राष्ट्रपति भवन में फर्स्ट वूमन अवॉर्ड से सम्मान
भारत महाशक्ति बनने की ओर है, लेकिन समाज की दकियानूसी सोच साथ नहीं छोड़ रही। इसलिए कुछ मंदिर-मजार से लेकर श्मशान गृह तक पर महिलाओं के जाने पर पाबंदी है। मंदिरों को लेकर आंदोलन चला, जिसमें महिलाओं को जीत मिली, लेकिन श्मशान पर अब भी प्रवेश निषेध है। इस निषेध को चेन्नई की प्रवीणा न सिर्फ चुनौती दे रही हैं, बल्कि वहां खड़े होकर वे चिता जलवा रही हैं। वे ऐसा करने वाली अकेली महिला हैं। उनके इस अदम्य साहस और इच्छाशक्ति को देखते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें फर्स्ट वूमन अवॉर्ड से सम्मानित किया।
सिर उठाकर जीने का सलीका सिखा रहीं
यह कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से आयोजित था। पश्चिमी चेन्नई के अन्ना नगर की रहने वाली प्रवीणा सोलोमन चार साल से शहर के श्मशान गृह में शवों की अंतिम क्रिया में परिवार वालों को सहयोग देती हैं। वे इस बारे में बताती हैं कि वे एक एनजीओ से जुड़कर 10 साल से क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और सिर उठाकर जीने का सलीका सिखा रही थीं। उसमें पुरुष प्रधान समाज आड़े आ रहा था। इस बीच उनके पास चेन्नई के सबसे पुराने और व्यस्त श्मशान गृह में प्रबंधक के तौर पर काम करने का मौका मिला, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
लोगों के दिलों में अपने लिए जगह बना ली
परिवार की नाराजगी की परवाह किए बगैर उन्होंने इस नौकरी को इसलिए भी स्वीकार किया कि श्मशान गृह पर महिलाओं का जाना आज भी प्रतिबंधित है। वे कहती हैं कि शुरू में इसका खूब विरोध भी हुआ। लोगों को यह स्वीकार्य नहीं था कि श्मशान स्थल पर कोई महिला मौजूद रहे। कुछ ने चेहरे पर एसिड तक फेंकने की धमकी दी, लेकिन प्रवीणा ने धीरे-धीरे लोगों के दिलों में अपने लिए जगह बना ली। अब उन्हें लोग स्वीकार करने लगे हैं। दिल्ली आईं प्रवीणा ने कहा कि अब उनके परिवार के लोग उन पर गर्व महसूस करते हैं, क्योंकि उन्होंने लोगों की धारणा बदली है।लड़की की जाति नहीं होती...कहने वालों को SC का करारा जवाब, जाति पर दिया ये बड़ा फैसला
National News inextlive from India News Desk