स्‍पोर्ट्स के दीवाने

धोनी रांची के मेकॉन कॉलोनी स्थित जेवीएम श्यामली के स्टूडेंट रहे हैं. इसी स्कूल के स्पोर्ट्स टीचर हैं केशव रंजन बनर्जी. धोनी शुरू से स्पोर्ट्स के दीवाने थे, लेकिन क्रिकेट के बजाय उनकी रुचि फुटबॉल में ज्यादा थी. वह एक अच्छे गोलकीपर थे. यह स्पोर्ट्स टीचर केशव रंजन बनर्जी ही हैं, जिन्होंने धोनी को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया और स्कूल की क्रिकेट टीम में बतौर विकेटकीपर शामिल कर लिया. तब का दिन है और आज का दिन, धोनी ने क्रिकेट की दुनिया में पीछे मुड़कर नहीं देखा.

-केशव रंजन बनर्जी, स्कूल में धोनी के स्पोर्ट्स टीचर

मिलिए उन 5 लोगों से जिन्होंने धोनी को धोनी बनते देखा

धोनी ने घंटो बहाया पसीना

आज से कुछ साल पहले रांची में एक मात्र टर्फ विकेट मेकॉन स्टेडियम में था. यह स्टेडियम धोनी के स्कूल जेवीएम श्यामली के पास स्थित है. इस स्टेडियम में धोनी ने सबसे ज्यादा प्रैक्टिस की है. इस स्टेडियम के क्यूरेटर जेना दा बताते हैं कि धोनी यहां घंटों पसीना बहाया करते थे. वह उनसे पिच के नेचर को लेकर अक्सर चर्चा करते थे. जेना दा कहते हैं, धोनी आज भी जब यहां आते हैं तो उसी आत्मीयता और गर्मजोशी से मिलते हैं. वह उनका हाल-चाल पूछते हैं और ऐसे बात करते हैं जैसे वह आज भी स्कूल स्टूडेंट हों.

-जैना दा, रांची के मेकॉन स्टेडियम के क्यूरेटर

धोनी को  धोनी बनते देखा है

रांची के सीनियर क्रिकेटर और स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट चंचल भट्टाचार्य धोनी के पहले कोच हैं. धोनी को वर्ष 1996 में पहली बार इंटर डिस्ट्रिक्ट स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट में रांची डिस्ट्रिक्ट टीम की ओर से खेलने का मौका मिला था. तब चंचल भट्टाचार्य ही इस टीम के कोच थे. चंचल बताते हैं कि उसके अंदर शुरू से गजब का आत्मविश्वास था. आज वह जिस मुकाम हैं, इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत, कुछ कर गुजरने का जज्बा और अनुशासन है. धोनी जब रांची में होते हैं, तब वह बगैर बताए कभी भी चंचल दा के न्यू एजी कॉलोनी स्थित आवास पर पहुंच जाते हैं. चंचल दा कहते हैं कि धोनी आज भी नहीं बदला है. इतना बड़ा स्टार होने के बावजूद वह गजब का डाउन टू अर्थ है. वह चंचल दा के घर के किचेन में खुद घुस आते हैं और उनकी पत्नी से बगैर संकोच कहते हैं- भाभी चाउमिन खिलाइए ना.

-चंचल भट्टाचार्य, धोनी के पहले कोच

मिलिए उन 5 लोगों से जिन्होंने धोनी को धोनी बनते देखा

दोस्‍त पर होता है गर्व

मो. शब्बीर रांची के डोरंडा में रहते हैं. यह शब्बीर ही हैं, जिनके साथ मिलकर उन्होंने 1997 में इंटर स्कूल क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में 378 रनों की साझी पारी खेली थी. इस मैचे में धोनी ने नाबाद 213 रन जमाए थे जबकि शब्बीर ने 117 नाबाद रन बनाए थे. यह मैच रांची के हिनू स्थित सेंट्रल स्कूल के खिलाफ खेला गया था. इसके लिए धोनी और शब्बीर का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है. मो. शब्बीर कहते हैं कि उन्हें गर्व है कि उनके साथ खेलनेवाला धोनी आज क्रिकेट वर्ल्ड की महान हस्ती है, लेकिन वह आज भी उतना ही सरल है, जितना स्कूल के जमाने में था.

-मो. शब्बीर, जिनके साथ धोनी ने खेली थी स्कूली टूर्नामेंट में विस्फोटक पारी

ऑटोग्राफ वाला बैट किया गिफ्ट

परमजीत सिंह छोटू रांची के मेन रोड में सुजाता चौक के पास स्पोर्ट्स किट की स्टोर चलाते हैं. वह धोनी को तबसे जानते हैं, जब वे स्कूल टीम से खेला करते थे. धोनी अक्सर उनकी दुकान पर आते थे और तभी से उनसे दोस्ती है. स्कूली क्रिकेट टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन के कारण धोनी जब रांची में मशहूर हो गए तो परमजीत ने क्रिकेट बैट और किट का प्रोडक्शन करनेवाली एक कंपनी से उन्हें स्पांसरशिप दिलाई. इस कंपनी ने धोनी को मुफ्त में क्रिकेट किट मुहैया कराई. धोनी अपने मित्र परमजीत को आज भी नहीं भूले हैं. एक बार उन्होंने परमजीत को एक बैट गिफ्ट किया, जिसपर इंडियन क्रिकेट टीम के एक दर्जन प्लेयर के ऑटोग्राफ दर्ज हैं.

-परमजीत, धोनी के दोस्त

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