- रामकटोरा में मां की डांट से क्षुब्ध होकर बेटी ने फांसी लगाकर दी जान

- गोलगड्डा स्थित एक प्राइवेट स्कूल में थी टीचर, बेटी के इस कदम से परिवार सदमे में

VARANASI: जिन बच्चों को मां पैदा करती है, जिसे नौ माह अपनी कोख में रखकर दर्द सहती है और जिसे बड़ा करने के लिए अपने हर एक दुख और तकलीफ को भुलाकर नि:स्वार्थ भाव से उनकी परवरिश करती है, क्या उन बच्चों को अब डांटने का भी हक नहीं है? ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि बदलते सामाजिक परिवेश में मां-बाप की डांट से क्षुब्ध होकर बच्चे सुसाइड जैसा बड़ा कदम उठा रहे हैं ! आए दिन हो रही ऐसी घटनाएं ये सोचने पर मजबूर कर रही हैं कि क्या अब बच्चों पर उनके मां-बाप का इतना भी हक नहीं कि वे उन्हें डांट सकें?

ऐसी ही एक घटना रविवार की रात रामकटोरा में हुई। यहां मां की डांट से क्षुब्ध होकर एक युवती ने फांसी लगाकर जान दे दी। बेटी की लाश को आंखों के सामने देखकर मां फूट-फूटकर रो रही थी और रह रहकर बार-बार यही सवाल कर रही थी कि बेटी क्या मैं तुझे डांट भी नहीं सकती?

छत पर गई थी टहलने

चेतगंज की रामकटोरा निवासी उमा देवी की बेटी आकांक्षा बिंद (ख्ख् वर्ष) ने रविवार रात दुपट्टे के सहारे पंखे से लटककर जान दे दी। एमसीए करने के बाद से आकांक्षा गोलगड्डा स्थित एक कॉन्वेंट स्कूल में टीचर थी। वह चार बहनों और दो भाइयों में तीसरे नंबर पर थी। वह रविवार रात घरवालों के साथ खाना खा रही थी। इस दौरान मां ने किसी बात पर उसे डांटा। जिसके बाद वह हर रोज की तरह घर की छत पर टहलने चली गई। रात लगभग बारह बजे भाई आनंद आकांक्षा को छत पर देखने गया तो वह छत पर नहीं मिली। इसके बाद वह छत पर बने एक कमरे का दरवाजा पीटने लगा। दरवाजा अंदर से बंद था। खटखटाने पर भी दरवाजा नहीं खुला तब उसने मां को बताया। सूचना मिलते ही मां व अन्य भाई-बहन छत पर आए।

लाश देख उड़े होश

काफी देर तक दरवाजा पीटने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तब आनंद ने मोबाइल की टॉर्च जलाकर कमरे के अंदर देखा। अंदर का नजारा देखते ही उसके होश उड़ गए। कमरे के अंदर आकांक्षा की लाश दुपट्टे के सहारे पंखे से लटक रही थी। ये देखते ही उसने इसकी सूचना पुलिस को दी गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची चेतगंज पुलिस ने दरवाजा तोड़ा और लाश को उतारा। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।

आज का यूथ आजादी चाहता है। बात-बात पर टोकना, डांटना उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं। इसलिए परिवार के लोगों को समझदारी से काम लेते हुए इनको प्यार से टैकेल करना होगा। क्योंकि यूथ का माइंडसेट एग्रेसिव है और एग्रेसन में वह अक्सर नासमझों वाले कदम उठा बैठते हैं।

डॉ संजय गुप्ता, साइक्रिएट्रिस्ट