- एमडीए ने सेंट्रल अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री को लिखा लेटर

- कहा, डीएमआरसी से ही बनवाई जाए मेरठ मेट्रो की डीपीआर

- केंद्र की सभी शर्तो को एमडीए मानने को तैयार

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रूद्गद्गह्मह्वह्ल : सेंट्रल अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री और मेरठ डेवलपमेंट अथॉरिटी मेट्रो रेल की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनवाने को लेकर आमने सामने हो गए हैं। जहां एमडीए मेट्रो की डीपीआर दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) से बनवाना चाहती है तो वहीं मिनिस्ट्री साफ किया है कि इसमें ओपन टेंडर किया जाए। जिसके तहत प्रोजेक्ट डिले हो रहा है। इसी को देखते हुए एमडीए ने मिनिस्ट्री को लेटर भेजा है जिसमें एक बार फिर से डीएमआरसी पर अपनी सहमति जताने की बात कही गई है।

मिनिस्ट्री को लिखा लेटर

एमडीए की ओर मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट की कार्रवाई को आगे बढ़ाने को लेकर मिनिस्ट्री अर्बन डेवलपमेंट को लेटर लिखा है कि डीपीआर बनवाने के लिए डीएमआरसी के लिए ही परमीशन दी जाए। इसका कारण बताते हुए एमडीए ने कहा है कि वहीं एक ऐसी संस्था है जिसके पास भारत में मेट्रो लाइन बिछाने का पर्याप्त अनुभव है। इसके लिए करीब दो करोड़ रुपए खर्च होंगे। जिनमें से एक करोड़ रुपए प्राधिकरण वहन करने को पूरी तरह से तैयार है। वहीं बाकी का 50 फीसदी केंद्र सरकार हमें उपलब्ध कराएं।

मिनिस्ट्री ओर से ओपन टेंडर के थे निर्देश

सेंट्रल अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार करने के लिए लागत की 50 फीसदी रकम संबंधित एजेंसी को देता है। प्राधिकरण ने दिल्ली-मेरठ मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के लिए डीएमआरसी से टीओआर तैयार करा कर फाइल मंत्रालय को फाइल भेजी थी। इसमें डीपीआर की लागत करीब 2 करोड़ रुपए आकलित की गई है। मंत्रालय ने कहा कि एमडीए को यह दिखाना होगा कि डीपीआर के लिए उन्होंने अपने हिस्से एक करोड़ रुपए का अलग से इंतजाम कर लिया है। वहीं डीपीआर के लिए ओपन टेंडर जारी किया जाए।

इसलिए नहीं चाहती है एमडीए

टीओआर और डीपीआर दोनों के लिए एमडीए की शुरू में राइट्स से बातचीत चल रही थी। बाद में एमडीए ने अनुभव को वरीयता देते हुए डीएमआरसी से काम कराने का फैसला लिया। गत अगस्त में प्रदेश सरकार ने भी हामी भर दी। लेकिन सेंट्रल अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री ने एमडीए को साफ शब्दों में कह दिया था कि गाइडलाइंस के अनुसार 50 फीसदी रकम तब ही दी जाएगी जब डीपीआर के लिए खुली निविदा आमंत्रित की जाएगी। प्राधिकरण अधिकारियों को डर सता रहा है कि इस सूरत में कोई नौसिखिया कंपनी कम रेट डाल कर डीपीआर का ठेका झटक सकती है। ऐसे में काम कम गुणवत्तापूर्ण होने की संभावना रहेगी।

हमने मिनिस्ट्री को लेटर लिखा है कि ओपन टेंडर की जगह डीएमआरसी से डायरेक्ट डीपीआर बनवाई जाए। क्योंकि उसके पास पर्याप्त अनुभव है। हमने इसके लिए स्टेट गवर्नमेंट से भी परमीशन ले ली है।

- राजेश कुमार यादव, वीसी, एमडीए ्र

फैक्ट एंड फिगर

- मेट्रो के लिए 10 अंडरग्राउंड होंगे स्टेशन।

- सिटी में करीब 20 किलोमीटर की होगी लाइन।

- हर स्टेशन के बीच होगा 2 किलोमीटर का अंतर।

- वर्ष 2021 की महायोजना शामिल किया मैट्रो को।

- डीएमआरसी की ओर से करीब 2 करोड़ रुपए में तैयार की जाएगी डीपीआर।

- करीब 1500 करोड़ रुपए का होगा प्रोजेक्ट।

- अगर सब ठीक रहा तो 5-7 साल लगेंगे परियोजना पूरी होने में।

ये होंगे मैट्रो स्टेशन

- मलियाना बस अड्डा

- भोला रोड तिराहा

- मैट्रो प्लाजा

- बच्चा पार्क

- विक्टोरिया पार्क

- तेजगढ़ी चौराहा

- शास्त्री नगर, पीवीएस मॉल

- पीएसी हापुड़ रोड

- कमिश्नर चौराहा

- मवाना रोड, सिंचाई कार्यालय