BAREILLY: मोबाइल चोरी या खो जाने पर पीडि़त को मदद की उम्मीद होती है कि पुलिस उसका नंबर सर्विलांस पर लगा देगी। यदि नंबर चालू होगा तो फोन बरामद वह जाएगा, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। पुलिस सिर्फ अप्लीकेशन पर थाना की एक मोहर मारकर इतिश्री कर लेती है। सुभाषनगर के एक शख्स ने भी दो वर्ष पहले खोए फोन को सर्विलांस पर न लगाने का जब आरटीआई से जवाब मांग लिया, तो पुलिस में हड़कंप मच गया। अब पुलिस ने नंबर को सर्विलांस पर लगाने के लिए भेज दिया है।

 

17 मई 2015 को चोरी हुआ था मोबाइल

सुभाषनगर की राजीव कॉलोनी निवासी मिश्र प्रकाश 17 मई 2015 को बदायूं रोड पर जा रहे थे। वह प्राइवेट वाहन में सवार थे। रास्ते में उनका किसी ने मोबाइल चोरी कर लिया। जब वह घर पहुंचे तो मोबाइल गायब होने का पता चला। उन्होंने इसकी थाने में जाकर शिकायत की तो थाने में उन्हें एक अप्लीकेशन पर मोहर लगाकर दे दी गई। इसके अलावा उनसे कह दिया गया कि उनका नंबर सर्विलांस पर लगा दिया जाएगा। वह इसी उम्मीद में रहे कि उनका नंबर सर्विलांस पर लगा होगा, लेकिन दो वर्ष बाद भी जब उनका मोबाइन नहीं मिला तो उन्होंने आरटीआई से इसकी जानकारी मांगी। जिसके बाद मामला सुभाषनगर थाना पहुंचा तो पुलिस में हड़कंप मच गया। पुलिस ने आरटीआई का जवाब दे दिया है और अब नंबर को सर्विलांस पर लगाने के लिए भेज दिया है।


मोहर तक सीमित है सबकुछ

रोजाना सैकड़ों मोबाइल चोरी या फिर गुम हो जाते हैं। बरेली के सभी थानों को मिलाकर औसतन 25 मोबाइल चोरी या खोने की अप्लीकेशन अलग-अलग थानों पर पहुंचती हैं। अधिकतर मामलों में पुलिस गुमशुदगी लिखवाने की ही कोशिश करती है। कई थानों में तो इसके लिए फोटो स्टेट शॉप से सेटिंग कर फार्म भी छपवाकर रखे हैं, जिसके बाद एक अप्लीकेशन पर मोहर लगाकर दे दी जाती है और दूसरे को थाने में रख लिया जाता है.

 

जीडी में नहीं होती हैं एंट्री

पीडि़त का सबसे पहला मकसद नया सिम निकलवाना होता है, जो गुमशुदगी की मोहर से काम चल जाता है। जिसके बाद वह चाहता है कि उसका नंबर सर्विलांस पर लग जाए, ताकि उसका फोन चालू हो तो उसे मिल जाए, लेकिन ऐसा नहीं होता है। अधिकतर मुंशी तो थाने में रखी गई अप्लीकेशन को जीडी में ही एंट्री नहीं करते हैं और एंट्री हो भी जाए तो फिर उसे सर्विलांस के लिए नहीं भेजा जाता है।

 

इसलिए नहीं लगते सर्विलांस पर

पुलिस की सर्विलांस सेल में सिर्फ उन्हीं नंबरों को सर्विलांस पर लगाया जाता है जो किसी वारदात से जुड़े होते हैं। इसके अलावा यदि कोई पीडि़त एसएसपी ऑफिस में जाकर शिकायत करता है तो उसका नंबर सर्विलांस के लिए भेजा जाता है। इसके अलावा अन्य नंबरों को सर्विलांस पर नहीं लगाया जाता है।