-हॉस्टल परिसर में हादसे को याद कर कांप रही छात्राएं

-बेहोश होकर गिरती गई, इमरजेंसी पहुंचाते गए लोग

Meerut: सुबह की शिफ्ट में ड्यूटी के लिए जा रही छात्राएं नाश्ते के लिए कमरे से निकलकर कैंटीन पहुंच रही थी तो ज्यादातर की ठीक से नींद भी नहीं खुली थी। एकाएक घातक धुएं ने दम घोटना शुरू कर दिया। आंखों से झरते आंसू के साथ छात्राएं अफरा-तफरी में इधर उधर भागती नजर आई। एक ऐसा दहशत का माहौल ग‌र्ल्स हास्टल में पैदा हो गया जिसकी परिकल्पना भर से सिहर उठती हैं छात्राएं।

कैंटीन में घिर गई छात्राएं

कैंटीन में नाश्ता कर रहीं करीब पचार छात्राएं आंसू गैस से निकले धुएं की चपेट में जैसे ही आई, हास्टल में अफरा-तफरी मच गई। चीख-पुकार और भागदौड़ के बीच कई ने खुद को कमरे में कैद कर लिया तो कई ने हास्टल के बाहर दौड़ लगा दी।

बेहोश होकर गिरने लगीं छात्राएं

आंसू गैस की चपेट में आने के बाद करीब एक दर्जन छात्राएं बेहाश होकर गिर गई। इन छात्राओं को कॉलेज स्टाफ ने इमरजेंसी पहुंचाया। अभी छात्राओं का इलाज शुरू भी नहीं हो सका था कि एक-एक कर दस अन्य छात्राएं भी बेहोश होकर हास्टल में गिरने लगीं, इन्हें भी इलाज के लिए इमरजेंसी लगा गया। तीन के करीब पीडि़त छात्राओं को हास्टल में ही दवा दी गई। प्रात: साढ़े आठ बजे से दोपहर दो बजे तक हास्टल में दहशत के बीच भागदौड़ का आलम था तो परिसर में मौजूद बाकी छात्राएं भी खुद को अस्वस्थ महसूस कर रही थीं।

दहशत का मंजर

ऐसा लग रहा था कि अब नहीं बचेंगे, कैंटीन में भागदौड़ से डर लग रहा था।

प्रियंका, छात्रा

मारे दहशत के दरवाजा बंद कर लिया। चीख-पुकार सुनकर नीचे उतरी तो देखा कि साथ रहने वाली छात्राएं बेहोश थीं। मैं तो डर गई।

सृष्ठि, छात्रा

जब तक समझ पाते, तब तक कैंटीन के साथ-साथ पूरे हॉस्टल में धुआं भर गया। हादसे की सोचकर रूह कांप जाती है।

प्रियंका, 2 छात्रा

हॉस्टल के आंगन में एक गोला सा गिरा और ढ़ेर सारा धुआं कैंटीन में भर गया। मैं दूर थी सो बच गई, आंखों में जलन हो रही है।

चेतना, छात्रा

तेज आवाज के साथ गोला गिरा। जब तक कुछ समझ पाते, खुद को धुएं से घिरा पाया। मैं अभी तक डर रही हूं।

अंजलि, छात्रा

किसी बड़ी घटना की सोचकर अभी भी मन बेचैन है, अफरा-तफरी के दौरान लगा कि अब बचना मुश्किल होगा।

पूजा, छात्रा

दो गोले गिरे, धुएं से पूरा हॉस्टल भर गया, दहशत के मारे पैर कांप रहे थे।

दिव्या, छात्रा

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मैं ड्यूटी पर ही था, हॉस्टल से फोन गया तो अनिश्चितता की स्थिति में दो मिनट का रास्ता तय करना मुश्किल हो गया। बेहोश छात्राएं और दहशत का मंजर नजर के सामने अभी भी घूम रहा। ईश्वर का धन्यवाद है, जो कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ।

डॉ। दिनेश राणा

नोडल ऑफीसर, जीएनटी हॉस्टल