरों की कमी होने से मरीजों का पलायन शहर की ओर हो रहा है। ऐसे में मरीजों को ओपीडी में पूरा समय दे पाना डॉक्टरों के लिए मुश्किल साबित होता जा रहा है।

पसंद आ रही है प्राइवेट प्रैक्टिस

सरकारी सेवा में डॉक्टरों को शुरुआत में ही चालीस से पचास हजार रुपए सैलरी का बेहतर पैकेज दिया जाता है। हालांकि इनीशियल स्टेज में उन्हें मिनिमम पांच साल रूरल में प्रैक्टिस करना जरूरी होता है। रूल्स में इतना रिलैक्स देने के बावजूद डॉक्टर सरकारी सर्विस में नहीं आना चाहते। इसके बदले उन्हें प्राइवेट प्रैक्टिस करने में ज्यादा मजा आ रहा है। कई फ्रेश डॉक्टर्स शुरुआत में गवर्नमेंट जॉब करने के बजाय प्राइवेट हॉस्पिटल्स से अटैच होना ज्यादा पसंद करते हैं तो कुछ खुद की क्लीनिक चला रहे हैं।