हावड़ा ब्रिज के नीचे गंगा में

हावड़ा ब्रिज के पास मुल्लिक घाट और जनाना घाट है जहां हर सुबह तड़के ही कई पहलवान कुश्ती का अभ्यास करने आते हैं। इन पहलवानों की मानें तो सुबह के समय गंगा में एक डूबता हुआ शरीर दिखाई देता है जिसमें डूबता हुआ हाथ मदद मांगता है। ऐसे में आप घबरा जाते हैं। इनके मुताबिक कई बार समझ में नहीं आता है कि कोई आत्मा है या सच में इंसान। ऐसे में अगर आप अकेले हों तो पसीना-पसीना हो जाएंगे।

नीमताला बर्निंग घाट

नीमताला बर्निंग घाट कलकत्ता का सबसे प्राचीन घाट है जो मध्य कलकत्ता में स्थित है। यहां रात्रि के दौरान काली की पूजा की जाती है। जिसे देखकर आपको आध्यात्मिक भावना नहीं आएगी बल्कि थोड़ा सा सहम जाएंगे। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां रात के दौरान अघोरी आकर पूजा करते हैं और हड्डियों आदि से तंत्र विद्या आदि करते हैं। भूतिया शक्तियों को यहां रात में जागृत भी किया जाता है।

पुतुलबाड़ी या गुडियों का घर

इस स्थान का नाम ही अजीब सा है। यह एक प्रकार की इमारत है जो गंगा के उस पार अहिरिटोला में स्थित है। इस बड़ी इमारत में काफी सारी गुडियों की कृतियां छत पर बनी हुई हैं। इस इमारत में अभी भी ऊपर मंजिल में कुछ लोग रहते हैं, निचली मंजिल को ही भूतिया माना जाता है। कहा जाता है कि इस इमारत में जमींदार आते थे और महिलाओं व लड़कियों का यौन शोषण करते थे। इसीलिए अभी तक इस इमारत में उन औरतों की आत्मा भटक रही है।

लोअर सर्किलुर रोड़ कब्रिस्तान

साउथ पार्क स्ट्रीट कब्रिस्तान को कलकत्ता के डरावने स्थानों में से एक माना जाता है। इस स्थान पर काफी पेड़ हैं और माहौल प्रकृतिमय है। इस स्थान पर ब्रिटिश सैनिकों की कब्रें हैं। यहां सर डब्ल्यू.एच.मैक की कब्र है जिनके शव को अफगानिस्तान से लाया गया था। बाद में उनकी पत्नी को भी यहीं दफना दिया गया था। कहते हैं कि रात के दौरान यहां से गुजरने पर कब्र के ऊपर झुके हुए पेड़ कांपते हुए लगते हैं। वैसे यहां भूतिया घटनाएं देखने को नहीं मिली लेकिन रात के दौरान गुजरने से रूह कांप जाती है।

रविन्द्र सरोवर मेट्रो स्टेशन

रात के समय आखिरी ट्रेन गुजर रही है कि कोई ऊपर से कूदा और बिजली के तारों में लिपटकर मर गया। ऐसे दृश्य यहां काफी आम हैं, कोलकाता में 70 प्रतिशत लोग यहां ही सुसाइड करते हैं। रात के दौरान 10:30 बजे यहां से आखिरी ट्रेन गुजरती है, जिसे चलाने वाले ड्राईवर मानते हैं कि अक्सर उन्हे धुंधली परछाईयां दिखाई देती हैं कि कोई कूद रहा है और गायब हो जाती हैं।

रॉयल रेस कोर्स कलकत्ता टर्फ क्लब

1930 के दशक में जॉर्ज विलियम घोड़ों की रेस के शौकीन इंसान थे। उनकी सफेद घोड़ी उनकी शान और गर्व था। वो उस घोड़ी की बदौलत हमेशा जीतते थे। लेकिन एक दिन वार्षिक कलकत्ता की दौड़ में वो हार गई और अगले दिन वह ट्रैक पर मर गई। तब से आजतक कई बार उसे ट्रैक पर दौड़ते हुए देखा गया है। स्थानीय लोग उसे आज भी विलियम साहब की घोड़ी कहते हैं।

नेशनल लाईब्ररी कोलकाता

नेशनल लाइब्रेरी कोलकाता के अलीपुर जन्तुआलय और अलीपुर जेल के बीच स्थित है यह पुस्तकालय अपने दुर्लभ पुस्तकों के संग्रह के कारण प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां भूतों का वास है। उनके बीच इस स्थान को लेकर एक कहानी भी है। पश्चिम बंगाल के पूर्व गर्वनर की पत्नी लेडी मेक्कॉफ को लाईब्रेरी की देखभाल करना बहुत पसंद था। उन्हे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था कि कोई व्यवस्था भंग करें। ऐसे में मानते हैं कि आज भी वो देखभाल करती हैं। आप उनकी सांसों को महसूस कर सकते हैं।

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