-मेडिकल अस्पताल परिसर स्थित मेडिकल थाना पुलिस की करतूत

-अस्पताल परिसर के बीचोंबीच फोड़ दिया आंसू गैस का गोला

-हॉस्टल में गिरे दो गोले, एक बाउंड्री पर तो दूसरा कैंटीन के पास गिरा

-आंसू गैस की चपेट में आई करीब 150 छात्राएं, 52 गंभीर, 21 हुई बेहोश

-इमरजेंसी में भर्ती की छात्राएं, मची भगदड़, मेडिकल प्रशासन ने जारी किया अलर्ट

Meerut: धामपुर के नुसरत हुसैन बेड पर पड़ी अपनी लाड़ली फरहीन को निहार रहे थे। बेटी को सलामत देखकर उनके चेहरे पर सुकून था तो वहीं अंदेशे से कलेजा कांप रहा था। मौत के मुंह से बाहर निकलकर आई थी उनकी बेटी। बेटी के सिर पर हाथ फेर रहे मां-बाप के मन में एक सवाल था कि 'क्या हमारी बेटी यहां सुरक्षित नहीं है.' पुलिस की लापरवाही से शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज की नर्सिग कोर्स की छात्राओं की जान पर बन आई। मॉक ड्रिल में छोड़े गए आंसू गैस के गोले नर्सिग हॉस्टल में जा गिरे। गोले से निकले धुंए की चपेट में आकर करीब 150 छात्राएं प्रभावित हुई जिसमें 52 छात्राएं बीमार हो गई। 21 गंभीर छात्राओं को इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। सतर्क चिकित्सा के बाद देर शाम तक छात्राओं की स्थिति में सुधार हुआ।

जब घुटने लगा दम

मेडिकल कॉलेज के कॉलेज ऑफ नर्सिग के जीएनटी छात्रावास में शुक्रवार प्रात: आठ बजे करीब पचास नर्सिग छात्राएं कैंटीन में ब्रेकफास्ट कर रही थीं जबकि बीस छात्राएं आसपास मौजूद थीं। एकाएक हास्टल के आंगन में तेज आवाज के साथ एक गोला गिरा और उससे तेज गति से धुंआ निकलने लगा। अभी छात्राएं कुछ समझ पाती कि धुआं कैंटीन और गैलरी में भर गया। छात्राओं को सांस लेना मुश्किल हो गया तो वहीं धुंए की चपेट में आई छात्राओं में भगदड़ मच गई। कुछ छात्राएं कैंटीन में ही बेहोश हो गई तो कुछ को मुश्किल से कमरा मिला।

दाग दिया गोला

इधर नर्सिग हॉस्टल में चीख-पुकार मच रही थी तो वहीं पास के मैदान में मौजूद पुलिसवालों में भगदड़ मच गई। आलाअधिकारियों के निर्देश पर मॉक ड्रिल कर रही मेडिकल थाना पुलिस हथियारों समेत थाने में दुबक गई। मालूम चला कि पुलिसवालों ने ग्राउंड से आंसू गैस के गोले दागे, एक गोला हॉस्टल की बाउंड्री पर गिरा तो दूसरा कैंपस के अंदर। हंगामा हुआ तो एसओ वचन सिंह सिरोही कुछ सिपाहियों के साथ हॉस्टल पहुंचे और आंसू गैस के दगे गोले को कब्जे में ले लिया।

इमरजेंसी में मची भगदड़

करीब 20 मिनट में हॉस्टल की 150 छात्राओं की तबियत बिगड़ गई, आंखों में जलन के साथ आंसू, पेट में दर्द, उल्टी-दस्त, नाउजिया आदि लक्षण से पीडि़त छात्राएं छटपटा रही थीं तो करीब 50 छात्राएं बीमार हो गई जिसमें से 21 छात्राओं की हालत बिगड़ने पर उन्हें इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। आनन-फानन में छात्राओं को इमरजेंसी पहुंचाने का सिलसिला शुरू हुआ। बेहोश छात्राओं को गोद में उठाकर इमरजेंसी तक ले जाया गया। कार्यवाहक प्राचार्य प्रो। प्रदीप भारती के निर्देश पर हॉस्पीटल में एलर्ट जारी कर दिया गया। इमरजेंसी को खाली करा दिया गया और गंभीर छात्राओं को ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया।

इमरजेंसी में रेफर किया

हादसे के बाद इमरजेंसी में अफरा-तफरी मच गई। घटनाक्रम की जानकारी के बाद हॉस्टल के केयर टेकर डॉ। दिनेश राणा, कैज्युलिटी मेडिकल ऑफीसर डॉ। अजीत चौधरी, यूनियन प्रेसीडेट विपिन त्यागी, प्रमुख अधीक्षक डॉ। सुभाष सिंह, एमओआईसी डॉ। अरविंद कुमार, एसपीएम डॉ। संजीव कुमार टीम के साथ इमरजेंसी में रहे। योगेंद्र पाल सिंह, एनके शुक्ला ने दवाएं उपलब्ध कराई। एलर्ट के दौरान ओपीड़ी से इमरजेंसी में मरीजों को रेफर करने के लिए मना कर दिया गया तो वहीं भर्ती मरीजों को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। बीमार छात्राओं के इलाज में अस्पताल स्टाफ के अलावा साथी छात्राएं लगी रहीं।

पहुंचे परिजन, ली राहत की सांस

प्रात: नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक इमरजेंसी में दहशत का माहौल रहा। छात्राओं की बनती-बिगड़ती तबियत पर चिकित्सकों की नजर थी तो वहीं कुछ गंभीर छात्राओं को लेकर मेडिकल प्रशासन परेशान रहा। तीन बजे के बाद स्थिति कुछ सामान्य हुई, ज्यादातर हताहत छात्राएं सामान्य होने लगीं तो परिजनों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया। देर रात्रि तक आसपास के क्षेत्रों से आए परिजन छात्राओं को घर ले गए तो बाकी को हास्टल भेज दिया गया। आपात स्थिति को देखते हुए रविवार तक की छुट्टी मेडिकल प्रशासन ने घोषित कर दी है।

खतरनाक है आंसू गैस

एसपीएम डॉ। संजीव कुमार ने बताया कि आंसू गैस मूलत: पीपर का स्पे्र है, इस ओसी गैस या ओरियो कैप्सिकम भी कहते हैं। इस गैस का प्रभाव तत्काल होता है और इसके प्रभाव से नाउजिया, आई पेनिंग, बॉडी पेन, जलन, वोमेटिंग के अलावा मरीज टाइम-प्लेस और परर्सन डिसओरिएंटेड हो जाता है। मतलब उसकी याददाश्त प्रभावित होती है। जान जाने की संभावनाएं कम होती हैं किंतु खतरनाक गैस का असर मैन-टू-मैन डिपेंड करता है।

नहीं ली पुलिस ने अनुमति

मेडिकल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य प्रो। प्रदीप भारती इस दौरान इमरजेंसी में तैनात रहे। उन्होंने छात्राओं के हाल लिए साथ ही चिकित्सकों को उपचार के लिए निर्देशित किया। सवाल के जबाव में उन्होंने आई नेक्स्ट को बताया कि मेडिकल कॉलेज परिसर में किसी भी तरह की गतिविधि के लिए परमीशन की आवश्यकता होती है। मॉक ड्रिल के संबंध में पुलिस द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस किसी ऐसी गतिविधि के बारे में जिक्र करती तो वे मना कर देते। मेडिकल कॉलेज एक संवेदनशील स्थान हैं। यहां शिक्षक छात्राओं के अलावा दमा-अस्थमा के मरीज भी हैं जिनके लिए 'स्मोक' जानलेवा है।

बड़ा हादसा टला

हॉस्टल के नोडल ऑफीसर डॉ। राणा ने बताया कि पुलिस की लापरवाही एक बड़े हादसे का सबब बनी है। उन्होंने कहा कि बीएससी नर्सिग की 150 छात्राओं के अलावा जेएनएम की 25 छात्राएं और 25 शिक्षक और स्टॉफ हादसे के समय परिसर में मौजूद थीं। इसके अलावा ग‌र्ल्स पीजी हॉस्टल और यूजी हॉस्टल भी यहीं पर है।

देर बाद पहुंची पुलिस

हादसे के बाद एक ओर जहां कॉलेज प्रशासन बेहोश छात्राओं को इमरजेंसी पहुंचाने का काम कर रहा था तो वहीं गुस्साए लोगों ने थाना पुलिस को फोन किया। देर तक कोई पुलिसवाला नहीं पहुंचा तो आईजी, डीआईजी, एसएसपी समेत प्रशासनिक अधिकारियों को फोन कर जानकारी दी गई। देर बाद सीओ सिविल लाइन स्वर्णजीत कौर और मेडिकल थाना के एसओ बदन सिंह सिरोही इमरजेंसी पहुंचे। यहां पुलिस अपनी सफाई दे रही थी तो लोगो ने उन्हें जमकर खरीखोटी सुनाई।

अजब एसओ का गजब जबाव

मॉक ड्रिल मेडिकल थाना के एसओ बदन सिंह सिरोही के नेतृत्व में चलाया गया था सो आई नेक्स्ट की टीम ने थाना पहुंचकर प्रकरण की जानकारी उनसे ली। एक सवाल के जबाव में एसओ ने चौंका दिया। उनसे पूछा गया कि 'क्या उन्होंने मॉक ड्रिल के संबंध में कॉलेज प्रशासन से अनुमति ली?' सवाल के जबाव में वे बोले कि 'इसमें क्या पूछना? मैंने आवश्यकता नहीं समझी.' हादसे को महज इत्तेफाक बताकर एसओ जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते रहे तो वहीं इमरजेंसी में पुलिस के रवैये को लेकर मेडिकल प्रशासन में खासा आक्रोश था।

प्रिंसिपल ने दी शासन को जानकारी

कार्यवाहक प्रिंसिपल प्रो। प्रदीप भारती ने पुलिस को बड़े हादसे का गुनाहगार ठहराते हुए कहा कि हादसे के बाद पुलिस-प्रशासन का रवैया बेहद संवेदनहीन रहा। घटनाक्रम के संबंध में उन्होंने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, मंडल कमिश्नर, डीएम, आईजी, डीआईजी, एसएसपी, डीजीएमई को जानकारी दे दी है। उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव गृह से भी इस संबंध में वार्ता का प्रयास किया जा रहा है।