फ्लैग: - तमाम प्रयासों के बाद भी ट्रेनों की लेटलतीफी रोकने में नाकाम रेलवे बोर्ड
- कोहरे से 20 घंटे प्रभावित हुई कानपुर शताब्दी, श्रमशक्ति समेत दर्जनों ट्रेनें
- सैटरडे सुबह दिल्ली रवाना होने वाली कानपुर शताब्दी देर रात 1 बजे हो पाई रवाना
KANPUR।
रेलवे बोर्ड ने कोहरे को मात देने के लिए ट्रैक और ऑटोमेटिक सिग्निलिंग पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। लेकिन कोहरे की आहट भर ने ही रेलवे बोर्ड के तमाम प्रयासों पर पानी फेर दिया। सुपरफास्ट ट्रेनों की बात तो छोड़ दीजिए वीआईपी ट्रेन शताब्दी और राजधानी भी कोहरे के आगे नतमस्तक हो गई हैं। सैटरडे को हालात यह थे कि फ्राइडे रात साढ़े नौ बजे आने वाली कानपुर शताब्दी सैटरडे शाम लगभग पांच बजे कानपुर पहुंच पाई।
लेटलतीफी से बेहाल यात्री
सैटरडे को ट्रेनों की चाल और भी बिगड़ गई। शताब्दी हो या फिर राजधानी निर्धारित समय से घंटों लेट चल रही हैं। कानपुर शताब्दी ख्0 घंटे तो लखनऊ शताब्दी म् घंटे लेट चल रही है। ट्रेनों के इंतजार में यात्रियों को घंटों प्लेटफार्म में गुजराने पड़ रहे है।
भ्00 से ज्यादा टिकट कैंसिल
सैटरडे कानपुर शताब्दी, लखनऊ शताब्दी व श्रमशक्ति एक्सप्रेस के घंटों लेट आने व जाने से भ्00 से अधिक यात्रियों ने अपनी कंफर्म टिकटों को कैंसिल करा दिया।
कोहरे में सेफ्टी के उपाय
- सिग्नल व क्रॉसिंग के पहले ट्रैक में चूने की मोटी लाइन
- ओएचई खंभों में रिट्रोरिफलेक्टिव बोर्ड
- फॉग सिग्नल लगाए जाएं
- दो स्टेशनों के बीच एक ट्रैक में सिर्फ दो ट्रेनें
- ट्रैक में पटाखा लगाना
- नाइट में आफिसर पेट्रोलिंग
- ट्रेनों की चाल फ्0 से म्0 किमी प्रति घंटे
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कौन सी ट्रेन िकतनी लेट
कानपुर शताब्दी ख्0 घंटे
लखनऊ शताब्दी म् घंटे
श्रमशक्ति एक्सप्रेस क्क् घंटे
आगरा कैंट-लखनऊ क्भ् घंटे
जोधपुर-हावड़ा म् घंटे
सूरत-मुजफ्फरपुर 7 घंटे
गोरखपुर-अहमदाबाद क्0 घंटे
टाटाजट एक्सप्रेस 7 घंटे
नार्थईस्ट एक्सप्रेस 8 घंटे
आनंद विहार-मऊ ख्0 घंटे
मंडुवाडीह-नई दिल्ली क्0 घंटे
मुम्बई बांद्रा-कानपुर 8 घंटे
'कोहरा प्राकृतिक समस्या है। कोहरे में ट्रेन के ड्राइवर को सिग्नल दूर से न दिखाई देने से ट्रेनों की गति धीमी कर दी जाती है। कोहरे के दौरान ट्रेनों की चाल सुधारने के लिए रेलवे कई शोध कार्यो में लगा हुआ है.'
गौरव कृष्ण बंसल, सीपीआरओ, एनसीआर
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सालों से चल रहा श्ाोध कार्य
कोहरे में ट्रेनों की चाल पर लगने वाले ब्रेक को हटाने के लिए कानपुर आईआईटी व आरडीएसओ सालों से एक डिवाइस पर काम कर रहा है। जिसका कई बार टेस्ट भी हो चुका है। इसके अलावा एनसीआर जोन के ट्रैक पर फॉग सिग्नल लगाने का काम भी शुरू हो चुका है।