मेकर्स ने शायद इसे 2008 की मूवी जन्नत 2 का सिक्वल समझकर बनाया था लेकिन यह सिक्वल के नाम पर फॉमेल्टीज पूरी करती हुई ही दिख रही है। मूवी में इमरान हाशमी सोनू दिल्ली के रोल में हैं। सोनू पूरी तरह से  दिल्ली के देशी अंदाज में होता है। उसका ‘बिजनिस’ (जैसा कि वह बोलता है) हथियार बेचना है। ‘मारना है तो गन से मारो’ ‘गन बेचता हूं मस्त रहता हूं’ ये सोनू के जुमले हैं। उसके लिए जिंदगी का मतलब है फायरआम्र्स के लेटेस्ट मॉडल बेचना, हमेशा बक-बक करते रहना और रेटलाइट एरिया में जाना। उसकी जिंदगी उसके तरीके से गुजर रही होती है जब तक की एसीपी प्रताप रघुवंशी (रणदीप हुडा) से उसकी मुलाकात नहीं होती। एसीपी उसकी मदद से ऑम्र्स डील में शामिल कुछ बड़ी मछलियों को पकडऩा चाहता है।

एसीपी फील करता है कि सोनू हथियार डीलिंग में भले ही शामिल है लेकिन दिल का अच्छा आदमी हैं, इसलिए वह पुलिस का इनफॉर्मर बन सकता है.जब आपको लगेगा कि फिल्म कुछ इंस्ट्रेटिंग हो रही है तभी फिल्म का प्लॉट अचानक बदल जाता है और फिर आपके सामने एक नया मसाला होता है।

एसीपी के हुए पहली एनकाउंटर में सोनू की हथेली पर गहरी चोट आती है जिससे उसे मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए हॉस्पिटल ले जाना पड़ता है। हॉस्पिटल में सोनू की मुलाकात डॉ। जाह्नवी (ईशा गुप्ता) से होती है। जितनी तेजी से वह बैंडेज करती हैं उससे भी तेजी से दोनों के बीच प्यार के तार जुडऩे लगते हैं। फिर कुछ ही मिनटों में वह देल्ही के हिस्टोरिकल साइट पर रोमांस करते हुए नजर आते हैं। बैंडेज और गहरा घाव सब गायब।

अब आम्र्स सेलिंग बैकड्रॉप मे ंचली जाती है और फिल्म पूरी तरह रोमांस पर फोकस हो जाती है। अब इमरान के बोलने का देशी अंदाज भी आम्र्स सेलिंग के साथ कम दिखता है।

एसीपी के तौर पर रणदीप के कुछ मोमेंट यादगार हो सकते हैं। हां, ये आश्चर्य जरूर हो सकता कि भट्ट कैम्प की मूवी जिसमें इमरान हाशमी भी हैं वह बिना लिपलॉक्स के कैसे हो सकती है लेकिन इतना जरूर है कि डॉ। जाह्नवी को ‘मिस क्लेवेज ऑन डिस्प्ले’ कह सकते हैं। सोनू के साथ उनका कनेक्शन सिर्फ यही है कि वह एक फ्री हॉस्पिटल चलाती है और इसके लिए जरूरी फंड के लिए सोनू हेल्प करता है।

जन्नत 2 एक गन-टोटिंग एक्शन ड्रामा मूवी हो सकती है लेकिन इसके क्वाइमेंक्स मेंं कुछ भी नहीं है। ये मूवी थोड़ा बहुत निकोलस केज स्टारर मूवी लॉर्ड ऑफ वॉर (2005) से भी इंस्पायर लगती है। अगर फिल्म में घिसी पिटी चीजें, प्रिडिक्टेबल ट्विस्ट नहीं होतीं तो फिल्म कुछ देखने लायक हो सकती थी।

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