मेट्रो रेल परियोजना अभी फाइल में, स्मार्ट सिटी में दो बार फेल हो चुका है इलाहाबाद

सुपर स्पेशियलिटी सेंटर और दीनदयाल विद्युतीकरण योजना का अब भी है इंतजार

ALLAHABAD: मोदी सरकार के तीन साल पूरे हो गए हैं। देश-विदेश के मसलों पर यह सरकार चाहे जैसी रही हो, लेकिन इलाहाबाद के लिए अभी कुछ ऐसा नहीं हुआ, जिसका जिक्र किया जा सके। यहां के लिए सरकार के वादे अब भी वादे ही बने हुए हैं और पब्लिक इस इंतजार में है कि वे कब पूरे होंगे। मेट्रो रेल परियोजना अभी फाइलों में है। स्मार्ट सिटी योजना में इलाहाबाद दो बार मुंह की खा चुका है। सुपर स्पेशियलिटी सेंटर और दीनदयाल विद्युतीकरण योजना कब शुरू होगी पता नहीं? हां ये जरूर कहा जा सकता है कि रेलवे में हल्की-फुल्की उपलब्धि मिली है।

अभी डीपीआर प्रजेंटेशन का इंतजार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेट्रो रेल चलाने की घोषणा की थी जो अभी तक फाइलों में है। तीन साल का लंबा समय बीतने के बाद भी अभी तक डीपीआर ही तैयार नहीं हो सका है। राइट्स कंपनी को डीपीआर फाइनल करने का दायित्व सौंपा गया था जिसका प्रजेंटेशन तक नहीं हुआ है। जिला प्रशासन का कहना है कि जल्द ही कंपनी के साथ बैठक करेंगे। उसमें मेट्रो रेल को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।

अभी अंधेरे में हैं गांव

जिले के जिन पिछड़े मजरों में अब तक बिजली कनेक्शन नहीं दिया जा सका है, वहां दीनदयाल विद्युतीकरण योजना के तहत निशुल्क कनेक्शन दिए जाने थे। योजना के सर्वे का काम काफी पहले पूरा हो चुका है, लेकिन इसकी शुरूआत कब होगी यह बताने वाला कोई नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि शासन को सर्वे रिपोर्ट भेजी जा चुकी है और अब वहां से निर्देश मिलने का इंतजार है।

दिसंबर तक चालू होने की उम्मीद

केंद्र सरकार ने प्रयाग नगरी को एम्स की तर्ज पर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का वादा करते हुए सुपर स्पेशियलिटी सेंटर के लिए 150 करोड़ का बजट जारी किया है। पिछले छह माह से एसआरएन हॉस्पिटल परिसर में इसके बिल्डिंग का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। 168 बेड, 52 बेड के आईसीयू, सात ओटी और कैथ लैब वाले सेंटर को चालू करने की डेडलाइन दिसंबर तक दी गई है।

केंद्र ने काम किया, फिर भी रह गई कमी

गंगा एक्शन प्लान के तहत केंद्र सरकार ने गंगा किनारे के गांवों में खुले में शौच पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया था। इसके तहत 5173 करोड़ रुपए दो चरणों में जारी भी कर दिया। इससे कुल 122 ग्राम पंचायतों में 43111 शौचालय बनाए जाने थे। हकीकत ये है कि अभी तक 31118 शौचालय ही बन सके हैं। 8111 निर्माणाधीन हैं और 3882 शौचालयों का काम शुरू भी नही हो सका है। इस बीच बन चुके शौचालयों की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए चाहिए धन

तीन माह पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इलाहाबाद में यूपी का सबसे बड़ा कैंसर टर्शरी सेंटर बनाने की घोषणा की थी। इसकी लागत 120 करोड़ रुपए होगी। अभी इसके लिए केंद्र सरकार ने फंड जारी नहीं किया है।

दो बार बाहर हो चुका है इलाहाबाद

स्मार्ट सिटी बनने का ख्वाब तो अब शहरवासियों ने शायद देखना ही छोड़ दिया है। पहले दो फेज में संगम नगरी टाप 20 स्मार्ट सिटी की लिस्ट में अपना स्थान नहीं बना सकी। थर्ड फेज में एक बार फिर नगर निगम, एडीए और जिला प्रशासन ने प्लान बनाकर भेजा है। इंतजार है रैंकिंग जारी होने का।

रेलवे में मिली है थोड़ी राहत

रेलवे ने जरूर यात्रियों को थोड़ी राहत प्रदान की है। इसमें जंक्शन पर बहुद्देशीय परिसर व स्वचालित सीढि़यां, मुगलसराय के लिए मेमू ट्रेन, वाइफाई, वाटर वेंडिंग मशीन, छिवकी स्टेशन पर फुट ओवरब्रिज और वाराणसी, ऊंचाहार व प्रयाग स्टेशन के बीच रेल विद्युतीकरण का कार्य शामिल है। रेलवे के कुछ नए प्रोजेक्ट पाइप लाइन में हैं, जिनके पूरा होने का इंतजार है।

जिंदगी पूरी तरह से बदल गई है। ऐसा लगता है कि अगले ही पल कुछ नया होने वाला है। हमें इसी तरह के सरकार की जरूरत थी। हम मोदी सरकार से पूरी तरह से सहमत हैं।

सोहित मिश्रा

मोदी सरकार के कार्यकाल को तीन साल हो गए हैं और अब तक भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा, यही सबसे बड़ी उपलब्धि है। तीन साल में बहुत बदलाव आया है।

मीतू

डिजिटल रहने की आदत पड़ रही है। डिजिटल पेमेंट की आदत पड़ रही है। डिजिटल पढ़ाई की आदत पड़ रही है। अपने आसपास साफ-सफाई की भी अब आदत पड़ ही रही है।

वैभव श्रीवास्तव

हां! तीन साल में बहुत सुधार हुए हैं। कई योजनाएं निर्धन वर्ग के लिए चालू हुई हैं, जिससे राहत भी मिली है। अनेक बदलाव हो रहे हैं। जिसका असर देखने को मिल रहा है।

नीरा त्रिपाठी

मेट्रो रेल का डीपीआर राइट्स कंपनी तैयार कर रही है। इसका प्रजेंटेशन होना है। इसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। जल्द ही इस संबंध में बैठक बुलाई जानी है।

डॉ। आशीष कुमार गोयल, कमिश्नर