एक हादसे में गंवाया बेटे और पत्नी को
भारतीय वायु सेना से बतौर विंग कमांडर रिटायर होने के बाद बेटे और पत्नी के साथ रह रहे ए़के़ पांडेय ने रिटायर्ड लाइफ का आनंद अभी लेना शुरू ही किया था कि उनके जीवन की बुनियाद हिल गयी। एक एक दुर्घटना में पहले उन्होंने अपना बेटा खो दिया और उसके कुछ महीने बाद ही उनकी पत्नी का भी स्वर्गवास हो गया। दो मौतों ने पाण्डेय को तोड़ दिया और कई बीमारियों के शिकार हो गए। कुछ अर्से तक इलाज करवाने के बाद उन्हें अहसास हुआ कि वो एक फोजी हैं और हार नहीं मान सकते, लिहाजा उन्होंने संघर्ष करने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने अपने बेटे और पत्नी के सपनों को अपनी ताकत बनाने का निर्णय लिया। उन दोनों को गरीबों की सहायता करना पसंद था और यहीं से विंग कमांडर पाण्डेय ने शुरूआत की। उन्होंने गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोला और गरीबों परिवार का होम्योपैथी से इलाज करना भी शुरू कर दिया। वे उन्हें मुफ्त में दवाइयां देते हैं।
देशप्रेम की भावना की पुर्नस्थापना करने का प्रयास
देश के लिए लड़ाइयां लड़ने वाले एके पांडेय जब समाज में लुप्त होती देशप्रेम की भावना को देखते हैं तो उन्हें बेहद दुख होता है। इसीलिए उन्होंने बच्चों के लिए जो स्कूल खोला और इसमें हिंदी भाषा के प्रयोग पर बल दिया और सुबह की प्रार्थना की शुरुआत भी जय हिंद के नारे के साथ करवानी प्रारंभ की। वे अपने स्कूल में पढ़ने वाले 73 स्टूडेंट्स की क्लासेज का अंत भी देशप्रेम की पंक्तियों से करते हैं। उनके छात्र वहीं आसपास के इलाकों के हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए तीन टीचर्स का स्टाफ है।
पहले की बेटियों की शादी फिर शुरू की समाज सेवा
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