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Allahabad: मोबाइल टॉवर्स के रेडिएशन से वाकई लोग परेशान हैं। इसकी हकीकत आई नेक्स्ट में न्यूज पब्लिश्ड होने बाद सामने आई। लोगों ने न केवल मेल करके इस संबंध में अपनी राय दी बल्कि केपी ग्राउंड में लगे इंटरनेशनल ट्रेड फेयर पहुंचकर रेडिएशन का डेमो भी देखा। डेमो के दौरान उनकी आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गईं.
हृद्ग2ह्य श्चड्डश्चद्गह्म् लेकर ढूंढ रहे थे ह्यह्लड्डद्यद्य
सात जनवरी को आई नेक्स्ट ने फ्रंट पेज पर 'मोबाइल ऑन एनर्जी गॉनÓ न्यूज पब्लिश्ड की थी। इसमें हमने बताया था कि किस तरह से मोबाइल टॉवर से निकलने वाला इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन लोगों को बीमारियों की सौगात दे रहा है। इससे हमारी बॉडी कमजोर पड़ रही है। न्यूज का असर तब देखने को मिला जब भारी संख्या में रीडर्स हाथों में आई नेक्स्ट लेकर इंटरनेशनल ट्रेड फेयर के स्टाल नंबर 143 पर पहुंच गए। वहां पर उन्होंने रेडिएशन से होने वाले नुकसान का डेमो भी देखा। इसके बारे में जानकारी ली। स्टाल ओनर सुजीत कुमार गुप्ता ने बताया कि लोगों को रेडिएशन से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। इस पर उन्हें मौके पर डेमो के जरिए समझाया गया। डेमो के दौरान ही उन्हें ज्वालामुखी की राख से बने प्रोडक्ट से मिलने वाली प्रोटेक्शन के बारे में भी बताया गया.
जागरुक पाठकों ने भेजी राय
आई नेक्स्ट के जागरुक रीडर्स ने इस न्यूज पर जबरदस्त रिएक्शन दिया। उन्होंने मोबाइल टावर रेडिएशन से होने वाले खतरों के बारे में बताया और अपनी राय भी दी। एक रीडर ने बताया कि 2020 तक दो बिलियन लोग रेडिएशन से होने वाले कैंसर का शिकार हो सकते हैं। जिसके लिए मोबाइल फोन जिम्मेदार है। एक रीडर ने ईमेल करके बताया कि मोबाइल तरंगें काफी हानिकारक साबित हो सकती हैं। भारतीय पर्यावरण मंत्रालय के डॉ। असद रहमानी ने नेतृत्व में हुए शोध में पता चला है कि 20 मिनट तक मोबाइल फोन पर बात करने से कान की ग्रंथियों का तापमान एक डिग्री तक बढ़ जाता है। मोबाइल टावर के 50 से 300 मीटर के दायरे में ज्यादा घातक हो जाता है। इसको देखते हुए दूरसंचार मंत्रालय ने सितंबर 2012 में टावरों से निकलने वाली तरंगों को .9 वाट प्रति मीटर वर्ग सीमित करने का निर्देश दिया है.
News paper लेकर ढूंढ रहे थे stall सात जनवरी को आई नेक्स्ट ने फ्रंट पेज पर 'मोबाइल ऑन एनर्जी गॉनÓ न्यूज पब्लिश्ड की थी। इसमें हमने बताया था कि किस तरह से मोबाइल टॉवर से निकलने वाला इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन लोगों को बीमारियों की सौगात दे रहा है। इससे हमारी बॉडी कमजोर पड़ रही है। न्यूज का असर तब देखने को मिला जब भारी संख्या में रीडर्स हाथों में आई नेक्स्ट लेकर इंटरनेशनल ट्रेड फेयर के स्टाल नंबर 143 पर पहुंच गए। वहां पर उन्होंने रेडिएशन से होने वाले नुकसान का डेमो भी देखा। इसके बारे में जानकारी ली। स्टाल ओनर सुजीत कुमार गुप्ता ने बताया कि लोगों को रेडिएशन से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। इस पर उन्हें मौके पर डेमो के जरिए समझाया गया। डेमो के दौरान ही उन्हें ज्वालामुखी की राख से बने प्रोडक्ट से मिलने वाली प्रोटेक्शन के बारे में भी बताया गया.
जागरुक पाठकों ने भेजी राय आई नेक्स्ट के जागरुक रीडर्स ने इस न्यूज पर जबरदस्त रिएक्शन दिया। उन्होंने मोबाइल टावर रेडिएशन से होने वाले खतरों के बारे में बताया और अपनी राय भी दी। एक रीडर ने बताया कि 2020 तक दो बिलियन लोग रेडिएशन से होने वाले कैंसर का शिकार हो सकते हैं। जिसके लिए मोबाइल फोन जिम्मेदार है। एक रीडर ने ईमेल करके बताया कि मोबाइल तरंगें काफी हानिकारक साबित हो सकती हैं। भारतीय पर्यावरण मंत्रालय के डॉ। असद रहमानी ने नेतृत्व में हुए शोध में पता चला है कि 20 मिनट तक मोबाइल फोन पर बात करने से कान की ग्रंथियों का तापमान एक डिग्री तक बढ़ जाता है। मोबाइल टावर के 50 से 300 मीटर के दायरे में ज्यादा घातक हो जाता है। इसको देखते हुए दूरसंचार मंत्रालय ने सितंबर 2012 में टावरों से निकलने वाली तरंगों को .9 वाट प्रति मीटर वर्ग सीमित करने का निर्देश दिया है.
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