सपने को जमीं पर उतारा

पहली फरवरी से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पहली मोनो रेल अपने पहले सफर में निकलेगी। मुंबई के साथ ही पूरा देश कौतूहल से मोनो रेल की प्रतीक्षा में है, पर मोनो रेल का यह सफर शायद उतना आसान नहीं होता। अगर मुकेश गुप्ता नाम का इस पूरी परियोजना से न जुड़ा होता।

स्टेट के दरभंगा जैसे छोटे शहर के रहने वाले मुकेश ने इंडिया में मोनो रेल के सपने को जमीं पर उतारा है। तीन साल पहले जब उन्होंने मलेशिया की कंपनी स्कूमी इंजीनियरिंग में अपनी सेवा देनी शुरू की थी, उसी वक्त उन्होंने ठान लिया था कि ाारत के लोगों को वे एक दिन मोनो रेल पर सफर कराएंगे। जब एक बार सोच लिया तो इसके बाद मुकेश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

एक बेहतर युवा की थी दरकार

मुकेश की मेहनत रंग लाई और उनके ट्रेंड किए लोग मुंबई में 'वडाला से चैंबूरÓ तक 8.8 किलोमीटर की यात्रा पर निकलेंगे। इस यात्रा में मुंबई के सीएम पृथ्वीराज चव्हाण के साथ 55& मुंबई के आमलोग भी होंगे। आने वाले दिनों में 8.8 किलोमीटर का यह सफर 19.4 किलोमीटर लंबा हो जाएगा। मुकेश ने बताया कि उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 2010 में मलेशिया की इंजीनियरिंग कंपनी स्कूमी इंजीनियरिंग में बतौर इंजीनियर योगदान दिया। उस समय मुंबई में मोनो रेल दौड़ाने की योजना पर काम शुरू हो चुका था। कंपनी को एक बेहतर युवा की दरकार थी, जो इस पूरे प्रोजेक्ट से जुडऩे वाले लोगों को ट्रेंड कर सके, ताकि ट्रेंड लोग मोनो रेल को बीम पर दौड़ा सकें। बहुत मंथन के बाद अंतत उन्हें यह महती जिम्मेदारी सौंप दी गई, लेकिन प्रोजेक्ट शुरू हो इसके पहले मुकेश गुप्ता को ट्रेंनिंग दी गई।

कैप्टन से स्टाफ तक को भर्ती करने का जिम्मा

और फिर वो दिल आ ही गया जब मुकेश मुंबई आए, पर खाली हाथ नहीं पूरी जिम्मेदारियों से लैस। मोनो रेल प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ। इस मिशन के लिए अच्छे लोगों की तलाश मुकेश ने ही की। ट्रेन कैप्टन से लेकर दूसरे तमाम स्टाफ का सबको इन्होंने ही परखा, फिर शुरू हुआ ट्रेनिंग का सिलसिला। सारा दारोमदार मुकेश के कंधों पर। दो सालों में तीन ट्रेन कैप्टन समेत 280 लोगों को ट्रेन से जुड़ी बारीकियों और कदम-कदम पर किन-किन बातों का ध्यान रखना है, कैसे ट्रेन को बीम पर दौड़ाना है, कौन सी सावधानियां बरतनी है। अब जबकि इंडिया में मोनो रेल का सपना पूरा हो चुका है और महज 24 घंटे बाद देश की पहली मोनो रेल पटरी पर दौड़ेगी उस वक्त स्टेशन पर साथियों को 'थम्सअपÓ दिखाते मुकेश का दिल भी धड़क रहा होगा और जो तालियां गूंजेगी उसमें मुकेश भी बराबरी के हकदार होंगे। हो भी क्यों न, मलेशिया में बनी ट्रेन मुंबई में दौड़ेगी और उसमें बिहार बड़ा भागीदार होगा। करीब 8.8 किलोमीटर लंबे पहले फेज के तहत वडाला से चेंबूर स्टेशन तक जाएगी।

9 किलोमीटर लंबा सफर अब महज 19 मिनट में पूरा हो जाएगा।

43 जोशीले नौजवान कर्मचारियों की भर्ती की गई है, जिसमें तीन विमन भी हैं।

इस रेल में चार कोच होंगे, जिनमें 560 यात्री सफर कर सकेंगे।

पांच से 11 रुपये तक की टिकटें खरीदनी होंगी।