- सरकारी विभागों को मोदी के अभियान से नहीं है लेना-देना

- स्वच्छ भारत अभियान को मुंह चिढ़ा रहे हैं मौजूदा हालात

ALLAHABAD: अच्छे रास्ते पर चलने के लिए इच्छाशक्ति की जरूरत होती है। फिर सूरत बदलने में देर नही लगती है। फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत अभियान में इसी इच्छाशक्ति की कमी नजर आ रही है। खासतौर से सरकारी विभागों के हाल तो बेहाल हैं। यहां कर्मचारी ही गंदगी फैला रहे हैं तो पब्लिक कहां पीछे रहने वाली। मंगलवार को आई नेक्स्ट ने रियलिटी चेक करने के लिए विकास भवन का जायजा लिया तो सच्चाई सामने आ गई। भवन के एंट्री से लेकर एग्जिट तक का आंखों देखा हाल यह रहा।

बॉक्स नंबर एक

हर जगह दिखती है पान की पीक

आई नेक्स्ट की टीम ने विकास भवन के बैंक ऑफ बड़ौदा वाले गेट से जैसे ही अंदर प्रवेश किया, यहीं के एक कर्मचारी सीढ़ी के पास पान थूकते नजर आए। कैमरा देखकर भी उनको कोई फर्क नहीं पड़ा। सीढि़यों पर पान थूकते एक दूसरे कर्मचारी से जब हमने मोदी के अभियान के बारे में पूछा तो उसका जवाब था, कौन सा अभियान, कैसा अभियान, यहां के हालात नहीं सुधरने वाले। इसके अलावा हर मंजिल में पान की पीक नजर आई।

बॉक्स नंबर दो

फाइलों पर धूल की मोटी परत

सहायक जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय हो या पहली मंजिल स्थित डीआरडीए का ऑफिस। सभी जगह रखी फाइलों पर धूल की मोटी परत जमी हुई है। कर्मचारियों और अधिकारियों का ध्यान भी इस ओर नहीं जाता है। अगर कभी इन फाइलों की जरूरत पड़ी तो पूरे कार्यालय में धूल का गुबार नजर आने लगता है। जब कर्मचारियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, यह कई साल पुरानी फाइले हैं। अब इनकी जरूरत नहीं पड़ती। रिकार्ड के लिए रखी हुई हैं। सफाई कर्मचारी मनमानी करते हैं। कहने के बावजूद धूल नहीं हटाते।

बॉक्स नंबर तीन

डस्टबीन में नहीं फेंकते कचरा

सहकारिता अनुभाग के कम्प्यूटर कक्ष में चाय के कप बिखरे पड़े हुए थे। पास में डस्टबीन होने के बावजूद कर्मचारी प्लास्टिक के कप उसमें फेंकने की भी जहमत नहीं उठाते। कागज के टुकड़े और दूसरी गंदगी भी आसपास पड़ी दिखाई दी। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में तो फर्श पर धूल की मोटी परत जमी नजर आई। ऐसा लगा कि कई दिनों से यहां झाड़ू भी नहीं लगाई गई हैे। पूछताछ करने पर पता चला कि फर्श काफी पुरानी है और उखड़ गई है। इसलिए धूल पूरी तरह साफ नहीं हो पाती है।

नहीं मिला है लिखित आदेश

फर्श से लेकर दीवार तक धूल ही धूल नजर आने पर जब विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों से पूछा गया तो उनका कहना था कि स्वच्छ भारत अभियान के बारे में अभी तक कोई लिखित आदेश नहीं मिला है। अगर ऐसा कोई आदेश आता है तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। दीवारों पर थूकना मना है लिखा होने के बावजूद कर्मचारी गंदगी फैलाने से बाज नहीं आते हैं।

मंत्रियों ने मारा छापा, तो अधिकारी क्यों नहीं जाते

हाल ही में मोदी के अभियान के चलते रवि शंकर प्रसाद सहित कई केंद्रीय मंत्रियों ने अपने विभागों में औचक निरीक्षण कर सफाई व्यवस्था का जायजा लिया है। बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारी इतने बड़े अभियान से बेखबर हैं। उनकी ओर से अभी तक कोई गाइडलाइन भी जारी नहीं की गई है। हालात यह हैं कि सरकारी विभागों में सफाई व्यवस्था पहले से ज्यादा बदतर होती जा रही है।