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VRINDAVAN (12 March JNN): कान्हा की भूमि शनिवार को वात्सल्य रस से सराबोर हो उठी। रूपहले पर्दे की ड्रीमगर्ल और सांसद हेमामालिनी ने वृन्दावन रसोत्सव में मां यशोदा कृष्ण के वात्सल्यमयी प्रेम को अपनी नृत्य नाटिका के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत किया। इस सुरमयी शाम में अनूठी नृत्य कला से रससिक्त हजारों दर्शकों ने सांसद के भावपूर्ण नृत्य का जमकर लुत्फ उठाया।

वेदमंत्रों के साथ शुभारंभ

छटीकरा मार्ग स्थित ठा। प्रियाकांत जू मंदिर के समीप बने पंडाल में आयोजित दो दिवसीय वृंदावन रसोत्सव का शुभारंभ वेदपाठी विप्रों द्वारा उच्चरित वेदमंत्रों के मध्य संतों के सानिध्य में भगवान श्रीकृष्ण के चित्रपट पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ सांसद द्वारा मंगलाचरण से हुआ। भरतनाट्यम शैली की मशहूर अदाकारा हेमामालिनी ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपरांत मथुरा से गोकुल गमन की लीलाओं से शुरूआत करते हुए एक के बाद एक माखन चोरी, पूतना वध, चीर हरण, कालीयमर्दन लीलाओं तक का वर्णन नृत्य अभिनय के द्वारा किया। समापन गोवर्धन धरण लीला से हुआ। सांसद हेमामालिनी ने अपनी नृत्य कला के माध्यम से श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का अभिनव प्रदर्शन कर दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

'लंबे समय से थी ख्वाहिश'

मंच पर सांसद हेमामालिनी की भाव भंगिमा देखते ही बनती थी। सह कलाकारों के साथ कृष्ण की लीलाओं पर सामंजस्य बैठा उन्होंने अनोखा नजारा दर्शकों के समक्ष पेश किया। ब्रज भूमि में श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर नृत्य नाटिका का मंचन कर सांसद हेमामालिनी ने बताया कि ये उनकी लंबे समय से ख्वाहिश थी, कि कृष्ण की भूमि पर अपनी नृत्य शैली के माध्यम से वह उन्हें भावांजलि प्रस्तुत करें। उन्होंने बताया कि इन लीलाओं में वात्सल्य का जो समावेश किया गया है, वह इसी भूमि पर संभव है, क्योंकि देवकी के गर्भ से जन्मे कृष्ण को जो मां यशोदा ने वात्सल्य की छांव प्रदान की थी, उसकी अनुभूति आज तक इस भूमि में होती है। इस अवसर पर साध्वी ऋतंभरा, पद्मश्री कृष्णा कन्हाई, विपिन मुकुटवाला, गिरधारी खंडेलवाल, अनूप शर्मा, पालिकाध्यक्ष मुकेश गौतम, मथुरा पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता, देवेंद्र शर्मा, संजय शर्मा, डॉ। अभिशेक शर्मा, जनार्दन शर्मा, संजय प्रताप, राजेश सिंह पिंटू, रविकांत गर्ग, डॉ। डीपी गोयल, प्रणतपाल सिंह, पूर्वमंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी, वैभव अग्रवाल, आदित्य शर्मा, रामबल्लभ शर्मा आदि मौजूद रहे। संचालन तपस्या शर्मा ने किया।