रघु की लाइफ में बेहद बदलाव आता
बदलापुर एक बहुत ही आम इंसान रघु (वरुण धवन) की कहानी है जिसमें उनकी पत्नी यामी गौतम और बेटे रॉबिन की एक बैंक में हुई डकैती के दौरान हत्‍या हो जाती है. लायक यामी को गोली मार देता है और वहीं रॉबिन कार से गिरकर मर जाता है. पत्‍नी और बेटे की मौत्‍ा के बाद रघु की लाइफ में बेहद बदलाव आता है. वह मानसिक रूप से टूट जाता है. उसे यह गहरा सदमा पहुंचता है. वहीं उसकी पत्‍नी का हत्‍यारा लायक (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) जेल में रहता है. इस दौरान जेल में बंद लायक का दूसरा साथ हरमन (विनय पाठक)भागने का प्‍लान करता है और वह वहां से निकल जाता है. इसके बाद वह रघु के दिल में उमड़े घावों को भरने की बजया कुरेदने की पूरी कोशिश करता है और लायक के खिलाफ उसके दिल में नफरत भर देता है. ऐसे में जब 15 साल बाद लायक जेल से रिहा होता है तब तक रघु उससे बदले के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका होता है. बस यही से शुरू होता है फिल्‍म में हिंसा और माइंडलेस मौज मस्ती का दौर. वहीं फिल्म में झिमली (हुमा कुरैषी) और शोभा (दिव्या दत्ता) की एंट्री होती है और फिल्म कई नए मोड़ लेती है.


Badlapur

A; Crime/Drama/Thriller
Director: Sriram Raghavan
Cast: Varun Dhawan, Nawazuddin Siddiqui, Yami Gautam, Huma Qureshi, Radhika Apte, Divya Dutta

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भावानात्‍मक होने के साथ ही हास्‍यपूर्ण भी
फिल्‍म की कहानी भावानात्‍मक होने के साथ ही हास्‍यपूर्ण भी है, क्‍योंकि फिल्‍म बार ऐसे लेवल पर पहुंचती दिखी है जहां पर हद तक इमोशनल टचअप आता है, इसके अलावा कई बार ऐसे मोड़ भी आते हैं जब दर्शक हसने को मजबूर होते हैं. सबसे खास बात तो यह रही कि फिल्‍म में कहानी के ज्‍यादा कलाकारों ने जबरदस्‍त प्रतिभा दिखायी. नवाजुद्दीन सिद्दिकी अपने लायक वाली भूमिका में बिल्‍कुल फिट बैठे. वह शुरुआत से ही एक अपराधिक मास्‍टरमांइड की भूमिका में दिखे. जिससे साफ है कि फिल्‍म में सिर्फ वरुण धवन ही नहीं शक्‍ितमान रहे बल्‍कि नवाजुद्दीन भी रहे. वरुण को अपने रोल में फिट बैठेने कुछ खास इफर्ट भी करने पड़े. जिससे उन्‍होंने अपनी परफार्मेंस तो बेहतर दिखायी लेकिन उसमें उनका नौसिखियापन भी साफ झलका है.


हॉट और स्‍पाइसी सींस ने बल दिया

इसके साथ ही फिल्‍म काफी मादकता झलकी है. इसे काफी हॉट और स्‍पाइसी सींस ने काफी बल दिया है. जिसमें फिल्‍म में चौथी हिरोइन राधिका आप्‍टे ने भी काफी तड़का लगाया है. शुरू के आधे घंटे में फिल्‍म की कहानी कुछ पकड़ में आती है. इसके बाद फिल्‍म के नाम के अनुसार ही कहानी चलती है, लेकिन अंत में क्‍लाइमेंक्‍स बिल्‍कुल बदल जाता है. जिससे यह साफ है कि फिल्‍म में निर्देशक श्रीराम राघ्‍ावन की मुख्‍य कहानी पकड़ से कई बार काफी दूर दिखी. जैसा कि कहा जा रहा था कि इसमें विलियन सिचुएशन के हिसाब से टर्निंग प्‍वांइट लेते रहते हैं. जो कि फिल्‍म में सिचुएशन के हिसाब से अधिक देखने को मिला है.

Courtesy by Mid Day

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