ममता आश्रय में मानसिक रूप से बीमार महिलाएं जी रही बंधक की जिंदगी

बीमार महिलाओं की घर वापसी कराने के लिए नहीं उठाए कदम

BAREILLY:

मानसिक दशा खराब होने पर अपने परिवार की बेरुखी का शिकार हुई 10 महिलाएं मानसिक मंदित ममता आश्रय घर में कैदी की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं। पिछले कई साल से ममता आश्रय घर में अपनों से मिलने का इंतजार कर रही इन मजबूर व बीमार महिला मरीजों को न तो इनके घर भेजे जाने की व्यवस्था की जा रही। न ही सरकार से इन मरीजों के ठीक होने के बावजूद घर भेजे जाने के लिए निर्देश मांगे जा रहे। इन महिलाओं को घर पहुंचाने की कोशिश जब एक एनजीओ ने की तो, उसे भी नियमों का हवाला देकर मदद से इनकार कर ि1दया गया।

जानकारी तक छिपा दी

ममता आश्रय घर में मानसिक रूप से बीमार 10 महिलाओं को केरल से कुछ साल पहले ट्रांसफर किया गया था। इनमें से ज्यादातर यूपी की हैं। मुम्बई की श्रद्धा रिहेबिलिटेशन फाउंडेशन से जुड़ी मनोसमर्पण एनजीओ ने इन महिलाओं को परिवार से मिलाए जाने संबंधी कार्यवाही पर जनवरी 2016 को जानकारी मांगी, तो कोई जवाब ही न दिया गया। इस पर एनजीओ के शैलेश शर्मा ने डीएम को लेटर भेजकर इन महिला मरीजों को घर भिजवाने और परिवार से मिलाने में जरूरी कदम उठाने की अपील की। लेकिन प्रशासन की ओर से भी इस बारे में कोई मदद न की गई।

फरार हो गई 2 संवासिनी

हरुनगला स्थित ममता आश्रय घर में मौजूदा समय में 51 मानसिक मंदित और मेंटली सिक महिला मरीज हैं।

एनजीओ संचालक शैलेश के मुताबिक एक रिट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे मरीजों को उनके घर के पास स्थित हॉस्पिटल में ही इलाज देने को कहा था। लेकिन पिछले कई वर्षो से यहां रहने वाली महिला मरीजों को उनके परिवारों से मिलाने की कोशिश तक न हुई है। इस दौरान दिसंबर 2015 में एक संवासिनी ममता आश्रय घर से फरार हो गई। एनजीओ ने ही 10 दिन बाद फरार संवासिनी के जौनपुर के मछलीशहर स्थित घर पहुंचकर उसके परिजनों के पास होने के सबूत ममता आश्रय घर को दिए। इसके बाद फरवरी 2016 में एक और संवासिनी फरार होने से हड़कंप मच गया। जिससे ममता आश्रयघर में महिला मरीजों की सेफ्टी पर सवाल उठ खडे़ हुए।

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एनजीओ बहुत अच्छा काम कर रही। लेकिन हमारी नियमावली में महिला मरीज को एनजीओ को सौंपने का रूल नहीं है। इस मामले में मैं जल्द डायरेक्टर से मुलाकात कर नियमावली में जरूरी संशोधन कराने की तैयारी में हूं। जिससे इन महिलाओं को उनके घर जल्द पहुंचाया जा सके।

- नवीन जौहरी, इंचार्ज, ममता आश्रयघर