-आई स्टिंग

-पैसेंजर ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के साथ हो रहा है खिलवाड़

-छह माह में एक बार खानापूर्ति कर चेक किए जाते हैं फायर एस्टिंग्यूशर

-सुरक्षा को देखते हुए ट्रेनों में रखे जाते हैं फायर एस्टिंग्यूशर

KANPUR : पैसेंजर ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ट्रेनों में आग की दुर्घटना से बचाव के लिए ट्रेन के गार्ड, पायलट व पेंट्रीकार में अग्निशमन यंत्र रखे जाते हैं, लेकिन यह चलाने योग्य नहीं होते हैं। इसकी हकीकत जानने के लिए आई नेक्स्ट ने थर्सडे को सेंट्रल स्टेशन में लम्बी दूरी की सफर तय करने वाली नीलांचल, चौरी-चौरा, राप्तीसागर, महानंदा व बालामऊ रायबरेली इंटरसिटी में गार्ड व पायलट के पास रखे फायर एस्टिंग्यूशर की जांच की तो सामने आया कि इनमें से कई फायर एस्टिंग्यूशर काम चलाऊ हैं और कुछ तो चलने योग्य ही नहीं हैं। ट्रेनों के पायलट व गार्ड से जानकारी करने पर पता चला की इन फायर एस्टिंग्यूशर की जांच साल में सिर्फ दो बार हाेती है।

नीलांचल एक्सप्रेस

सेंट्रल स्टेशन समय 12:50 प्लेटफॉर्म एक पर खड़ी नीलांचल एक्सपे्रस के गार्ड कोच में रखे फायर एस्टिंग्यूशर की जांच पड़ताल की गई तो पाया गया वहां रखे दो फायर एस्टिंग्यूशर में एक चलने योग्य ही नहीं है। साथ ही गार्ड को उसका प्रयोग करना भी नहीं अाता था।

महानंदा एक्सप्रेस

सेंट्रल स्टेशन समय 2:04 बजे प्लेटफार्म दो पर खड़ी महानंदा के गार्ड कोच में रखे फायर एस्टिंग्यूशर की जांच की गई तो पाया गया कि सिलेंडर काफी पुराने हैं। जिनमें एक्सपायरी डेट भी मिटी हुई थी। गार्ड से जब इस मामले में पूछा गया तो उसने बताया कि यह केबिन में ऐसे ही रखा रहता है।

राप्ती सागर एक्सप्रेस

सेंट्रल स्टेशन समय 2:18 बजे प्लेटफॉर्म चार पर खड़ी राप्ती सागर एक्सपे्रस के पायलट लॉबी में रखे चार फायर एस्टिंग्यूशर की जांच की गई तो पाया गया कि फायर एस्टिंग्यूशर देखने में तो नए लग रहे थे, लेकिन उनका प्रयोग करना न तो पायलट को आता था और न ही उसके सहायक को।

--------------------------

इन स्थानों पर रखे जाते हैं फायर सेफ्टी

-चार फायर एस्टिंग्यूशर पायलट के पास

-दो गार्ड के पास

-चार पेंट्रीकार

-एक एसी कोचों में कोच अटेंडेंट के पास

----------------------

गर्मी में होती अधिकतर घटनाएं

रेलवे अधिकारियों की मानें तो गर्मी के मौसम में ही आग की घटनाएं अधिकतर होती हैं। चार दिन पूर्व जयपुर के जैसलमेर स्टेशन में खड़ी जैसलमेर इंटरसिटी में संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई थी। जिसमें फायर एस्टिंग्यूशर न होने की वजह से आग बेकाबू हो गई। घटना में चार पैसेंजर कोच जल कर राख हो गए थे।

----------------------

ट्रेनों में रखे फायर एस्टिंग्यूशर की छह माह में एक बार जांच अवश्य कराई जाती है। फिर भी मामले की जांच एक बार करा लेता हूं।

-विजय कुमार, सीपीआरओ, एनसीआर।