-आई नेक्स्ट की रेड में एक बार फिर आरटीओ का खेल उजागर

- कैमरा देखते ही ऑफिस में काम निपटा रहे दलालों में भगदड़

-इन दलालों की हर महीने की बाकायदा सैलरी भी मिलती है

BAREILLY : दलाली और घूसखोरी का गढ़ के तौर पर विख्यात आरटीओ के कर्मचारियों ने काली कमाई का नया नेक्सस खड़ा कर लिया है। असल में बीते दिनों आरटीओ ऑफिस के बाहर दलाली की दुकान चलाने वालों को प्रशासन ने एक अभियान छेड़ कर उनके तंबू कनात को उखाड़ फेंका था। कड़ाई हुई तो महीने में लाखों रुपये का घाटा उठा रहे दलाल और आरटीओ के कर्मचारियों ने कमाई का नया रास्ता निकाला। रास्ता ऐसा कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। थर्सडे को आई नेक्स्ट की टीम ने इसी नेक्सस का भंडाफोड़ करने के लिए आरटीओ ऑफिस में रेड की बेहद चौंकाने वाला नजारा दिखा। आलम यह कि आरटीओ कर्मचारियों की कुर्सी पर दलाल और 'फर्जी कर्मचारी' काम करते मिले।

दलाल और कर्मचारी में फर्क करना मुश्किल

दोपहर के क्ख् बजे का समय, आरटीओ ऑफिस पहुंचे मेन गेट से आई नेक्स्ट टीम ऑफिस में पहुंचती है। अदंर का नजारा बेहद चौंकाने वाले, हर तरफ दलालों की फौज। इनको देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल कि यह कर्मचारी हैं या फिर दलाल। वजह ये गोपनीय फाइलों के साथ ही बाबुओं की सीट पर ही जमे थे। फाइलों के ढेर से खुद फाइल निकालकर उसमें अपने काम की चीजें बदलना, करना। माहौल ऐसा जैसे सरकार ने इन दलालों को आरटीओ ऑफिस में काम करने का लाइसेंस दे रखा हो।

एक कर्मचारी तो चार दलाल

इस दौरान आई नेक्स्ट के कैमरे का फ्लैश चमकते ही जैसे भगदड़ मच गई। अपने हाथों में मौजूद फाइलों से अपना चेहरा छुपाने की नाकाम कोशिश करते दलाल भागने लगी। जिन बाबुओं ने अपनी कुर्सियों पर दलालों को बैठा रखा था उनके चेहरे की रंगत उड़ने लगी। आलम यह कि पलभर कई सीट पर फाइलों का ढेर छोड़ कमाई वाले ये कर्मचारी भाग खड़े हुए। इस माहौल को लेकर थोड़ी पड़ताल की गई तो जो सच सामने आया वह बेहद चौंकाने वाला था।

असल में विभाग के बाबुओं ने यहां दलाल और कई फर्जी कर्मचारियों को सहायक के तौर पर तैनात कर रखा है। परमिट, रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस, टीआर ब्रांच, कैश एंड एकाउंट ब्रांच यात्रीगण ब्रांच इन सभी सेक्शन में बस दलालों का कब्जा। वैसे तो प्रत्येक सेक्शन में विभाग के एक या दो कर्मचारी नियुक्त हैं। वहीं बाबुओं ने अपने-अपने सेक्शन में ब्-ब् दलालों को नौकरी पर रखा है।

यहां दलाल भी पाते है सैलरी

आरटीओ ऑफिस के मास्टरमाइंड बाबू दलालों को हर महीने सैलरी देते हैं। हर महीने लाखों रुपये की कमाई करने वाले ये कर्मचारी औसतन एक दलाल की महीने में 7 से 8 हजार रुपये वेतन देते हैं। बता दें कि दलालों के फर्जीवाड़े का एक मामला सामने के बाद पुलिस प्रशासन भी खूब सख्त हुआ था। एसपी ट्रैफिक, एसपी क्राइम, टीएसआई ने संयुक्त रूप से दलालों के खिलाफ कार्रवाई को रेड डाली। लेकिन टीम के हाथ एक भी दलाल नहीं आए। असल में कार्रवाई की खबर पहले ही लग जाने से कैंपस में डेरा डाले दलाल भाग निकलते हैं। लेकिन दफ्तर में कर्मचारी बनकर अपना काम कर रहे ये दलाल किसी की नजरों में नहीं आते।

फर्जी कर्मचारियों का बड़ा फसाना

दलालों के अलावा आरटीओ ऑफिस में फर्जी कर्मचारियों का भी बोलबाला है। बेसिकली ये ऑफिसर्स के सह पर ऑफिस में काम करते है। मसलन एआरटीओ, आरआई और इंफोर्समेंट ऑफिसर्स से काम कराने का ठेका यही लेते हैं। ऑफिसर्स के सामने ये ऐसे पेश आते है कि, एप्लीकेंट्स भी उन्हें विभाग का परमानेंट कर्मचारी ही मानते है। खुद के जाने से भले ही कोई काम ना हो लेकिन ये कर्मचारी घंटों का काम मिनटों में करवा देते है। यह खेल इस लिहाज से होता है कि, एप्लीकेंट्स ऑफिसर्स पर किसी प्रकार का शक ना करे। सबसे अजीब बात यह है कि, ऑफिसर्स इसे आउटसोर्सिग का नाम देते है। अगर लाइसेंस सेक्शन को छोड़ दिया जाए तो, बाकी किसी भी सेक्शन में आउटसोर्सिग की व्यवस्था ही नहीं है। लेकिन रजिस्ट्रेशन, परमिट, टीआर ब्रांच इन सभी जगह फर्जी कर्मचारी काम करते हुए आसानी से मिल जाएंगे। लीगली सिर्फ लाइसेंस सेक्शन में ही एमटेक कंपनी के कर्मचारियों की नियुक्ति है।

विभाग के परमानेंट स्टॉफ

बाबुओं की संख्या - क्8

एआरटीओ इंफोर्समेंट - फ्

एआरटीओ प्रशासन - क्

पीटीओ - क्

आरआई - क्

आरटीओ - ख्

इनकी सफाई तो देखिए

डीलर्स ने अपने इंप्लाई रखे है, ताकि गाडि़यों का काम उनसे करवा सके। ऑफिस में आउटसोर्सिग तीन तरह की है पहला लाइसेंस फाइल फीड करते है, दूसरा पुरानी फाइल का डाटा फीड करते है और तीसरा जो कम्प्यूटर के एक्सपर्ट है वे है। कर्मचारियों को कम्प्यूटर के बारे में उतनी जानकारी नहीं है। इसलिए उन्होंने बाहरी व्यक्तियों को रखा है। फिर भी अगर फाइल में कोई जानकारी नोट करनी है या फिर कोई फाइल रखनी या निकाली है विभाग के कर्मचारी ही करेंगे अगर बाहरी व्यक्ति कर रहे है तो बाबुओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

--आरआर सोनी, आरटीओ

यह मामला गंभीर है। अगर ऐसा हो रहा है तो यह एआरटीओ और आरटीओ की जिम्मेदारी बनती है कि, ऐसा ना होने दे। मामले की जांच करवा कर इनके खिलाफ शासन को कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा।

- संजय कुमार, डीएम

तो मुंह क्यों छिपा रहे हैं

आरटीओ महोदय, शासन ने आपके विभाग के लिए बाकायदा कर्मचारियों की तैनाती कर रखी है। लेकिन आरटीओ के कर्मचारियों ने किस हक से अपने लिए कर्मचारी रखे हैं और यह कर्मचारी ऑफिस के अंदर बैठकर किसका काम करते हैं। एक क्षण के लिए मान भी लें कि ये दलाल नहीं तो कैमरा देखते ही ये फाइलें छोड़कर अपना चेहरा छुपा कर क्यों भागने लगे।