मोहनदास कर्मचंद गांधी के आज 145वें जन्मदिन पर जानते हैं उनसे जुड़ी फिल्मों में उनके होने की कहानी. गांधी की कहानी फिल्मों कई तरह से सामने आयी है कभी ये कहानी उनकी ऑटोबायोग्राफी बनी, तो कभी इमोशनल फैमिली ड्रामा और कभी रास्ता दिखाने वाली रौशनी जैसी इंसप्रेशन. महात्मा गांधी की लाइफ पर कई फिल्में बनीं और इन फिल्मों ने बापू के करेक्टर के कई शेड्स सामने रखे. ये कितने सही थे ये तो पता नहीं पर इसने इस महात्मा की डेथ के इतने साल भी उनकी मास लीडर की इमेज को धुंधला नहीं पड़ने दिया. आप उनके लेसेन्स को एक्सेप्ट करें या ना करें पर उन्हें इग्नो र नहीं कर सकते.
महात्मा गांधी की लाइफ पर बेस्ड फिल्मों की कहानी रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' के बिना ना शुरू हो सकती है ना पूरी. 1982 में आयी इस फिल्म में बेन किंस्ले ने गांधी जी का करेक्टर प्ले किया था. इसे ऑस्कर अवॉर्ड भी हासिल हुआ. ये थी गांधी की ऑटोबॉयोग्राफी ही पर इसको प्रेजेंट गांधी के इमोशनल साइड को हाई लाइट करते हुए किया गया था. महात्मा गांधी सिर्फ एक लीडर नहीं थे वो एक पति और पिता भी थे और शायद उनका ये पहलू एक अलग व्यक्ति की झलक दिखाता है जो एज फादर कहीं पीछे छूट गया था. 'गांधी माई फादर' बापू के अपने बेटे हरिलाल से रिलेशन की कांप्लीकेटेड स्टोरी को बयान करती है. इस फिल्म में गांधी जी का रोल दर्शन जरीवाला ने प्ले किया था और अक्षय खन्ना ने उनके बेटे का.
इस सीरीज में एक नाम कमल हासन की फिल्म 'हे राम' का नाम भी लिया जा सकता है. 'हे राम' में नसीरूद्दीन शाह महात्मा गांधी बने थे और फिल्म उनकी डेथ की इन साइड स्टोरी डिस्क्राइब करती है. गांधी जी के अपने समकालीन लीडर्स से कैसे रिलेशन थे इसकी कहानी दो फिल्मों में बखूबी सुनाई गई है एक थी 'बाबा साहब अंबेडकर' जिसमें मोहन गोखले गांणी के करेक्टर में दिखे और दूसरी थी 'सरदार' जिसमें उनके सरदार वल्लभ भाई पटेल से रिश्तों की परते खोली गयी हैं. 'सरदार' में गांधी जी का रोल अन्नू कपूर ने प्ले किया था.
2006 में राजकुमार हिरानी ने 'लगे रहो मुन्नाभाई' फिल्म बनाई, जिसमें इमेजनरी गांधी के रोल में दिलीप प्रभावलकर एक आम हिंदुस्तानी मुरली शर्मा यानि मुन्ना भाई के जरिए गाधी की फिलॉस्फी को समझाते नजर आए वो भी बेहद फनी स्टाइल में. 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' फिल्म का नाम भी इस सीरीज में लेना जरूरी है क्योंकि हिंसा और अहिंसा के बीच की लाइन कहां से स्टार्ट होती ये इस फिल्म में भगत सिंह और बापू के डिफरेंस ऑफ ओपिनियन से साफ समझ आता है. राजकुमार संतोषी की इस फिल्म में सुरेंद्र रंजन ने गांधी का करेक्टर प्ले किया. फाइनली बात श्याम बेनेगल की फिल्म 'द मेकिंग ऑफ गांधी' कि जिसमें गांधी बने रजित कपूर के जरिए मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी बनने की जर्नी दिखाई गयी है.
इसके अलावा दो और फिल्में हैं जिनका जिक्र किया जा सकता है जो गांधी की कहानी तो नहीं थीं पर उनसे जुड़ाव की बातें करती हैं. एक है अमित राय की डायरेक्शन में 2010 में बनी 'रोड टू संगम', ये फिल्म एक मुस्लिम मैकेनिक की कहानी जो एक पुरानी फोर्ड वी8 इंजन कार को रिपेयर करता है जिसमें महात्मा गांधी की अस्थियों को त्रिवेणी संगम ले जाकर प्रवाह किया गया था. दूसरी है 'मैंने गांधी को नहीं मारा' इस फिल्म में अनुपम खेर को यह वहम हो जाता है कि उन्होंने ही गांधी जी को मारा है. फिल्म को साल 2005 में जहनु बरुआ ने बनाया था.
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