फिल्म में रिकी बहल (रणवीर सिंह) एक ठग है जो स्पेशली सीधी-सादी लड़कियों को अपना टारगेट बनाता है. उसका काम करने का सीधा सा यही फंडा है. वह मीठी-मीठी बातें करता है, फ्लर्ट करता है, उनका विश्वास जीतता है और फिर उनके पैसे लेकर भाग जाता है. नतीजा उन लड़कियों का दिल टूटता है. इन लड़कियों में से हैं डिम्पल, रैना और सायरा जो एक साथ मिलकर उसे बेवकूफ बनाकर अपने पैसे वापस लेना चाहती हैं. वे स्मार्ट सेल्सपर्सन इशिका देसाई (अनुष्का शर्मा) की मदद लेती हैं.

फिल्म की स्क्रिप्ट इतनी क्लेवर होनी चाहिए थी जितना फिल्म के लीड कैरेक्टर को दिखाने की कोशिश की गई है. फिल्म में रिकी को किसी को चीट करने के लिए जरा भी दिमाग चलाने जरूरत नहीं पड़ी जबकि ये थोड़ा ट्रिको हो सकता था. रिकी बहुत लकी रहा कि उसके लिए सारी चीजें ईजी-गोइंग रहती हैं या उसके शिकार ही बहुत भोले-भाले होते हैं, इतने कि वे खुद ही उसके जाल में फंसना चाहते हैं. साथ ही वो ट्रैक जहां वह एक आर्ट डीलर देवेन शाह बनते हैं और रैना (दीपानिता शर्मा) को चीट करते हैं वो सीन तो बिल्कुल बनावटी लगता है.

Video: Ladies Vs Ricky Bahl Movie Review...

हालांकि फिल्म आपको इंगेज रखने में कामयाब रहती है, खासकर वहां जहां लेडीज अपने कॉमन दुश्मन को मजा चखाने का प्लान बनाती हैं. मनीष शर्मा की काबिलियत ये है कि वह दिल्ली की लाइफ को बहुत अच्छे से कैप्चर करते हैं.


एक सीन जिसमें सनी एक बिल्डिंग कॉन्ट्रैक्टर की लाडली बेटी को चीट करता है, वह सीन जबरदस्त है. रणवीर और अनुष्का की केमिस्ट्री पहले की
तरह बढिय़ा हैै.


रणवीर की एक्टिंग सधी हुई है और काफी इम्प्रेसिव है लेकिन उनके पोटेशिंयल को देखते हुए उनका काम और बेहतर हो सकता था. लेकिन शायद इसके लिए उन्हें कुछ बेहतर स्क्रिप्ट की जरूरत थी. अनुष्का का काम बढिय़ा है लेकिन परणीति चोपड़ा के काम की दाद देनी होगी. वह एक दम नेचुरल हैं और सबसे अलग दिखाई दी हैं.


फिल्म में कुछ गैरजरूरती टिपिकल बॉलीवुड एलीमेंट्स हैं जो फिल्म का फ्लो बिगाड़ देते हैं. बॉलीवुड हमेशा ये क्यों सोचता है कि हर स्मार्ट गर्ल के लिए गली में डांस करना और बच्चों के साथ क्रिकेट खेलना जरूरी है.


कुल मिलाकर फिल्म एक डीसेंट एंटरटेनर है साथ ही कुछ हद तक डिसअप्वॉइन्ट भी करती है. इस प्लॉट के साथ बहुत कुछ किया जा सकता था, लेकिन कोशिश भी नहीं की गई.

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