कहानी
ये फिल्म एक इमपरफेक्ट एन आर आई गुजराती लड़की सिमरन की अतरंगी कहानी है, जो अपनी ज़िन्दगी अपनी तरह से जीना चाहती है।
Lucknow Central movie review : लखनऊ सेंट्रल का जानदार कैदी बैंड

समीक्षा
अपूर्व असरानी ने सिमरन का किरदार बेहद अच्छा लिखा है, यही अकेला कारण है की आप इस फिल्म में अपना इंटरेस्ट बरक़रार रखते हैं, सिमरन का किरदार इमपरफेक्ट है और यही इस फिल्म का सबसे बड़ा हाई पॉइंट है। पर बस यही है जो अच्छा लिखा हुआ है, बाकी सब काफी स्टीरियोटाइप है। पहले तो ये बोल दूं की फिल्म की राइटिंग पे जितनी खींचातानी हुई है, वो फ़िज़ूल की बात सी लगती है। फिल्म की राइटिंग इतनी तिलिस्मी नहीं है जितनी प्रोजेक्ट की गई है। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी स्लो है, और सेकंड हाफ में आके फिल्म ताश के पत्तों के घर की तरह गिरने लगती है। सीन ड्रैग करते हैं और बीच बीच में रोमांटिक ट्रैक इरिटेट करता है। फिल्म की एडिटिंग बेहद खराब है और फिल्म क्लाइमेक्स बेहद अजीब है, जो फिल्म की पूरी एनर्जी का सत्यानाश कर देता है। ऐसा नहीं है की सब बुरा है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बहुत अच्छी है, फिल्म का म्यूजिकल स्कोर भी ठीक ठाक है, खासकर पार्श्वसंगीत।
Movie Review Poster Boys : फटा पोस्टर निकला जीरो

अदाकारी
फिल्म की जान हैं कंगना रनौत, पूरी फिल्म को वो अपने कंधे पर ढोकर चलती हैं, वही इस फिल्म की लाइफ भी हैं और लाइफलाइन भी हैं। अगर वो न हों तो फिल्म झेलना मुश्किल हो जाए। ये उनका अवार्डवर्थी परफॉरमेंस है। फिल्म की कास्टिंग ओवरआल बढ़िया है। सोहम शाह का काम काबील ए तारीफ है। कुल मिलाकर खोदा पहाड़ निकली सिमरन...और क्या बोलूं। सिर्फ और सिर्फ कंगना रनौत के लिए देख सकते हैं सिमरन।
Daddy Review : देसी रॉबिनहुड की सुपरफिशिअल कहानी

रेटिंग : 2 स्टार

Review by: Yohaann Bhaargava
www.facebook.com/bhaargavabol

 

कहानी

ये फिल्म एक इमपरफेक्ट एन आर आई गुजराती लड़की सिमरन की अतरंगी कहानी है, जो अपनी ज़िन्दगी अपनी तरह से जीना चाहती है।

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समीक्षा

अपूर्व असरानी ने सिमरन का किरदार बेहद अच्छा लिखा है, यही अकेला कारण है की आप इस फिल्म में अपना इंटरेस्ट बरक़रार रखते हैं, सिमरन का किरदार इमपरफेक्ट है और यही इस फिल्म का सबसे बड़ा हाई पॉइंट है। पर बस यही है जो अच्छा लिखा हुआ है, बाकी सब काफी स्टीरियोटाइप है। पहले तो ये बोल दूं की फिल्म की राइटिंग पे जितनी खींचातानी हुई है, वो फ़िज़ूल की बात सी लगती है। फिल्म की राइटिंग इतनी तिलिस्मी नहीं है जितनी प्रोजेक्ट की गई है। फिल्म का स्क्रीनप्ले काफी स्लो है, और सेकंड हाफ में आके फिल्म ताश के पत्तों के घर की तरह गिरने लगती है। सीन ड्रैग करते हैं और बीच बीच में रोमांटिक ट्रैक इरिटेट करता है। फिल्म की एडिटिंग बेहद खराब है और फिल्म क्लाइमेक्स बेहद अजीब है, जो फिल्म की पूरी एनर्जी का सत्यानाश कर देता है। ऐसा नहीं है की सब बुरा है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बहुत अच्छी है, फिल्म का म्यूजिकल स्कोर भी ठीक ठाक है, खासकर पार्श्वसंगीत।

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अदाकारी

फिल्म की जान हैं कंगना रनौत, पूरी फिल्म को वो अपने कंधे पर ढोकर चलती हैं, वही इस फिल्म की लाइफ भी हैं और लाइफलाइन भी हैं। अगर वो न हों तो फिल्म झेलना मुश्किल हो जाए। ये उनका अवार्डवर्थी परफॉरमेंस है। फिल्म की कास्टिंग ओवरआल बढ़िया है। सोहम शाह का काम काबील ए तारीफ है। कुल मिलाकर खोदा पहाड़ निकली सिमरन...और क्या बोलूं। सिर्फ और सिर्फ कंगना रनौत के लिए देख सकते हैं सिमरन।

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रेटिंग : 2 स्टार

 

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