- शहर के हर इलाके में बढ़ता जा रहा है बंदरों का आतंक, मैदागिन स्थित एक इंटर कॉलेज में बंदरों के आतंक से नीचे गिरी ईट से छात्रा घायल

- पिछले दिनों सिगरा में एक बच्चे की बंदरों के डर से छत से गिरने से हुई थी मौत

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कोई तो है हमें इन बंदरों के आतंक से बचाये। जंगल बन चुके अपने शहर में इनसे हमारी सुरक्षा करे क्योंकि इन बंदरों ने तो हद कर दी है। कभी किसी को अपना निशाना बना रहे हैं तो कभी इनके खौफ से कोई न कोई गिरने पड़ने से चोटिल हो रहा है। पिछले दिनों सिगरा में बंदरों के आतंक से डरा एक आठ साल का बच्चा छत से गिरकर जान भी गवां चुका है। इसके बाद भी इनको लेकर प्रशासन कुछ करने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि इनका आतंक पूरे शहर में बढ़ता जा रहा है और लोग परेशान हो रहे हैं। मंगलवार को भी बंदरों के उपद्रव का शिकार एक बच्ची बनी है। इस बार घटना मैदागिन स्थित एक इंटर कॉलेज की है। यहां सुबह के वक्त स्कूल ग्राउंड में मौजूद एक 15 साल की छात्रा के ऊपर छत पर उपद्रव मचा रहे बंदरों की एक टोली ने ईट गिरा दी। जिससे छात्रा को गंभीर चोट आई। उसे प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया जहां उसका इलाज हुआ।

पूरे शहर में है इनका आतंक

इन दिनों बंदरों के आंतक से शहर का हर इलाका परेशान है। सिगरा के गांधीनगर, कस्तूरबानगर, सोनिया, दुर्गाकुंड, कबीरनगर, संकटमोचन मंदिर के आस पास, साकेतनगर, महमूरगंज के शिवाजी नगर, निरालानगर, सील नगर कॉलोनी समेत वरुणा पार के कई इलाकों में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। पिछले महीने सिगरा में एक बच्चा बंदर के डर से छत से गिर पड़ा। चार दिन तक उसका इलाज हुआ और उसे बचाया नहीं जा सका। दो साल पहले भी चेतगंज के कालीमहाल में बंदर का शिकार एक महिला बनी थी। मंडुवाडीह में पिछले साल बंदरों के आतंक से एक वृद्ध छत से गिर पड़ा था। हर ओर इनका आतंक बढ़ता ही जा रहा है लेकिन इन पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है।

आये थे मंकी कैचर लेकिन

पिछले दिनों बंदरों पर लगाम लगाने के लिए नगर निगम ने एक अच्छी कवायद शुरू कर थी। इसके लिए मथुरा से मंकी कैचर्स की टीम को बुलाया गया था। इन मंकी कैचर्स ने 200 से ज्यादा बंदरों को पिंजड़ों में पकड़कर चंदौली ले जाकर जंगलों में छोड़ा था। इसके बाद कुछ दिनों तक तो बंदरों के आतंक से लोगों को राहत मिली लेकिन एक बार फिर बंदरों ने अपनी हरकतों से लोगों को परेशान कर दिया है।

हर ओर है इनकी हरकतों का शोर

- बंदरों के आतंक से लगभग पूरा शहर परेशान है

- इनका सबसे ज्यादा आतंक सिगरा और भेलूपुर जोन में है

- यहां बंदरों की बढ़ती आबादी से हर कोई परेशान है

- छतों पर दिन रात हर वक्त बंदरों का जमावड़ा होता है

- इसके कारण लोग छतों पर चाहकर भी नहीं जा पाते हैं

- राह चलते खाने पीने के सामान बंदर लोगों के हाथों से छीनकर ले जाते हैं

- अगर घर की खिड़की दरवाजा एक सेकेंड के लिए भी खुला मिल गया तो बंदरों का कहर आपके घर में बरप सकता है

- घर में घुसकर बंदर खाने पीने की चीजों पर हाथ साफ कर देते हैं

- बालकनी में सूख रहे कपड़ों को भी फाड़ डालते हैं बंदर

बचने के लिए खर्च करते हैं लाखों

- बंदरों के आतंक के कारण शहर के लोगों की जेब पर भी असर पड़ रहा है

- लोग इनसे बचने के लिए घरों की बालकनी से लेकर दरवाजों तक पर मोटी रकम खर्च कर ग्रिल लगवा रहे हैं

- कटीले तारों से अपने घर की बाउंड्रीवाल को कवर करवा रहे हैं लोग

- कई कॉलोनी वालों ने तो पर्सनल लेवल पर मंकी कैचर बुलाकर बंदरों को पकड़वाने का काम किया था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ

- बंदरों की बाइट का शिकार अक्सर कोई न कोई बन जा रहा है जिसके कारण रेबीज के इंजेक्शन का भी खर्च देना पड़ता है

बहुत परेशान कर रहे हैं बंदर घर और दुकान कहीं भी सेफ नहीं हैं। चीजें तो बर्बाद करते ही हैं साथ में डर भी बना रहता है कि कहीं काट न लें।

सोनू कुमार, कैंटोन्मेंट

इस साइड तो कुछ ज्यादा ही खौफ है बंदरों का। सटे-सटे मकान होने के कारण बंदर आसानी से एक घर से दूसरे घर में टहलते हैं। बच्चे अक्सर इनका शिकार बन जाते हैं।

मनोज यादव, दारानगर