-शिक्षा वि5ाग और अल्पसं2यक वि5ाग की 3 सदस्यीय कमेटी ने की मदरसों की जांच

-प्रदेश के 215 मदरसों में चल रही मिड डे मील योजना

DEHRADUN: सूबे में शिक्षा महकमा मिड डे मील को लेकर कितना संजीदा है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि मदरसों में मिड डे मील की मॉनिटरिंग ही नहीं की जा रही है। आज भी मदरसों में 2-3 साल पुराने रेट पर ही मिड डे मील दिया जा रहा है।

शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर

प्रदेश में मदरसों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। लगातार मदरसों की स्थिति सुधारने को शिक्षा विभाग की ओर से कई बार पहल भी की जाती रही है। शौचालय से लेकर तमाम सुविधाओं की कमी की बात तो की जाती है। लेकिन जिस बात की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों की है उसमें शिक्षा महकमे के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। आपको बता दें कि शिक्षा विभाग ने मदरसों की स्थिति के लिए जांच कमेटी बनाकर रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें अल्पसंख्यक विभाग के कर्मचारी भी शामिल रहे। रिपोर्ट मदरसा बोर्ड को भी सौंपी गई है। मदरसा बोर्ड के उप रजिस्ट्रार अखलाक अहमद ने बताया कि जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि मदरसों में मिड डे मील की मॉनिटरिंग नहीं की जाती है।

नहीं आते मॉनिटरिंग के लिए

बोर्ड के उप रजिस्ट्रार ने कहा कि मिड डे मील की मॉनिटरिंग करने का जिम्मा शिक्षा विभाग के अधिकारियों और संकुल समन्वयक की है। जिनकी जिम्मेदारी स्कूलों के साथ मदरसों में जाकर समय-समय पर मिड डे मील की जांच करना रजिस्टर को चेक करना आदि है। लेकिन रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि मदरसों में संकुल समन्वयक मिड डे मील की मॉनिटरिंग के लिए जाते ही नहीं। इतना ही नहीं रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी किया गया है कि कई मदरसों में आज भी 2-3 साल पहले के रेट पर मिड डे मील दिया जा रहा है। अखलाक अहमद का कहना है कि इससे यह भी पता चलता है कि मदरसों को इस बात तक की जानकारी नहीं है कि मिड डे मील योजना में क्या चल रहा है।

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मदरसों की जांच के लिए बनाई गई शिक्षा विभाग और अल्पसंख्यक विभाग की रिपोर्ट मुझे मिल गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मदरसों में मिड डे मील की मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है। मदरसों में मिड डे मील की देखरेख की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों की है।

अखलाक अहमद, उप रजिस्ट्रार, उलराखंड मदरसा बोर्ड