दिल्ली की है रहने वाली

दिल्ली निवासी सुनीता (बदला हुआ नाम) के  मां-बाप की मौत पांच साल पहले हो गई थी। मां-बाप न होने के कारण भूखों मरने की नौबत आ गई। तीन साल पहले सुनीता की मुलाकात दिल्ली में ही प्रभुदयाल से हुई थी। प्रभुदयाल ने उसे नौकरी दिलवाने का भरोसा दिया। वह उसे लेकर आगरा में आ गया। हनुमान चौराहा, खंदारी निवासी कारोबारी के घर घरेलू काम      क ाज के  लिए लगा दिया।

वेतन मांगने पर करते थे मारपीट

पीडि़ता सुनीता 25 जनवरी को डीआईजी वीएस मीणा से मिली थी। मीणा को दिए शिकायती पत्र में अपनी दर्दनाक दास्तां बयां करते हुए बताया कि काम करते-करते पूरे तीन साल गुजर गए। हर महीने वह अपने वेतन की मांग करती, तो उसके साथ मारपीट की जाती थी। धमकाया भी जाता था। उससे बताया गया कि प्रभुदयाल तीन साल का वेतन एडवांस में ले गया था। कारोबारी से उससे सिर्फ कपड़े, खाना और रहने के लिए वेतन देने के बहाने बुलाया कारोबारी ने वेतन देने के बहाने लड़की को घर बुलाया। 10 दिसम्बर की दोपहर दो बजे कारोबारी के घर लड़की पैसे लेने पहुंची। घर में कारोबारी की पत्नी और बच्चे नहीं थे। कारोबारी ने उससे अपने घर के बेडरूम में ले जाकर दुराचार किया । विरोध करने और किसी से शिकायत करने पर जान से मरवा देने की धमकी दी थी। पीडि़ता अगले दिन पहले थाना हरीपर्वत और बाद में एसएसपी कार्यालय शिकायत करने के लिए पहुंची थी। वहां से उसे निराशा हाथ लगी।

 पुलिस बचा रही है कारोबारी को

पुलिस कारोबारी को बचाने का प्रयास कर रही है। लड़की ने डीआईजी के यहां गुहार लगाई थी। उनके आदेश पर थाना हरीपर्वत पुलिस मामले की जांच कर रही है। सोर्सेज के अनुसार पुलिस की जांच का रूझान कारोबारी के पक्ष में ही जाता नजर आ रहा है। पीडि़ता के आरोपों को सिरे से नकार दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अनदेखा किया है। तीन साल का वेतन रोकना, मारपीट करना, बंधक बनाकर रखना, रेप करना और जान से मारने की धमकी देना आदि पीडि़ता के आरोपों में से एक भी आरोप पुलिस विवेचक ने सही नहीं ठहराया है।

घर में रखा जाता था बंधक

दिल्ली निवासी युवती को घर में बंधक बनाकर रखा जाता। उसे घर से निकलने भी नहीं दिया जाता था। 12 अक्टूबर 2013 को वह मौका पाकर घर से भाग निकली। उसी की तरह काम करने वाली नौकरानी के घर में रहने लगी। इसकी जानकारी कारोबारी को लग गई.